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मोदी सरकार के कार्यकाल में 51.40 करोड़ लोगों को मिला रोजगार : रिपोर्ट

अध्ययनों से पता चला है कि पिछले नौ वर्षों में ऋण अंतराल में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसने ऋण अंतराल में कटौती, बहुआयामी गरीबी में कमी और एनएसडीपी में वृद्धि के बीच एक सकारात्मक संबंध भी दिखाया है.

नई दिल्ली: घरेलू शोध संस्थान स्कॉच की एक रिपोर्ट में सोमवार को दावा किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में 51.40 करोड़ रोजगार मिले हैं. ‘मोदीनॉमिक्स का रोजगार सृजनात्मक प्रभाव: प्रतिमान में बदलाव’ शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट 80 केस अध्ययन पर आधारित है. इसमें कर्ज लेने वाले उधारकर्ताओं और विभिन्न सरकारी योजनाओं के आंकड़ों को शामिल किया गया है.

2014-24 में 51.40 करोड़ रोजगार

स्कॉच ग्रुप ने एक बयान में कहा कि वर्ष 2014-24 के दौरान कुल 51.40 करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं. इनमें 19.79 करोड़ रोजगार शासन-आधारित हस्तक्षेपों की वजह से सृजित हुए हैं. बाकी 31.61 करोड़ रोजगार में ऋण-आधारित हस्तक्षेपों का योगदान रहा है. स्कॉच ग्रुप सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर काम करने वाला एक घरेलू शोध संस्थान है. यह 1997 से ही समावेशी विकास पर काम कर रहा है.

लोन से औसतन 6.6 प्रत्यक्ष रोजगार

कंपनी की ओर से जारी किए गए बयान के मुताबिक, वर्तमान अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सूक्ष्म कर्ज का इस्तेमाल स्थिर और टिकाऊ रोजगार सृजन के लिए किया जा रहा है. स्कॉच ग्रुप के चेयरमैन और इस रिपोर्ट के लेखक समीर कोचर ने कहा कि हमने अपने दौरों में 80 केस अध्ययन के दस्तावेज जुटाए हैं. इसमें कर्ज लेने वाले कई उधारकर्ताओं को शामिल किया गया है और एक कर्ज राशि पर औसतन 6.6 प्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए हैं.

मनरेगा समेत दर्जन भर योजनाओं से बढ़ा रोजगार

इस अध्ययन में 12 केंद्रीय योजनाओं को शामिल किया गया है. इनमें मनरेगा, पीएमजीएसवाई, पीएमए-जी, पीएमएवाई-यू, आरएसईटीआई, एबीआरवाई, पीएमईजीपी, एसबीएम-जी, पीएलआई और पीएम स्वनिधि जैसी योजनाएं शामिल हैं. अध्ययनों से पता चला है कि पिछले नौ वर्षों में ऋण अंतराल (जीडीपी के अनुपात में कर्ज का अंतर) में 12.1 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसने ऋण अंतराल में कटौती, बहुआयामी गरीबी में कमी और एनएसडीपी में वृद्धि के बीच एक सकारात्मक संबंध भी दिखाया है.

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सरकारी हस्तक्षेप से सालाना 1.98 करोड़ रोजगार

कोचर ने कहा कि हमने 2014-24 की अवधि में ऋण-आधारित हस्तक्षेपों और सरकार-आधारित हस्तक्षेपों का अध्ययन किया है. जहां ऋण-आधारित हस्तक्षेपों ने प्रति वर्ष औसतन 3.16 करोड़ रोजगार जोड़े हैं, वहीं सरकार-आधारित हस्तक्षेपों से 1.98 करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं. यह रिपोर्ट इस लिहाज से अहम है कि इसमें औपचारिक स्रोतों से संरचनात्मक ऋण के रोजगार सृजन पर प्रभाव और आंशिक रोजगार एवं इसके निदान का अध्ययन किया गया है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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