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प्रेमानंद जी महाराज के पास कभी नहीं थे खाने के पैसे, जानिए आज कितनी हो सकती है संपत्ति?

Premanand Ji Maharaj Net Worth: प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां 18 साल से खराब हैं. उन्होंने खुद ही बताया है कि कभी खाने तक के पैसे नहीं थे. वृंदावन के काली देह क्षेत्र में उन्होंने किसी से भोजन मांगा था. उस दिन उन्हें उतना भी खाना नहीं मिला, जिससे उनका पेट भरता. आज वृंदावन में उनके आश्रम के आसपास फ्लैट और जमीन की कीमत लाखों-कराड़ों में है. उनका जीवन संघर्ष और भगवान की भक्ति सबके लिए प्रेरणादायी है.

Premanand Ji Maharaj Net Worth: प्रेमानंद जी महाराज से प्रसिद्ध श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज की शिक्षाएं और सत्संग लाखों लोगों को रोजाना प्रभावित करते हैं. रात के समय उनके दर्शन के लिए सैकड़ों भक्त उनके दर्शन करते हैं और सत्संग का लाभ उठाते हैं. उनके फॉलोअर्स में दिग्गज क्रिकेटर विराट कोहली और प्रसिद्ध अदाकारा अनुष्का शर्मा जैसे लोग शामिल है. चिंताजनक बात यह है कि प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां करीब 18-20 साल से खराब हैं. एक समय था, जब प्रेमानंद जी महाराज के पास खाने के पैसे नहीं थे. आइए, जानते हैं कि आज उनके पास कितनी संपत्ति हो सकती है.

ADPKD बीमारी से ग्रस्त हैं प्रेमानंद जी महारा

ऑनली माई हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रेमानंद जी महाराज ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) से पीड़ित हैं. यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें किडनी में सिस्ट बनते हैं और उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है. रिपोर्ट के अनुसार, उनकी दोनों किडनियां करीब 18-20 साल पहले खराब हो चुकी थीं. डॉक्टरों का मानना था कि वे अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे.

प्रेमानंद जी महाराज के डायलिसिस का खर्च

हिंदी की वेबसाइट न्यूज18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज से ग्रस्त प्रेमानंद जी महाराज को सप्ताह में तीन दिन डायलिसिस कराना पड़ता है. डॉक्टरों की एक टीम उनके आश्रम में आकर उनका डायलिसिस करते हैं. एक बार के डायलिसिस उन्हें कम से 2,000 रुपये खर्च पड़ते हैं. हफ्ते में तीन बार डायलिसिस होने पर यह सालाना खर्च करीब 9,36,000 तक पहुंचता है. प्रेमानंद जी ने अपनी दोनों किडनियों के नाम “राधा” और “कृष्ण” रखे हैं, जो उनकी गहन भक्ति भावना को दर्शाते हैं.

जब खाने के लिए भी नहीं थे पैसे

हिंदी की वेबसाइट जी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रेमानंद जी ने अपने जीवन के कठिन दौर को साझा करते हुए बताया कि जब वे किडनी की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, तब उन्हें खाने तक के पैसे नहीं होते थे. एक बार उन्होंने वृंदावन के काली देह क्षेत्र में भोजन मांगा, तो उन्हें बहुत ही थोड़ा खाना मिला, जिससे उनका पेट भी नहीं भर पाया. उस समय उन्होंने भगवान से प्रश्न किया कि इतनी कठिन परीक्षा क्यों ले रहे हैं?

प्रेमानंद जी महाराज के ऐसे बदले दिन

प्रेमानंद जी का कहना है कि उनके जीवन में उसी दिन से परिवर्तन आने लगा, जब वृंदावन के काली देह क्षेत्र में कम भोजन मिला था और उन्होंने भगवान से प्रश्न पूछा था. अब उनके पास वृंदावन परिक्रमा मार्ग पर “श्री हित राधा केलि कुंज” नामक एक आश्रम है. नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह आश्रम इस्कॉन मंदिर के पास भक्ति वेदांत हॉस्पिटल के सामने स्थित है.

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प्रेमानंद जी महाराज के आश्रम के आसपास फ्लैट्स की कीमतें

प्रेमानंद जी महाराज का आश्रम वृंदावन के जिस परिक्रमा मार्ग और इस्कॉन मंदिर के पास स्थित है, उस क्षेत्र में फ्लैट्स की कीमतें सुविधाओं और स्थान के अनुसार भिन्न होती हैं. रियल एस्टेट में प्रॉपटी की कीमतों का आकलन करने वाली वेबसाइट मैजिक ब्रिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, वृंदावन के परिक्रमा क्षेत्र में गोविंद आराधना में 784 वर्ग फीट का 1 बीएचके फ्लैट करीब 65 लाख रुपये में उपलब्ध है. इसकी दर करीब 8,290 रुपये प्रति वर्ग फीट है. पुष्पांजलि बैकुंठ में 600 वर्ग फीट का फ्लैट 40 लाख रुपये में मिल रहा है. वहीं, केशव मैजेस्टिक में 535 वर्ग फीट का फ्लैट 45.4 लाख रुपये में उपलब्ध है. 99 एकर्स डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, वृंदावन के संस्कार सिटी में 950 वर्ग फीट का 2 बीएचके फ्लैट इस समय 75 लाख रुपये में मिल रहा है. इन दरों के आधार पर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि प्रेमानंद जी का आश्रम और उसकी परिसंपत्ति कितने रुपये की हो सकती है.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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