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आरबीआई ने सरकार के लिए खोला खजाना, लाभांश देने में तोड़ा रिकॉर्ड

RBI Dividend Payment to Government: आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लाभांश के बारे में निर्णय अगस्त, 2019 में अपनाए गए ईसीएफ के आधार पर लिया गया है. बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने ईसीएफ की अनुशंसा की थी.

RBI Dividend Payment to Government: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकार के लिए अपना खजाना खोल दिया है. उसने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लाभांश देने के मामले में अब तक के सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित की गई केंद्रीय बैंक की 608वीं बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार को लाभांश के तौर पर 2.11 लाख करोड़ रुपये के भुगतान की मंजूरी दे दी गई है. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो केंद्रीय बैंक की ओर से लाभांश के तौर पर भुगतान की जाने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी रकम है. इससे पहले आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए सरकार को करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये का भुगतान लाभांश के तौर पर किया था.

वित्त वर्ष 2018-19 में हुआ था रिकॉर्ड भुगतान

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लाभांश के तौर आरबीआई की ओर से सरकार को दी जाने वाली 2.11 लाख करोड़ रुपये की रकम एक साल पहले के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है. केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लाभांश के तौर पर 87,416 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. इससे पहले, आरबीआई की ओर से लाभांश के तौर पर वित्त वर्ष 2018-19 में रिकॉर्ड भुगतान रहा था. उस समय रिजर्व बैंक ने सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का लाभांश दिया था.

राजकोषीय घाटा कम होने की उम्मीद

आरबीआई की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि निदेशक मंडल ने लेखा वर्ष 2023-24 के लिए केंद्र सरकार को अधिशेष के रूप में 2,10,874 करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दी. चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने आरबीआई और सार्वजनिक क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों से कुल 1.02 लाख करोड़ रुपये की लाभांश आय का अनुमान जताया था. अनुमान से अधिक लाभांश मिलने से सरकार को राजकोषीय घाटा कम करने में मदद मिलेगी. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में अपने व्यय एवं राजस्व के बीच अंतर यानी राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 फीसदी पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा हुआ है. आरबीआई के निदेशक मंडल ने वृद्धि परिदृश्य से जुड़े जोखिमों और वैश्विक एवं घरेलू आर्थिक परिदृश्य की भी समीक्षा की.

सीआरबी बढ़कर 6.50 फीसदी

इसके अलावा आरबीआई की 608वीं बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान रिजर्व बैंक के कामकाज पर चर्चा की गई और पिछले वित्त वर्ष के लिए इसकी वार्षिक रिपोर्ट एवं वित्तीय विवरण को मंजूरी दी गई. आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच व्यापक आर्थिक स्थितियों और कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए आकस्मिक जोखिम बफर (सीआरबी) को 5.50 फीसदी पर बनाए रखने का निर्णय लिया गया था. इससे वृद्धि एवं समग्र आर्थिक गतिविधि का समर्थन मिलने की उम्मीद थी. आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक वृद्धि में पुनरुद्धार होने पर सीआरबी को बढ़ाकर 6.00 फीसदी किया गया था. अर्थव्यवस्था में मजबूती और जुझारूपन बने रहने से निदेशक मंडल ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सीआरबी को बढ़ाकर 6.50 फीसदी करने का फैसला किया है.

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आरबीआई ने किस आधार पर लिया फैसला

आरबीआई ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए देय लाभांश राशि के बारे में निर्णय अगस्त, 2019 में अपनाए गए आर्थिक पूंजी ढांचे (ईसीएफ) के आधार पर लिया गया है. बिमल जालान की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति ने ईसीएफ की अनुशंसा की थी. समिति ने कहा था कि सीआरबी के तहत जोखिम प्रावधान को आरबीआई के बही-खाते के 6.5 से 5.5 फीसदी के दायरे में रखा जाना चाहिए.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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