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दाल पर बवाल, आयात बढ़ने पर संसदीय समिति ने सरकार से पूछे सवाल

Pulses Import: भारत में दालों और तिलहनों के घरेलू उत्पादन में पिछले एक दशक में तेज़ी से वृद्धि हुई है, लेकिन खाद्य तेलों के मामले में देश अब भी भारी आयात पर निर्भर है. 2023-24 में खाद्य तेलों की मांग का 56% आयात से पूरा हुआ, जिससे हर साल 80,000 करोड़ रुपये का आर्थिक भार पड़ता है. संसदीय समिति में सांसदों ने सस्ते खाद्य तेलों के स्वास्थ्य प्रभावों पर चिंता जताई और मंत्रालय ने आत्मनिर्भरता की दिशा में जारी प्रयासों को रेखांकित किया.

Pulses Import: देश में दाल और तिलहनों के आयात पर बवाल मचा हुआ है. इन दोनों खाद्य पदार्थों का आयात बढ़ने पर संसदीय समिति ने सरकार से सवाल पूछे हैं. उसके जवाब में सरकार ने संसदीय समिति को बताया कि पिछले 10 सालों में दालों और खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन एक दशक पहले की तुलना में अधिक गति से बढ़ा है. हालांकि, सांसदों ने घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत की आयात पर निर्भरता पर चिंता भी जाहिर की है.

दाल और खाद्य तेलों के उत्पादन में बढ़ोतरी

सरकार ने कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण संबंधी संसद की स्थायी समिति को बताया कि पिछले 10 वर्षों में भारत में दालों और खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. 2014-15 से 2024-25 के बीच तिलहन उत्पादन में 55% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 में तिलहन उत्पादन का अनुमान 426.09 लाख टन है, जो इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक अहम कदम है.

आयात पर निर्भरता कायम

हालांकि, सांसदों ने खाद्य तेलों के भारी आयात पर चिंता जताई है. कृषि मंत्रालय की ओर पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2023-24 में 156.6 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जो घरेलू मांग का 56% है. विशेष रूप से पाम तेल की मांग पूरी तरह से आयात पर निर्भर है, जिससे देश पर सालाना 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक बोझ पड़ रहा है.

स्वास्थ्य पर भी उठे सवाल

कुछ सांसदों ने सस्ते आयातित खाद्य तेलों के स्वास्थ्य प्रभावों को लेकर भी चिंता जताई. उनका कहना था कि कम गुणवत्ता वाले तेलों का अत्यधिक उपयोग जनस्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है.

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2004-05 से 2014-15 में 13% बढ़ा तिलहन उत्पादन

कृषि मंत्रालय की ओर से पेश किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2014-15 के बीच तिलहन उत्पादन में केवल 13% की वृद्धि हुई थी, जबकि पिछले दशक में यह आंकड़ा चार गुना तक बढ़ा है. मंत्रालय ने इसे नीतिगत प्रयासों और अनुसंधान आधारित कृषि सुधारों का नतीजा बताया.

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KumarVishwat Sen
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कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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