Success Story: मोहन सिंह ओबेरॉय का नाम भारत के हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में एक प्रतिष्ठित हस्ती के रूप में जाना जाता है. उन्हें भारत में होटल इंडस्ट्री का पायनियर माना जाता है. उन्होंने ओबेरॉय होटल्स एंड रिसॉर्ट्स की स्थापना की, जो आज देश का दूसरा सबसे बड़ा होटल ब्रांड है.
जूते की फैक्ट्री में काम किया
मोहन सिंह ओबेरॉय का प्रारंभिक जीवन संघर्षों से भरा था. अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए उन्होंने अपने चाचा की जूते की फैक्ट्री में काम करना शुरू किया. दुर्भाग्यवश, भारत-पाक विभाजन के दौरान हुए दंगों के कारण फैक्ट्री बंद हो गई. इसके बाद वह शिमला आ गए और वहां स्थित सेसिल होटल में क्लर्क की नौकरी करने लगे.
कुछ वर्षों बाद, जब होटल के प्रबंधक ने एक छोटा होटल खरीदा, तो उन्होंने मोहन सिंह ओबेरॉय को अपने साथ काम करने के लिए ऑफर किया. 1934 में मोहन सिंह ओबेरॉय ने क्लार्क होटल को खरीदकर अपने होटल व्यवसाय की शुरुआत की. इस होटल को खरीदने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के गहने और अपनी सारी संपत्ति गिरवी रख दी. चार साल बाद, 1938 में, उन्होंने कोलकाता स्थित ग्रैंड होटल को लीज पर लिया. इस होटल में 500 कमरे थे. अपने दृढ़ संकल्प और प्रबंधन कौशल के बल पर उन्होंने इस होटल को एक सफल और लाभदायक व्यवसाय में बदल दिया.
2001 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित
ग्रैंड होटल की सफलता के बाद मोहन सिंह ओबेरॉय ने भारत और अन्य देशों में एक के बाद एक कई होटल स्थापित किए. वर्तमान में ओबेरॉय ग्रुप के भारत, इंडोनेशिया, मिस्र, यूएई, मॉरीशस और सऊदी अरब सहित कई देशों में कुल 31 लग्ज़री होटल और रिजॉर्ट संचालित हैं. ये सभी होटल अपने वैश्विक स्तर के उच्च गुणवत्ता वाले सेवा और सुविधा के लिए प्रसिद्ध हैं. भारतीय होटल इंडस्ट्री में योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2001 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया. उन्हें भारतीय हॉस्पिटैलिटी उद्योग का ‘पिता’ कहा जाता है.
वर्तमान में ओबेरॉय ग्रुप की बाजार कीमत लगभग 12,700 करोड़ रुपये है. यह समूह अपनी हाई क्वालिटी वाली सेवाओं के लिए दुनियाभर में मशहूर है. ओबेरॉय और ट्राइडेंट जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड्स के जरिए उन्होंने भारतीय हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को वैश्विक पहचान दिलाई.
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