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वर्क फ्रॉम होम करने वालों को बजट 2022 में टैक्स छूट के साथ मिल सकते हैं कई लाभ, जानिए कैसे?

अभी हाल ही में केपीएमजी इंडिया ने एक सर्वे किया था, जिसमें लोगों ने सरकार से बजट 2022 में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की है.

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के इस दौर में ज्यादातर नौकरी-पेशा लोग घर से काम (वर्क फ्रॉम होम-WFH) कर रहे हैं. ऐसे में लोगों का इंटरनेट और बिजली बिल, फर्नीचर समेत कई प्रकार के खर्चों में बढ़ोतरी हो गई है, जिसकी वजह से उनके कंधों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2022 पेश करने वाली हैं. उम्मीद यह की जा रही है कि बजट 2022 में केंद्र की मोदी सरकार वर्क फ्रॉम होम करने वालों को टैक्स में छूट के साथ ही कई प्रकार के लाभ भी दे सकती है.

सर्वे में लोगों ने की है सरकार से छूट की मांग

अभी हाल ही में केपीएमजी इंडिया ने एक सर्वे किया था, जिसमें लोगों ने सरकार से बजट 2022 में टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की मांग की है. केपीएमजी के सर्वे में शामिल लोगों में से करीब 64 फीसदी लोगों ने वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में इनकम टैक्स में छूट की सीमा को 2.50 लाख रुपये से बढ़ाने की उम्मीद जाहिर की है. वहीं, करीब 36 फीसदी लोगों ने एक फरवरी, 2022 को पेश होने वाले बजट में सरकार आयकर कानून की धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा को 1.50 लाख रुपये से अधिक बढ़ाने संभावना जताई है.

50 हजार से अधिक हो सकता है स्टैंडर्ड डिडक्शन

इसके साथ ही, सर्वे में शामिल करीब 19 फीसदी लोगों ने कहा कि वेतनभोगियों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की मौजूदा सीमा को 50,000 रुपये से अधिक बढ़ाया जा सकता है. वहीं 16 फीसदी लोगों ने कहा कि कि बजट 2022 में वेतनभोगियों के लिए घर से काम करने की व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कर मुक्त भत्ता समेत दूसरे लाभ भी दिए जा सकते हैं. इसमें इंटरनेट कनेक्शन, फर्नीचर और ईयरफोन के लिए प्रावधान किए जाने की उम्मीद है.

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कॉरपोरेट टैक्स घटाने की मांग

केपीएमजी इंडिया के सर्वे के मुताबिक, विदेशी और भारतीय कंपनियों के लिए लागू कॉरपोरेट टैक्स की दर के बीच अंतर बढ़ गया है. सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 से घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स को 22 से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है. फिलहाल, विदेशी कंपनियों की भारतीय शाखाओं पर 40 फीसदी टैक्स लगता है. सर्वे में शामिल लोगों ने कहा कि वर्ष 2019 में टैक्स कटौती के बाद विदेशी कंपनियों की भारतीय शाखाओं के लिए लागू दर घटाने की जरूरत है.

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