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रेड में जब्त पैसों का क्या करता है Enforcement Directorate, पढ़ें रिपोर्ट

ED Functions: आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय कोई छापेमारी या कार्रवाई करता है, तो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सजा सात साल से अधिक नहीं होती है.

ED Functions: आर्थिक अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच और कानूनी कार्रवाई करने वाली सरकारी एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जब छापेमारी में नकदी जब्त करता है, तो फिर वह उन पैसों का क्या करता है? यह सवाल हर किसी के मन इसलिए पैदा होता है, क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय पिछले कई बरस से भ्रष्टाचार में कथाकथित तरीके से लिप्त नेताओं और अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी करता है और करोड़ों रुपयों की नकदी बरामद करता है. मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जांच एजेंसी को पैसे जब्त करने का अधिकार है, लेकिन वह बरामद नकदी को अपने पास नहीं रख सकती. तब ऐसी स्थिति में प्रवर्तन निदेशालय छापेमारी में जब्त किए गए पैसों को एजेंसी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) या भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में सरकार के बैंक खातों में पैसे जमा कराती है.

नकदी जब्ती के बाद कैसे काम करता है प्रवर्तन निदेशालय?

सरकारी जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय जब किसी के ठिकानों पर छापेमारी करता है, तो वह वहां से बरामद सभी सामानों का पंचनामा तैयार करता है. पंचनामा एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसमें किसी अधिकारी द्वारा घटनास्थल पर किए गए सबूतों और निष्कर्षों को दर्ज किया जाता है. इस दस्तावेज में चल संपत्ति (गाड़ी, नकदी और आभूषण आदि) और अचल (घर, जमीन, कार्यालय) दोनों तरह की संपत्तियां शामिल होती हैं. सभी संपत्तियों को शामिल करने के बाद सभी वस्तुओं की एक विस्तृत सूची बनाई जाती है. जिस व्यक्ति के ठिकानों में छापा मारा गया है, पंचनामा पर उसके हस्ताक्षर लिए जाते हैं.

कहां भेजी जाती हैं जब्त गाड़ियां?

छापेमारी के दौरान जब्त किए गए गाड़ियों को सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के गोदामों में भेजा जाता है. यहां पर गाड़ियों को रखने के बाद प्रवर्तन निदेशालय गाड़ियों की पार्किंग के लिए पैसों का भुगतान करता है. ऐसा इसलिए किया किया जाता है, ताकि जब्त की गई नकदी या गाड़ियां खराब या क्षतिग्रस्त न हों. एक बार अनंतिम कुर्की आदेश पारित होने के बाद संपत्ति 180 दिनों के लिए प्रवर्तन निदेशालय से जुड़ी रहेगी. इस अवधि की समय सीमा ऐसे आदेश पारित होने की तारीख से लेकर एलडी एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी की ओर से कुर्की आदेश की पुष्टि होने तक होगी. इस समय सीमा के दौरान, यदि प्रवर्तन निदेशालय किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करता है, तो एजेंसी को अभियोजन शिकायत दर्ज करने के लिए 60 दिन मिलते हैं.

कितने साल की सजा?

आर्थिक अपराध, भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय कोई छापेमारी या कार्रवाई करता है, तो धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सजा सात साल से अधिक नहीं होती है. प्रवर्तन निदेशालय से संबंधित एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और पीएमएलए दोनों पूरे भारत में लागू होते हैं. इसलिए, प्रतर्वन निदेशालय उन्हीं लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, जिन पर यह कानून लागू होता है.

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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