Dr M K Ranjitsinh in Hindi: आज हम एक अनोखी और प्रेरणादायक कहानी पढ़ेंगे जो एक राजकुमार के साहसिक कदमों की दास्तान है. यह कहानी है एमके रंजीत सिंह की, जिन्होंने शाही जीवन की सारी सुख-सुविधाओं और उपाधियों को छोड़कर यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की परीक्षा में बैठने का निर्णय लिया था. यहां आपको बताएंगे कि कैसे शाही परिवार का सदस्य होते हुए भी रंजीत सिंह ने प्रशासनिक सेवा में एक नई राह अपनाई और अब उन्हें चीता मैन भी कहा जाता है.
एमके रंजीत सिंह का शुरुआती जीवन (Dr M K Ranjitsinh Story)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 फरवरी 1948 को रणजीत सिंह जी का जन्म हुआ था. उन्हें यह नाम इसलिए दिया गया क्योंकि उनके पिता एक प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी थे और जामनगर के जाम साहब रणजीत सिंह के घनिष्ठ मित्र थे. ब्रिटिश शासन के दौरान काठियावाड़ के निकट यह रियासत एक रियासत थी, जो लगभग 300 साल पुरानी थी. यह अब गुजरात के राजकोट जिले में आता है.
1961 में दी थी आईएएस की परीक्षा (Dr M K Ranjitsinh)
स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र में परिवर्तन हो रहा था. परिणामस्वरूप उन्होंने आईएएस में जाने का निर्णय लिया. वे अन्य राजपरिवार के सदस्यों की तुलना में अपनी पढ़ाई में अधिक रहते थे. 1961 में जब उन्होंने आईएएस की परीक्षा दी तो उनका चयन हुआ. यह पहली बार था जब देश के राजपरिवार का कोई सदस्य सेवा में भाग ले रहा था. आईएएस के रूप में नियुक्त होने वाले राजपरिवार के पहले सदस्य रणजीत सिंह ने शैक्षणिक रूप से अच्छा प्रदर्शन किया.
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तेंदुओं पर लिखी किताब को लेकर भी चर्चा में रहे
रंजीत ने मध्य प्रदेश के कई जिलों में कलेक्टर के तौर पर काम किया। इसके बाद कई और महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. कई वन्यजीव पुस्तकों के लेखक एमके रंजीत सिंह न केवल वाइल्ड ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे, बल्कि उन्होंने कई वन्यजीव संगठनों के साथ भी काम किया. बाद में उन्होंने बहुचर्चित पुस्तक ए लाइफ विद वाइल्डलाइफ- फ्रॉम प्रिंसली टू प्रेजेंट लिखी.
वन्यजीव संरक्षण पर किया काम (Dr M K Ranjitsinh in Hindi)
आईएएस की पोस्टिंग के दौरान कई जिलों में जंगली वन्यजीव थे तो उन्होंने वन्यजीवों पर बड़े पैमाने पर काम करने के दौरान वन्यजीव संरक्षण पर काम करना शुरू किया. बाद में उन्हें पदोन्नति मिली और उन्हें मध्य प्रदेश सरकार का पर्यटन और वन सचिव नियुक्त किया गया. उन्होंने एक ही समय में राज्य के वन्यजीव संरक्षण के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की.
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वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 लिखा (Ex-IAS Officer Dr M K Ranjitsinh)
भारत सरकार के वन और वन्यजीव उप सचिव के रूप में कार्य करते हुए वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 लिखा. यह कानून वन्यजीवों के लिए भारत की एकमात्र आशा बना हुआ है. उन्होंने राज्यों को राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों की स्थापना के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता देने की योजनाएं बनाईं। बाद में उन्होंने भारत के पहले बाघ अभयारण्यों की पहचान में योगदान दिया. राज्य के वन सचिव के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने मध्य प्रदेश में तीन और राष्ट्रीय उद्यानों की सीमाओं का विस्तार किया।
देश में टाइगर (Tigers) की वापसी का था सपना…
2022 में जब मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में आठ अफ्रीकी चीते छोड़े गए तो डॉ. एम.के. रंजीतसिंह झाला अधिक प्रसन्न थे. क्योंकि पूर्व आईएएस अधिकारी रंजीतसिंह 1972 के वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम के निर्माताओं में से एक थे और उनका बचपन का सपना था कि देश में चीतों (Tigers) को फिर से लाया जाए.