Success Story: कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो…” इस मशहूर पंक्ति को बिहार के किशनगंज जिले के छोटे से गांव खारुदह के अनिल बोसाक ने साकार कर दिखाया है. गरीबी, संघर्ष और अभावों से जूझते हुए भी उन्होंने अपने सपनों को न केवल जिंदा रखा, बल्कि उन्हें IAS अफसर बनकर सच्चाई में बदल दिया.
अनिल के पिता संजय बोसाक गांव-गांव घूमकर कपड़े बेचते थे. परिवार की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब होती थी. बावजूद इसके, पिता ने बेटे की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर भी हार नहीं मानी, और अनिल ने भी पिता के संघर्ष को कभी व्यर्थ नहीं जाने दिया.
IAS में मिली 45वीं रैंक, गांव में छाई खुशी
यूपीएससी 2020 में अनिल ने ऑल इंडिया 45वीं रैंक हासिल की. इससे पहले 2019 में उन्हें 616वीं रैंक मिली थी, लेकिन वे संतुष्ट नहीं हुए और दोबारा परीक्षा दी. इस बार उन्होंने इतिहास रच दिया और अपने गांव का नाम पूरे देश में रोशन कर दिया. नतीजे आने के बाद पूरे गांव में जश्न का माहौल बन गया.
आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई, संघर्षों से भरा सफर
अनिल बचपन से ही पढ़ाई में होनहार थे. उन्होंने 8वीं तक की शिक्षा ओरियंटल पब्लिक स्कूल, किशनगंज से और 12वीं बाल मंदिर सीनियर सेकेंड्री स्कूल से पूरी की. साल 2014 में उनका चयन आईआईटी दिल्ली में सिविल इंजीनियरिंग के लिए हुआ. चार भाइयों में दूसरे नंबर के अनिल अपनी सफलता के दम पर आज लाखों युवाओं के प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं.
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