Success Story: झारखंड को एक और युवा और तेजतर्रार अफसर मिला है—IAS अधिकारी कर्ण सत्यार्थी, जिन्हें हाल ही में जमशेदपुर (पूर्वी सिंहभूम) का नया उपायुक्त (DC) नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति झारखंड सरकार द्वारा 26 मई 2025 को किए गए बड़े प्रशासनिक फेरबदल के तहत हुई, जिसमें 20 जिलों के उपायुक्तों का स्थानांतरण किया गया.
धनबाद से शुरू हुआ सफर
कर्ण सत्यार्थी का जन्म झारखंड के धनबाद जिले के सिंदरी शहर में हुआ. एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले कर्ण के पिता प्रो. प्रफुल्ल शर्मा BIT सिंदरी में सिविल इंजीनियरिंग विभाग में शिक्षक हैं, जबकि उनकी मां तनुजा शर्मा एक गृहिणी हैं. बचपन से ही पढ़ाई में होशियार कर्ण ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा डि-नोबिली स्कूल, डिगवाडीह से प्राप्त की, और 12वीं की पढ़ाई लॉयंस पब्लिक स्कूल, सिंदरी से पूरी की.
IIT से UPSC तक का सफर
कर्ण का सपना था देश के लिए कुछ करने का, और इस दिशा में उन्होंने ठान लिया कि वे UPSC की कठिन परीक्षा में सफल होंगे. 2010 में उन्होंने आईआईटी खड़गपुर में दाखिला लिया और B.Tech की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की. पहले प्रयास में वह महज 19 अंकों से सफल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. दूसरे प्रयास में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए देशभर में 9वीं रैंक हासिल की. यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे झारखंड के लिए गर्व की बात बनी.
परिवार बना सबसे बड़ा सहारा
कर्ण अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और बड़ी बहन को देते हैं. वे कहते हैं कि जब भी मनोबल गिरा, परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. उनके अनुसार, अगर संकल्प पक्का हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती.
जनसेवा में सादगी और तकनीक का मेल
कर्ण सत्यार्थी को उनकी सादगी, पारदर्शिता और जनसेवा के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता है. प्रशासनिक कामकाज में तकनीक का समुचित उपयोग, नवाचार और जनभागीदारी को वे विशेष महत्व देते हैं. वे मानते हैं कि प्रशासन का उद्देश्य केवल आदेश देना नहीं, बल्कि लोगों की जरूरतों को समझते हुए योजनाओं को ज़मीन पर उतारना होना चाहिए.
जमशेदपुर के लिए विकास की योजनाएं
जमशेदपुर के नए DC के रूप में कर्ण सत्यार्थी का फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और बुनियादी ढांचे के सुधार पर है. वे चाहते हैं कि सरकारी योजनाओं का लाभ आम नागरिकों तक सीधे पहुंचे और समस्याओं का समाधान समय पर हो. उनका कहना है कि प्रशासन तभी सफल है जब जनता को राहत मिले और विकास हर गली-मोहल्ले तक पहुंचे.
युवाओं के लिए प्रेरणा
कर्ण सत्यार्थी की कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है. यह कहानी बताती है कि कठिन परिश्रम, धैर्य और आत्मविश्वास के साथ कोई भी सपना साकार किया जा सकता है. झारखंड को उनसे बहुत उम्मीदें हैं और जमशेदपुर को एक ऐसा नेतृत्व मिला है जो न केवल सक्षम है, बल्कि संवेदनशील भी है.
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