Success Story in Hindi: हर साल लाखों छात्र UPSC सिविल सेवा परीक्षा में बैठते हैं, जो देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है. लेकिन कुछ ही लोग होते हैं जो लगातार मेहनत और धैर्य से अपने सपनों को सच करते हैं. ऐसी ही कहानी है दिल्ली की IAS अधिकारी प्रियंका गोयल की, जिन्होंने पांच बार असफल होने के बावजूद हार नहीं मानी और आखिरकार छठे प्रयास में सफलता हासिल की.
कौन हैं प्रियंका गोयल?
प्रियंका गोयल दिल्ली की रहने वाली हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा महाराजा अग्रसेन मॉडल स्कूल, पीतमपुरा से पूरी की. इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के केशव महाविद्यालय से बी.कॉम की पढ़ाई की. ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की और खुद को पूरी तरह इस कठिन परीक्षा के लिए समर्पित कर दिया. (Success Story Priyanka Goyal in Hindi)
प्रियंका गोयल न सिर्फ एक मेहनती और बुद्धिमान अधिकारी हैं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी उनकी अच्छी खासी फॉलोइंग है. वह इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहती हैं और वहां प्रेरणादायक पोस्ट और अपने जीवन के अनुभव साझा करती हैं. इंस्टाग्राम पे उनका 227k से ज्यादा फॉलोवर्स है. उनकी सादगी और आत्मविश्वास ने हजारों युवाओं को प्रेरित किया है.
UPSC में प्रियंका की रैंक
प्रियंका ने UPSC की परीक्षा में कुल छह प्रयास किए. पहले पांच बार उन्हें असफलता मिली, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी. साल 2022 में, अपने छठे और अंतिम प्रयास में उन्होंने 369वीं रैंक हासिल कर अपना सपना पूरा किया. आज वो DANICS में पदस्थापित हैं और अपना सेवा दे रही हैं.
DANICS (Delhi, Andaman and Nicobar Islands Civil Services) एक केंद्रीय सिविल सेवा है जो दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन-दीव और दादरा-नगर हवेली जैसे केंद्रशासित प्रदेशों में प्रशासनिक कार्यों के लिए होती है. इस सेवा में भर्ती UPSC द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से की जाती है. DANICS अधिकारियों को बाद में प्रमोशन के जरिए AGMUT कैडर में IAS बनने का अवसर भी मिलता है.
प्रियंका का UPSC में सफल होने की कहानी
उनका सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था. पहले प्रयास में वे प्रीलिम्स परीक्षा में इसलिए असफल रहीं क्योंकि उन्हें पाठ्यक्रम की पूरी समझ नहीं थी. दूसरे प्रयास में उन्होंने काफी मेहनत की, लेकिन दुर्भाग्यवश वे महज 0.7 अंक से कट-ऑफ से पीछे रह गईं. तीसरे प्रयास में वे मेन्स परीक्षा तक पहुंचीं, लेकिन वहां सफलता हाथ नहीं लगी. चौथे प्रयास में सीसैट (CSAT) पेपर में कठिनाई आने के कारण वे फिर से पीछे रह गईं.
पांचवें प्रयास के दौरान उनकी मां गंभीर रूप से बीमार हो गईं, जिससे उनका मानसिक संतुलन प्रभावित हुआ और इसका असर उनकी तैयारी पर भी पड़ा. इस कठिन दौर में वे फिर असफल हो गईं. इन तमाम असफलताओं के बीच उन्हें परिवार और समाज की ओर से शादी का भी दबाव झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं हटने दिया. उनके हौसले और संकल्प की यही दृढ़ता उन्हें आगे ले जाती रही.
पढ़ें: Success Story: बिहार के किशनगंज का अनिल बसक, सड़क किनारे ठेला लगाने वाले के बेटे से बने IAS अधिकारी
Success Story in Hindi: हिम्मत और लगन की मिसाल
प्रियंका की कहानी उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है जो UPSC या किसी भी कठिन परीक्षा में बार-बार असफल हो रहे हैं. उन्होंने यह साबित किया कि अगर हौसला मजबूत हो, तो कितनी भी कठिन राह क्यों न हो, मंजिल पाई जा सकती है. उनका संघर्ष यह सिखाता है कि हर असफलता, सफलता की ओर एक कदम होती है.