UPSC Factory: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में स्थित माधोपट्टी गांव किसी परिचय का मोहताज नहीं है. यह गांव पूरे भारत में ‘आईएएस-आईपीएस गांव’ के नाम से जाना जाता है. इसकी वजह है यहां के युवाओं की अभूतपूर्व सफलता, जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षाओं में कामयाबी हासिल कर देश की प्रशासनिक व्यवस्था में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. महज 75 परिवारों वाले इस छोटे से गांव ने 40 से अधिक आईएएस, आईपीएस और पीसीएस अधिकारी दिए हैं, जो किसी भी गांव के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है. प्रधानमंत्री मोदी ने 16 मई 2024 को जौनपुर में एक चुनावी सभा के दौरान इस गांव का जिक्र किया था.
सफलता की परंपरा, एक परिवार से पांच IAS-IPS
माधोपट्टी की सबसे खास बात यह है कि यहां प्रशासनिक सेवाओं में जाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही है. यहां एक ऐसा परिवार भी है, जिसमें से पांच सदस्य आईएएस और आईपीएस बन चुके हैं. इस गांव के लोगों ने साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत और शिक्षा के प्रति समर्पण से किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता है.
अन्य क्षेत्रों में भी बनाया नाम
माधोपट्टी सिर्फ सिविल सेवाओं तक सीमित नहीं है. इस गांव के युवाओं ने विज्ञान, शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. यहां के कई लोग इसरो, नासा और संयुक्त राष्ट्र (UNO) जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं में कार्यरत हैं.
शिक्षा के प्रति गहरा लगाव
गांव की इस सफलता के पीछे मुख्य कारण यहां की शिक्षा प्रणाली और अध्ययन का माहौल है. माधोपट्टी में शिक्षा को सर्वोपरि माना जाता है. हर घर में बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया जाता है और प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सपना बचपन से ही देखा जाता है.
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युवाओं के लिए प्रेरणा
माधोपट्टी गांव उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं. यह गांव बताता है कि सफलता सिर्फ संसाधनों पर नहीं, बल्कि इच्छाशक्ति और परिश्रम पर निर्भर करती है. अगर सही दिशा में मेहनत की जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं.
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