Success Story: जहां लाखों युवा IAS बनने का सपना देखते हैं, वहीं अयोध्या की विदुषी सिंह ने इस सपने को बेहद कम उम्र में साकार कर दिखाया—वो भी बिना किसी कोचिंग के. महज 21 साल की उम्र में, अपने पहले ही प्रयास में UPSC जैसी कठिन परीक्षा पास कर ऑल इंडिया रैंक 13 हासिल करना अपने आप में एक मिसाल है. लेकिन विदुषी की कहानी यहीं खत्म नहीं होती. उन्होंने IAS या IPS नहीं, बल्कि अपने दादा-दादी के सपने को पूरा करने के लिए Indian Foreign Service (IFS) का रास्ता चुना.
विदुषी का परिचय
विदुषी सिंह मूल रूप से अयोध्या, उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं. उनका जन्म हालांकि राजस्थान के जोधपुर में हुआ था. उनके पिता दीपेंद्र प्रताप सिंह अयोध्या में विद्युत विभाग में इंजीनियर हैं, जबकि मां प्रीति सिंह एक सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापिका हैं. बचपन से ही उन्हें घर में पढ़ाई का गंभीर माहौल मिला, जिसने उनकी सोच और दिशा को बहुत प्रभावित किया.
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन
विदुषी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए (ऑनर्स) इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया. कॉलेज के दौरान ही उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी. सेकेंड ईयर तक उन्होंने पूरा सिलेबस कवर कर लिया था और थर्ड ईयर के खत्म होते ही परीक्षा के लिए तैयार थीं.
बिना कोचिंग मिली बड़ी सफलता
UPSC जैसी परीक्षा के लिए जहां छात्र वर्षों तक कोचिंग संस्थानों में मेहनत करते हैं, वहीं विदुषी ने बिना किसी कोचिंग के यह सफलता हासिल की. उन्होंने 2022 की UPSC परीक्षा में पहली ही बार में सफलता पाई और ऑल इंडिया रैंक 13 प्राप्त की.
IAS नहीं, चुनी IFS
सबसे खास बात यह रही कि टॉप रैंक लाने के बावजूद विदुषी ने IAS या IPS सेवा को नहीं चुना. उन्होंने अपने Detailed Application Form में IFS (Indian Foreign Service) को प्राथमिकता दी. उनका मानना है कि विदेश सेवा के माध्यम से वे भारत का प्रतिनिधित्व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कर सकती हैं—यही सपना उनके दादा-दादी का भी था.
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