23 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

FIFA फीवर : झारखंड में फुटबॉल से रुक रहा है पलायन, लड़कियां दे रही लड़कों को टक्‍कर : VIDEO

पंकज कुमार पाठक/अमलेश नंदन सिन्‍हा रांची : फीफा का फीवर. इस टैगलाइन के साथ हम आपको राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में फुटबॉल से जुड़ी गतिविधियों से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में आज प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम रांची से करीब 25 किलोमीटर दूर भुसूर गांव पहुंची. यहां […]

पंकज कुमार पाठक/अमलेश नंदन सिन्‍हा

रांची : फीफा का फीवर. इस टैगलाइन के साथ हम आपको राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में फुटबॉल से जुड़ी गतिविधियों से अवगत कराने का प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में आज प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम रांची से करीब 25 किलोमीटर दूर भुसूर गांव पहुंची. यहां पांच साल की छोटी बच्चियां भी फुटबॉल खेलते नजर आ जायेंगी. एनजीओ आशा की ओर से करीब 200-250 बच्चियों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दी जा रही है. इनका कार्यक्रम रांची और खूंटी जिले में चल रहा है.

प्रभात खबर डॉट कॉम ये बातचीत के क्रम में आशा एनजीओ की शुभा ने बताया कि दोनों जिलों में उनकी सखी सहेली ग्रुप से करीब 4000 महिलाएं और बच्चियां जुड़ी हैं. जिनमें 200 से 250 लोग एक्टिव हैं. सखी-सहेली के माध्‍यम से दोनों जिलों में 10-10 समितियां तैयार की गयी हैं और बच्चियों को फुटबॉल के माध्‍यम से सशक्‍त बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

संस्‍था के अजय कुमार जायसवाल ने बताया कि झारखंड के कई बच्चे-बच्चियों को बहलाकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत कई दूसरी जगहों में बेच दिया जाता है. मासूम बच्चियां कहीं नौकरानी का काम करती हैं, तो कहीं गलत कामों में फंसा दी जाती हैं. उनका दलालों के चंगुल से निकलना मुश्किल हो जाता है. अगर किसी तरह छुप कर घरवालों से संपर्क भी करती हैं, तो घरवाले इतने सक्षम नहीं होते कि उन्हें वापस ला सके. ऐसे में गैर सरकारी और सरकारी संगठन की मदद से इन्हें छुड़ा कर वापस लाया जाता है.

उन्‍होंने कहा कि हमारी संस्‍था वैसी बच्चियों को अपने पैरों पर खड़ा होने का गुर सिखाती है और उन्‍हें सुरक्षित पलायन के बारे में भी बताती है. आशा संस्था (एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेरनेस) की अध्यक्ष पूनम टोप्पो और सचिव अजय जायसवाल इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उनकी संस्था में फिलहाल 70 से ज्यादा बच्चे रह रहे हैं. यहां रह रहे हर एक बच्चे की आंखों में सपना है.

अजय ने बताया कि साल 2011 में सखी सहेली नाम से एक ग्रुप बना. सुभा ने इस ग्रुप को बनाने में अहम भूमिका निभायी. गांव में एक्टिव दलालों से नौ साल से निपट रही हैं. उन्‍हें कई बार धमकियां मिली, लेकिन सखी सहेली एक्टिव होकर काम करती रही. आज खूंटी और रांची में 500 लड़कियों का ग्रुप मिल कर काम कर रहा है. इसके 200 मेंटोर एक्टिव हैं. दलालों को गांव से दूर रखने के लिए लड़कियों ने अपनी किक का इस्तेमाल किया.

जागरूकता के लिए हथियार बना फुटबॉल. कई गांवों में टूर्नामेंट का आयोजन किया गया. ऐसी कई लड़कियां आज शानदार फुटबॉलर हैं, जो कभी बड़े शहरों में नौकरानी का काम कर रहीं थी. अब इस खेल और अभियान के जरिये उनकी अलग पहचान है. ग्रामसभा में सखी सहेली अलग पहचान बना रही है. कौशल विकास योजना से जुड़कर गांव में ही ट्रेनिंग ले रहीं है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel