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तुम बिन फेम सिने स्टार प्रियांशु चटर्जी को पलामू से हो गया प्यार, शूटिंग के सिलसिले में आये थे ऐक्टर

तुम बिन फेम सिने स्टार प्रियांशु चटर्जी अपनी अगली फिल्म मेही की शूटिंग के सिलसिले में पलामू आये थे. पलामू की वादियों में 20 दिनों तक इनकी शूटिंग चली. इस दौरान अभिनेता को पलामू से प्यार हो गया. उन्होंने यहां के लोगों की भी खूब तारीफ की.

पलामू, सैकत चटर्जी. पलामू में इन दिनों हिंदी फीचर फिल्म मेही की शूटिंग चल रही है. इसी फिल्म में बतौर अभिनेता अपने शूटिंग के सिलसिले में बॉलीवुड और बांग्ला फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेता प्रियांशु चटर्जी पलामू आये थे. लगभग 20 दिनों तक पलामू और लातेहार के कई स्थानों पर उनकी शूटिंग चली. 20 दिनों के शूटिंग के दौरान उनसे खास बातचीत की गयी. आइए जानते हैं, अभिनेता प्रियांशु ने क्या-क्या कहा?

पलामू से प्यार हो गया है

सिने स्टार प्रियांशु से जब यह पूछा गया की पलामू आकर कैसा लगा तो उन्होंने झट से कहा पलामू से प्यार हो गया है. उन्होंने आगे जोड़ा की आपलोग बेहद खूबसूरत जगह में रहते हैं, जहाँ अभी भी शुद्धता है, सुकून है, सुंदरता है. अगर मौका मिला तो हमलोग इन हसीन वादियों में फिर मिलेंगे. चटर्जी ने कहा की यहां आने से पहले कभी पलामू टाइगर रिजर्व के विषय में नहीं सुना था. यहां आकर इसको नजदीक से देखने का मौका मिला. यहां  का अनुभव काफी अच्छा रहा. उन्होंने कहा की यहां मुझे स्थानीय बंगाली समिति द्वारा सम्मानित किया गया था, यह काफी सुखद अनुभव रहा. 

यहां के लोग काफी शूटिंग फ्रेंडली हैं 

प्रियांशु ने कहा की पलामू के लोग काफी शूटिंग फ्रेंडली हैं. अमूमन आउटडोर शूटिंग में क्राउड मैनेजमेंट एक मुश्किल टास्क होता है. इसके लिए शूटिंग करने वालों को काफी मैन पावर लगाना पड़ता है, यहाँ इसकी जरुरत नहीं पड़ी. लोग बहुत शालीनता के साथ शूटिंग देखते हैं, उन्हें जैसा कहा जाय वैसा ही रहते हैं. शूटिंग के दौरान मैदान में काफी सामान इधर-उधर बिखरा रहता है, लेकिन कभी भी कोई सामान खोया नहीं. यह बहुत बड़ी बात है. यहां जो भी  शूटिंग करने आएंगे, उसके लिए ये  एक प्लस पॉइंट होगा.

उन्होंने कहा कि उन्हें पलामू लाने में फिल्म मेही के एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर राहुल शुक्ल का बहुत अहम योगदान रहा. बताते चले की राहुल शुक्ल खुद भी एक फिल्म निर्माता है, जो निर्देशन भी करते हैं. हाल ही में उनकी फिल्म उपन्यास रिलीज हुई है, जिसकी शूटिंग मुंबई के साथ पलामू में भी हुई थी.

मेही एक आध्यात्मिक बायोपिक है

पलामू में चल रहे फिल्म के शूटिंग के विषय में प्रियांशु ने कहा कि फिल्म मेही एक आध्यात्मिक बायोपिक है. इसके निर्देशक दीपक शाह है.  इस फिल्म के कई आयाम हैं, जिसमें काम करने में मजा आ रहा है. फिल्म के कहानी के विषय में उन्होंने कहा कि चूंकि अभी फिल्म की शूटिंग चल रही है, इसलिए इसके बारे में कुछ बता नहीं सकते, पर इतना जरूर है कि इस फिल्म के जरिये पलामू और लातेहार को बेहद खुबसूरत ढंग से परदे पर दिखाया जायेगा. 

पलामू में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं  है 

फिल्म मेही में सिने स्टार प्रियांशु के साथ पलामू में सक्रिय कई कलाकारों ने काम किया है. प्रसिद्ध राम, अब्दुल हमीद, डॉ प्रवेश दुबे, अमर कुमार भांजा, उज्जवल सिन्हा, मुकेश विश्वकर्मा, सोनू विश्वकर्मा सहित कई कलाकार इस फिल्म में प्रियांशु के साथ नजर आएंगे.  स्टार ने कहा कि पलामू के कलाकार प्रतिभाशाली हैं. इन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है. पलामू जैसी  छोटी सी जगह में इतने सारे कलाकारों को देखकर उन्होंने हैरानी जताई और कहा कि किसी भी फिल्म मेकर के लिए यह एक कीमती दौलत है. एक साथ इतने सारे कलाकार एक जगह मिलने से फिल्म बनाने में सहूलियत होती है.

सीखने की कोई उम्र नहीं होती, मैं अभी भी सीख रहा हूं 

प्रियांशु ने कहा कि अपने कैरियर में तुम बिन जैसी हिट फिल्मों के बाद लगातार कई बड़े ऑफर के बावजूद उन्होंने पहले एक्टिंग सीखने को प्राथमिकता दी. ट्रेनिंग और पढ़ाई के कारण एक लंबा गैप हुआ,  हो सकता है इसका असर उनके कैरियर पर पड़ा हो, लेकिन उनके अंदर का कलाकार इससे तृप्त हो सका.

उन्होंने कहा कि सिनेमा कला के साथ-साथ तकनीकी पक्षों  का भी माध्यम है, इसलिए इसकी प्रॉपर ट्रेनिंग करनी चाहिए. उससे आपके अंदर की प्रतिभा को और भी निखरने का मौका मिलता है. उन्होंने किसी भी फिल्म की शूटिंग के  पहले उससे जुड़े कलाकारों का वर्कशॉप करने पर भी जोर दिया, उन्होंने कहा की वर्कशॉप हो जाने से हर किसी के सामने पूरा किरदार और फिल्म आईने की तरह साफ हो जाता है और अभिनय करने में सहूलियत होती है. 

चॉकलेटी हीरो से विलेन तक का सफर 

फिल्मों के शुरुआती दौर में  तुम बिन सहित दर्जनों फिल्मों में चॉकलेटी हीरो का किरदार निभाने वाले प्रियांशु बाद के दिनों में कई अलग-अलग भूमिकाओं में नजर आये. यहां तक कि उन्होंने हीरो होकर भी खलनायक की भूमिका स्वीकार की. उन्होंने बताया की अलग-अलग भूमिकाएं  करना ही कलाकार की प्राथमिकता होनी चाहिए.

प्रयांशु दो अलग-अलग बांग्ला फिल्मों के लिए महानायक उत्तम कुमार और सत्यजीत रे के चरित्र में भी नजर आये. रवीन्द्रनाथ टैगोर की भूमिका वाली किरदार में उन्होंने ऐसा जीवंत अभिनय किया कि लोग उन्हें असली टैगोर समझने लगे.

बातचीत के दौरान प्रियांशु ने स्वीकारा कि अन्य भूमिकाओं से हटकर किसी बायोपिक फिल्म में किसी खास चरित्र को निभाना ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम होता है. इसके लिए अलग से उस चरित्र को लेकर शोध करनी पड़ती है, पढ़ाई करनी पड़ती है. ऐसे चरित्र को करने के लिए एक अलग थॉट प्रोसेस से गुजरना पड़ता है. 

अब तक की  यादगार फिल्में

यूं तो बतौर मुख्य अभिनेता प्रियांशु ने हिंदी, बांग्ला, पंजाबी के सैकड़ो फिल्में की. उनमें से कुछ फिल्मों को उन्होंने खुद के लिए अहमियत वाला बताया. कई फिल्मों की चर्चा उन्होंने की. इन फिल्मो में तुम बिन, भूतनाथ, बादशाहो, पिंजर, मजाज, कोई मेरे दिल में है, मदहोशी, जूली, आपको पहले भी कही देखा है, सिरफिरे, लिटल बेबी, ऑफिसर अर्जुन सिंह आईपीएस, शिकारा, तीन सयाने,  हेट स्टोरी 3, बिल्लू उस्ताद आदि हिंदी फिल्में शामिल हैं. बांग्ला फिल्मों में उन्होंने इति मृणालिनी, शंखोचील, शुन्नो अंको, विधातार लेखा, अचेना उत्तम, भोरेर आलो, मोनेर मानुष आदि का जिक्र किया जो उन्हें अच्छे लगते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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