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Exclusive: झारखंड में फिल्म निर्माण के लिए परमिशन का प्रॉसेस बहुत पेचीदा: फिल्मकार अजय कुमार खलखो सावन

अजय कुमार खलखो सावन कहते हैं कि यूट्यूब के जरिए कई प्रतिभाशाली लोगों को मौका मिला है. लोगों का रुझान भी इस ओर बढ़ा है. पहले इस फील्ड में लोग ज्यादा नहीं आते थे. फिल्मों और म्युजिक वीडियो को लोग पसंद कर रहे हैं. हमारे पास लोकेशंस की कमी नहीं है, लेकिन यहां शूटिंग करना बहुत आसान नहीं है.

वर्ष 2000 में 15 नवंबर को अस्तित्व में आया अपना झारखंड इस साल अपने 22 साल पूरे करने जा रहा है. इन 22 सालों में हर क्षेत्र में राज्य ने उपलब्धियां हासिल की हैं. क्षेत्रीय सिनेमा में भी काफी बदलाव आया है. डायरेक्टर अजय कुमार खलखो सावन वर्षों से फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं. फिल्मों का डायरेक्शन तो करते ही हैं, कहानी लेखन, पटकथा लेखन, कैमरा ऑपरेटिंग, एडिटिंग, संगीत के साथ-साथ गीत भी लिखते हैं. अजय कुमार सिंगर भी हैं. वर्ष 2000 से अजय सिनेमा इंडस्ट्री से जुड़े हैं. हाल में उन्हें झारखंड राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म संपादक का पुरस्कार भी मिला है. झॉलीवुड सिनेमा में बदलाव को लेकर उन्होंने ‘प्रभात खबर’ (prabhatkhabar.com) से खास बातचीत की. उनका कहना है कि इस इंडस्ट्री में काफी बदलाव हुआ है. अब हम हम डिजिटल युग में हैं.

झारखंड में परमिशन का प्रॉसेस बहुत पेचीदा

अजय कुमार खलखो सावन कहते हैं कि यूट्यूब के जरिए कई प्रतिभाशाली लोगों को मौका मिला है. लोगों का रुझान भी इस ओर बढ़ा है. पहले इस फील्ड में लोग ज्यादा नहीं आते थे. फिल्मों और म्युजिक वीडियो को लोग पसंद कर रहे हैं. हमारे पास लोकेशंस की कमी नहीं है, लेकिन यहां शूटिंग करना बहुत आसान नहीं है. किसी जगह पर शूट करने के लिए परमिशन लेने का प्रॉसेस बहुत पेचीदा है. इसे थोड़ा आसान कर दिया जाये. राज्य में आर्ट एंड कल्चर और फिल्मों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को कुछ सुविधाएं देनी होगी. इतनी सहूलियत तो सरकार को देनी ही चाहिए कि कम से कम लोकल कलाकारों को कोई परेशानी नहीं हो.

फंडिंग सबसे बड़ी समस्या

झॉलीवुड सिनेमा में सबसे बड़ी समस्या फंडिंग की है. कोई प्रोड्यूसर पैसे नहीं लगाना चाहता. इसका कारण भी है. अगर उसे फायदा ही नहीं होगा, तो वो पैसे खर्च क्यों करेगा? इसके बावजूद हम अपने पैसे लगाकर फिल्में और वीडियो बनाते हैं. हमारे यहां के कलाकार भी खूब मेहनत करते हैं. सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी फिर से शुरू कर दी जाये, तो अच्छा है. इसी बहाने फिल्म में पैसे लगाने से लोग कतरायेंगे नहीं. सरकार को भी क्षेत्रीय सिनेमा की ओर ध्यान देने की जरूरत नहीं है.

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झारखंड में हो एक ड्रामा स्कूल

अजय कुमार खलखो सावन चाहते हैं कि अपने राज्य में भी कम से कम एक ड्रामा स्कूल हो. एक्टिंग, स्क्रिप्टिंग, कैमरे की पढ़ाई यहां होती, तो हमारा क्षेत्रीय सिनेमा और तेजी से आगे बढ़ता. इस वक्त अगर हम यहां बड़े स्तर पर फिल्म बनाना चाहें, तो नहीं बना सकते. हमारे कलाकार शानदार हैं, लेकिन टेक्निकल तौर पर हम थोड़े कमजोर हैं. सरकार इन बातों से अवगत है, लेकिन पता नहीं किन कारणों से इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है. क्षेत्रीय सिनेमा के माध्यम से लोग यहां की संस्कृति और व्यवहार से भी परिचित होते हैं. सरकार से गुजारिश है कि वो इस ओर ध्यान दे, तो झॉलीवुड इंडस्ट्री की कोशिश भी दोगुनी हो जायेगी.

Budhmani Minj
Budhmani Minj
Senior Journalist having over 10 years experience in Digital, Print and Electronic Media.Good writing skill in Entertainment Beat. Fellow of Centre for Cultural Resources and Training .

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