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लताजी अगले जन्म में लता मंगेशकर के रूप में जन्म लेना नहीं चाहती थी, अभिनेता धर्मेंद्र ने बतायी वजह…

लता जी की मृत्यु की खबर सुनकर मैं स्तब्ध रह गया. वह मेरी बहन से बढ़कर थी. मुझे जब यह खबर मिली मैं अपने फार्महाउस में था. मैंने कितनी बार सोचा है कि मैं लता जी को आखिरी बार देखने जाऊं.

स्वरकोकिला लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं हैं.अभिनेता धर्मेंद इस क्षति को अपने लिए एक बहुत बड़ा सदमा करार देते हैं. लता जी को धर्मेंद्र बहन से बढ़कर सुख- दुख का साथी करार देते हैं. लताजी के साथ अपनी खास यादों को उन्होंने सांझा किया. उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

आखिरी बार उन्हें देखने की हिम्मत नहीं हुई

लता जी की मृत्यु की खबर सुनकर मैं स्तब्ध रह गया. वह मेरी बहन से बढ़कर थी. मुझे जब यह खबर मिली मैं अपने फार्महाउस में था. मैंने कितनी बार सोचा है कि मैं लता जी को आखिरी बार देखने जाऊं. मैं दो बार कपड़े पहनकर तैयार हुआ लेकिन फिर मैंने कपड़े उतार दिए. सच कहूं तो जाने की हिम्मत नहीं हुई. मैं उन्हें इस तरह नहीं देख सकता था. मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि वो हमें छोड़कर चली गयी. लता जी हमारे दिलों- दिमाग, गानों में हमेशा अमर रहेंगी. लता जी जैसा दूसरा कोई नहीं होगा.

उन्होंने कहा था मैं बस ठीक हूं

जब वह अस्पताल में थी तो मैं समय-समय पर उनकी खबर लेने के लिए फोन करता था. उनकी मौत की खबर सुनकर मैंने उषा जी को फोन किया. उषा जी ने मुझे बताया कि धरम जी हमारा डर अब दर्द में बदल गया है. अस्पताल में भर्ती होने के चार-पांच दिन पहले लता जी ने भी मुझसे बात की थी. वह तब ठीक थी. मैं बस ठीक हूँ, उन्होंने मुझे कहा था . आप भी ठीक रहें . चिंता मत करो. इस तरह उन्होंने मुझे हिम्मत दी.

लता जी मुझे बहुत हिम्मत देती थी

लता जी पूरी इंडस्ट्री के लिए बहन की तरह थीं. हर कोई उन्हें बिना शर्त प्यार करता था और वह भी पूरे स्नेह से सभी को अपना मान लेती थी. मैं जब भी बहुत परेशान होता था तो उनसे बात करता था . वह मुझे तरह-तरह से प्रेरित करती थी. मैं बहुत बार परेशान होता था. और उन्हें फोन करता था. वह मुझे फोन पर समझाती थी , धरम, तुम बहुत मजबूत हो. आप हमेशा खुश रहेंगे. यह ठीक हो जाएगा. इस तरह लता जी ने मुझे हमेशा हिम्मत दी.

वो हमेशा मुझे गिफ्ट्स भेजती थी

पिछले दो-तीन साल से हम फोन पर ज्यादा बातचीत करते थे. हम हर दो-तीन दिन में फोन पर बात करते थे. कभी-कभी वह फोन करती थी. कभी मैं. कोरोना के दौरान हमारी बातचीत और बढ़ गई थी. हम एक ही डॉक्टर की देखरेख में थे. लता जी बिना वजह मुझे तोहफे भेजती थीं. वह मुझे सुंदर सुंदर गणेश की मूर्तियां अलग अलग धातुओं से बनी भेजती थी.मैंने उनके द्वारा दिए गए सभी उपहारों को संभालकर रखा है. कई बार उन्होंने मेरी पत्नी हेमा के लिए भी साड़ियां भेजी है. हेमा साड़ी पहनने के बाद फोटो खींचकर लता जी को भेजती थी. मैं बीच-बीच में लता जी फूलों का गुलदस्ता भेजता था.

लता जी की याददाश्त कमाल की थी

मैंने पहली बार लता-जी को अपनी फिल्म ‘शोला और शबनम’ की शूटिंग के दौरान देखा था. उनसे पहली मुलाकात महबूब स्टूडियो में हुई थी. लता जी को अपनी फिल्म में गाते हुए सुनकर मुझे बहुत खुशी हुई. मुझे नहीं पता कि उस वक़्त मैंने इस खुशखबरी को साझा करने के लिए कितने लोगों को चिट्ठियां लिखी थी. सच कहूं तो पहली मुलाकात में मेरी तो उनके पास जाने की हिम्मत नहीं हुई थी. उन्होंने मुझे देखा और धीरे से मुस्कुराई. फिर मेरी उनके पास आने की हिम्मत हुई. उन्होंने मुझसे कहा, ‘मैं तुम्हारे बारे में जानती हूं.तुम बहुत सुंदर हो. मुझे पता है कि तुमने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है.तुम एक दिन बहुत बड़े एक्टर बनोगे. तब से हम अनगिनत बार मिले . कई साल बाद उन्होंने मुझसे कहा कि मुलाकात के पहले दिन मैंने बेज रंग की शर्ट पहनी हुई थी. मुझे यह सुनकर आश्चर्य हुआ. .इतने साल बीत जाने के बावजूद उन्हें हर बात पूरी डिटेल में याद थी.

वे मेरी कविताओं को अपनी आवाज़ देने वाली थी

लता जी के बारे में कुछ भी बनावटी नहीं था. अगर उन्हें कभी किसी पर गुस्सा आता था तो वह तुरंत ही उसे जाहिर कर देती थी. वो मजाकिया भी बहुत थी.बहुत सपोर्टिव भी. मैं उन्हें अपनी कविताएँ कई बार पढ़ने के लिए भेजी हैं. लता जी को वो पसंद आती थी.वे मुझसे अक्सर लिखकर भेजने को कहती थी.वो कहती थी कि मेरी कविताओं को वो गाएंगी लेकिन यह मौका मेरे जीवन में नहीं आ पाया.

लताजी दुबारा जन्म नहीं लेना चाहती थी

लता जी का नाम सुनते ही हमको उनके नाम से जुड़ा शोहरत,पैसा,प्यार ये बातें नज़र आती हैं लेकिन लता जी के सीने में दुख भी था. उन्होंने मुझसे कई बार कहा था कि वह अगले जन्म में लता के रूप में जन्म नहीं लेना चाहती हैं. लता जी दूसरा जन्म नहीं चाहती थीं. उनके लिए पूरी दुनिया दीवानी है. उनकी पूजा करती है और वह लता मंगेशकर दोबारा जन्म नहीं लेना चाहती है .इसकी पीछे की वजह उनका संघर्ष था. दरअसल वह बचपन से ही काफी संघर्ष करते हुए बड़ी हुई थी. उनके बचपन के वे दुख हमेशा उनके साथ थे. पैसा कभी भी सभी दुखों को दूर नहीं कर सकता है. पैसा लोगों को सारी खुशियां नहीं दे सकता है. वह कहती थी कि मुझे जितना चाहिए था, उससे कहीं ज्यादा मुझे मिला. लेकिन मेरे पास वह सुख, शांति नहीं है और मानव जीवन में सुख और शांति सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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