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Rajeev Khandelwal Interview: बोल्‍ड सीन्‍स पर खुलकर बोले राजीव खंडेलवाल

Rajeev Khandelwal Interview: अभिनेता राजीव खंडेलवाल इनदिनों डिजिटल प्लेटफार्म पर बेहद सक्रिय हैं. इनदिनों वे वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज मर्ज़ी द गेम ऑफ लाइज में नज़र आ रहे हैं. राजीव साफ तौर पर कहते हैं कि ना तो मुझे टीवी से परहेज है ना फिल्मों का इंतज़ार.

अभिनेता राजीव खंडेलवाल इनदिनों डिजिटल प्लेटफार्म पर बेहद सक्रिय हैं. इनदिनों वे वूट सेलेक्ट की वेब सीरीज मर्ज़ी द गेम ऑफ लाइज में नज़र आ रहे हैं. राजीव साफ तौर पर कहते हैं कि ना तो मुझे टीवी से परहेज है ना फिल्मों का इंतज़ार. अच्छी स्क्रिप्ट उनकी प्राथमिकता है जो किसी भी माध्यम से मिले. उन्हें खुशी है कि वे हर प्‍लेटफॉर्म पर काम कर रहे हैं. हर माध्यम के दर्शकों की बीच उनकी पहचान है. राजीव खंडेलवाल से उर्मिला कोरी की खास बातचीत…

आपको ‘मर्जी द गेम ऑफ लाइज’ में क्या खास लगा ?

पूरे शो का शेड ग्रे होना. हम सभी ग्रे है कोई ब्लैक एंड वाइट नहीं है. अगर आपको लगता है कि कोई ब्लैक एंड वाइट है तो फिर आपको गलत लगता है. मैं भी दूर से सभी को अच्छा लगता हूं (हंसते हुए) लेकिन आप मेरी वाइफ से पूछिए तो वो आपको मेरी दस खामियां बता देंगी. शो में अपने किरदार की बात करूं तो ये काफी अलग है. मर्जी वेब सीरीज का नाम ही है. यहां लड़के के पॉइंट ऑफ व्यू से मर्जी बताया जा रहा है और लड़की के भी. यह थ्रिलर शो है. बहुत सेंसिटिव सीरीज है. यह वेब सीरीज मी टू पर नहीं है. यह वेब सीरीज विदेशी वेब सीरीज का हिंदी रिमेक है.

मी टू पर आपका क्या कहना है ?

ये तो होना ही था कब तक लोग सहेंगे. एक कोई खड़ा हुआ तो लोगों को ताकत मिल गयी. अब समाज बदल रहा है. अगर कोई लड़की खड़ी होकर बोलती है तो अब लड़की को नहीं बल्कि लड़के को लोग जज करेंगे. हमारा समाज नकली लोगों से भरा है.

वेब सीरीज मर्जी में बोल्ड सीन्स हैं, आपकी पत्नी मंजरी को उन दृश्यों के लिए समझाना आसान होता है ?

मेरी वाइफ आज की लड़की है. बहुत ही प्रोग्रेसिव और कॉन्फिडेंट लड़की है. बहुत सिक्योर है. वह इन सब बातों से बहुत परे निकल गयी है. उसे पता है कि क्या होता है, कैसे होता है. हाल ही में मुझे एक कमाल की वेब सीरीज आफर हुई है (हंसते हुए) जिसमें दो तीन बहुत ही कमाल के सीन्स हैं. मैंने मंजरी से पूछा कि तुमने पढ़ी स्क्रिप्ट, उसने बोला कमाल की है. सीन्स की वजह से नहीं बल्कि मैं अक्सर उसके इनपुट्स लेता रहता हूं. उसने स्क्रिप्ट में उन दृश्यों का मुझसे जिक्र तक नहीं किया. बस उसके लिए कहानी मायने रखती है जो उसे बहुत पसंद आयी.

बोल्ड सीन्स की बात करें तो आपने तय कर रखा है कि आप परदे पर इससे ज़्यादा नहीं करेंगे ?

मैंने कोई सीमा तय नहीं रखी है कि मैं इस लिमिट तक जाऊंगा. इस बारे में मैं कभी नहीं सोचता. हां बिकने के लिए की ऐसे दृश्य बिकेंगे मैं कोई शो नहीं करता हूं. अगर वो सीन कहानी का हिस्सा तो ही मैं उसे उसी तरह करूँगा जैसे बाकी के सीन करता हूं.

डिजिटल प्लेटफार्म की परिभाषा सेक्स और हिंसा बनता जा रहा है इसपर आपको क्या कहना है

वेब की मेरी परिभाषा सेक्स और हिंसा नहीं है. मेरे लिए यह अपनी कहानी अपने तरीके से कहने का माध्यम है. बहुत सारे अलग अलग कंटेंट है. आपको जो देखना है देखिए. अगर आपने मेरा शो हक से देखा होगा तो उसमें तो सेक्स और हिंसा नहीं थी. इंटरनेट पर जिस तरह से पोर्न भी है और दूसरी चीज़ें भी. उसी तरह वेब पर भी है. वो आपकी मर्जी है. हां किसिंग सीन्स पर भी लोग हाय तौबा मचाने लगते हैं तो मुझे फिर ज़्यादा लगने लगता है.

आपकी इमेज दर्शकों के बीच है क्या आप उसके बारे में सोचते हैं ?

हां, मेरी एक इमेज है लेकिन मैंने कभी अपने आप को एक इमेज में नहीं बांधा है कि लोग तो मेरे बारे में ये सोचते हैं. मैंने रोमांटिक शोज छोड़ दिये जबकि मेरी पहचान उससे थी. मैंने कभी नहीं सोचा कि दर्शकों को क्या चाहिए. मैं हमेशा सोचता हूं कि मैं क्या उन्हें नया दे सकता हूं. जब लोग सेट पर किसिंग सीन्स को लेकर असहज दिखाने लगते हैं तो मुझे गुस्सा आता है. आपको पहले से ही पता था वो स्क्रिप्ट में था तो अब क्यों हाय तौबा. थप्पड़ सीन्स में तो आप कहते हैं कि ज़ोर से मारता हूं नेचुरल लगे तो फिर किसिंग में क्या हो जाता है. थप्पड़ बुरा है या किस.

फिल्मों में आपको वो मौके नहीं मिले जो मिलने चाहिए थे क्या आपको कभी अफसोस होता है ?

मैं फिल्मों का इंतज़ार नहीं करता. जो भी मिला मैं वही करना चाहता था. मैं प्रोजेक्ट एन्जॉय करता हूं. मैं पहले भी यह बात कह चुका हूं. अब भी यही कह रहा हूं. प्रोजेक्ट मायने रखता है फिर चाहे वह टीवी पर हो. फ़िल्म में हो या वेब पर. प्रोजेक्ट की स्क्रिप्ट कैसी है. किन लोगों के साथ काम कर रहा हूं. ये जर्नी कैसी रहेगी. ये सोचता हूं. मैं दर्शकों के बारे में नहीं सोचता कि इस माध्यम में मेरे फैन्स ज़्यादा हैं तो वहीं आए. दर्शक तो बनाने बनाने पड़ते हैं. मैं हर माध्यम में अपने दर्शक बनाना चाहता हूं. ये भी जानता हूं कि वो मुझे नहीं बल्कि मेरे प्रोजेक्ट को देखने आएंगे. अगर वो रोचक लगा तो वो ज़रूर आएंगे.

Budhmani Minj
Budhmani Minj
Senior Journalist having over 10 years experience in Digital, Print and Electronic Media.Good writing skill in Entertainment Beat. Fellow of Centre for Cultural Resources and Training .

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