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vikrant massey :एक्टर ने बताया कि सेक्टर 36 की शूटिंग में वह कई रातों तक सो नहीं पाए थे

विक्रांत मैसी ने इस इंटरव्यू में बताया कि सेक्टर 36 के प्रेम सिंह जैसा किरदार उन्होंने कभी नहीं किया था इसलिए किरदार में रचने बसने के लिए उन्होंने बहुत होमवर्क किया.

vikrant massey :ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर इनदिनों ‘सेक्टर 36’ स्ट्रीम कर रही है. सच्ची घटना से प्रेरित यह कहानी एक सीरियल किलर की है. 12वीं फेल से दर्शकों का दिल जीतने वाले विक्रांत मैसी खलनायक की भूमिका में हैं और छोटे-छोटे बच्चों को अगवा कर उनकी नृशंस हत्या करते दिख रहे हैं.अपने इस किरदार और फिल्म के मेंकिंग से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विक्रांत मैसी से उर्मिला कोरी से हुई बातचीत की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश

फिल्म निठारी कांड पर आधारित !
फिल्म के ट्रेलर लांच के बाद से ही इसे निठारी कांड से जोड़ा जा रहा है.फिल्म की रिलीज के बाद यह चर्चा और जोरों पर हो गयी है.मैं इस पर सिर्फ यही कह सकता हूं कि हम नामों का उपयोग नहीं कर सकते हैं, क्योंकि कानून है और लीगल प्रोसेस से जुड़े कुछ नियम होते हैं. ये बात सभी जानते हैं. कोई भी पुलिस या कोर्ट का चक्कर लगाना नहीं चाहता है. अरे यार हमारा भी परिवार होता है.हम बस कहानी लोगों तक ले जाना चाहते हैं.

सीरियल किलर बनने के लिए पढ़ी मेंटल हेल्थ और सायकोलॉजी
मैंने प्रेम सिंह जैसा किरदार पहले नहीं किया है, इसलिए मुझे खास तैयारी करनी पड़ी. मैंने ‘रीयल लाइफ ऑफ ए सीरियल किलर’किताब से अपने किरदार के लिए रेफरेंस लिया है. ऑडियो विजुअल माध्यम में बहुत कुछ सीरियल किलर्स को लेकर मौजूद है, तो उसमें से भी कुछ दिलचस्प बारीकियां जोड़ने की कोशिश की. सायकोलॉजी और मेंटल हेल्थ को भी पढ़ा, ताकि बहुत ही करीबी ढंग से इस किरदार को गढ़ सकूं. सीरियल किलर का कोई चेहरा नहीं होता है. आम इंसान की तरह होते हैं. आप नहीं जानते होंगे कि वह हत्यारा है. एकदम आम लुक देने के लिए मुझे निर्देशक आदित्य निंबालकर ने मूंछ रखने को कहा. आंखों पर लेंस भी पहनाया, ताकि अगर भीड़ में वह खड़ा हो जाये तो एकदम आम लोगों की तरह दिखें. मैं बताना चाहूंगा कि फिल्म का जब पोस्टर रिलीज हुआ, तो मेरी पत्नी को यकीन नहीं हुआ कि ये मैं हूं .उसने जूम करके देखा तो उसे यकीन हुआ.वैसे इस फिल्म की शूटिंग का मुझ पर बहुत प्रभाव पड़ा. मुझे कई बार अच्छी नींद नहीं आती थी. मैं पूरी तरह परेशान हो गया था,लेकिन फिर आपका अनुभव काम आता है और आप धीरे -धीरे निकल जाते हैं.

लोगों ने कहा, विक्रांत अब ‘सेक्टर 36’ जैसी फिल्म मत करो
फिल्म ‘12वीं फेल’ की अपार सफलता के बाद जब मेरे आसपास के लोगों को मालूम पड़ा कि मैं ‘सेक्टर 36’ फिल्म कर रहा हूं, तो कई लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे यह भूमिका स्वीकार नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अब मैं एक कमर्शियल एक्टर हूं और मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए. मैंने कहा कि मेरे लिए यही सबसे बड़ी वजह है कि मुझे यह भूमिका निभानी चाहिए. ‘12वीं फेल’की कामयाबी के बाद मैं अब और अधिक लोगों तक पहुंच सकता हूं. उदाहरण के लिए, कोविड के दौरान मुझे एहसास हुआ कि कई लोगों ने अखबार खरीदना बंद कर दिया, क्योंकि उनमें इतनी नकारात्मकता थी कि वे अब ऐसी खबरें नहीं पढ़ना चाहते थे. उसी वक्त मेरे दिमाग में यह बात आयी थी कि आप कब तक गंदगी को कार्पेट के नीचे छिपाकर रख सकते हैं. एक दिन गंध इतनी बढ़ जायेगी कि कार्पेट को हटाना ही पड़ेगा, तो ऐसी कहानियां तो बतानी ही होंगी.

मेरी पत्नी ने भी फिल्म करने पर सवाल उठाया
मैं एक पिता होने के बावजूद क्यों इस किरदार को कर रहा हूं. मेरी पत्नी ने जब ये सवाल मुझसे पूछा तो मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था . ये मैं कह सकता हूं कि मैं एक सच्चा स्टोरी टेलर हूं और मैं खुद को सीमित नहीं करना चाहता. यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं अपने बच्चों के प्रति कितना जवाबदेह बनूं. एक एक्टर के तौर पर खुद को सीमित नहीं कर सकता, क्योंकि मैं अपने बेटे के प्रति जवाबदेह हूं. कल अगर मुझे ‘मेड इन हेवन’ जैसी कोई फिल्म मिलती है, जो एक विशिष्ट समुदाय के बारे में बात करती है, तो मैं वह भी करूंगा. मेरे बेटे के बड़े होने के बाद शायद मैं उसकी बातों का जवाब दे पाऊं.

आम आदमी की आवाज बनना चाहता हूं
आज मैं यह भी मानता हूं कि मैं चुनने की स्थिति में हूं. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी सारी फिल्में करूंगा और इतने बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम करूंगा. अगर मैं ऐसी भूमिकाएं करूंगा तो मुझे यकीन है कि 10 की भीड़ में दो लोग होंगे, जो मेरी बात सुनेंगे. मैं इसका इस्तेमाल करना चाहता हूं. मैं एक आम आदमी की कहानी बताना चाहता हूं। मैं हमेशा से यही चाहता था. मैं आम आदमी का प्रतिनिधित्व करना चाहता हूं. मैं आवाजों की आवाज बनना चाहता हूं। मैं चैन की नींद सोऊंगा कि मैंने इतने बड़े ब्रह्मांड में समाज के लिए कहीं न कहीं योगदान दिया है. कल अगर मैं डेथ बेड पर हूं तो मुझे इस बात की संतुष्टि होगी कि मैंने अपने काम से चार लोगों को प्रेरित करने की कोशिश की है. सेक्टर 36, या डेथ इन द गंज या मेड इन हेवेन जीवन की सभी बड़ी चीजों का हिस्सा हैं.

आजकल कार्टून देख रहा हूं

एक दर्शक के तौर पर क्या आप सेक्टर 36 जैसी फिल्में देखना पसंद करते हैं. इनदिनों यह सवाल मुझसे बहुत पूछा जा रहा है. एक दर्शक के तौर पर मैं हर तरह की फिल्में देखना पसंद करता हूं. एक अभिनेता होने के नाते मेरे लिए यह बताना बहुत मुश्किल है। मैं एक दर्शक के रूप में फिल्में नहीं देख सकता क्योंकि यह मेरा पेशा है. मैं फिल्में तब देखता हूं. जब मेरे सहकर्मी मुझे फिल्में देखने की सलाह देते हैं। इन दिनों मैं अपने बेटे की वजह से खूब कार्टून देख रहा हूं। कभी-कभी जब मैं उन्हें देखता हूं तो मुझे लगता है कि उनमें एक सबटेक्स्ट है. मुझे लगता है कि मैं विकसित हो रहा हूं और चीजों को अलग-अलग नजरिए से देख रहा हूं क्योंकि मैं उन सभी को दोबारा देख रहा हूं.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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