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कैसे काम करता है कैमरा, कैसे करें ऑब्जेक्ट पर फोकस, एडिटिंग से कैसे सुधारें फोटो..जानिए सब यहां

फोटोग्राफी की शुरुआत और विकास किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि यह चरणबद्ध तरीके से विकसित होता गया. इस प्रक्रिया में कई लोगों की अहम भूमिका मानी जाती है. यह किसी का व्यक्तिगत आविष्कार न होकर एक अत्यंत लंबी प्रक्रिया का परिणाम रहा है. फोटोग्राफी एक ग्रीक शब्द है, जिसकी उत्पत्ति फोटोज (लाइट) और ग्राफीन […]

फोटोग्राफी की शुरुआत और विकास किसी एक व्यक्ति ने नहीं, बल्कि यह चरणबद्ध तरीके से विकसित होता गया. इस प्रक्रिया में कई लोगों की अहम भूमिका मानी जाती है. यह किसी का व्यक्तिगत आविष्कार न होकर एक अत्यंत लंबी प्रक्रिया का परिणाम रहा है. फोटोग्राफी एक ग्रीक शब्द है, जिसकी उत्पत्ति फोटोज (लाइट) और ग्राफीन यानी उसे खींचने से हुई है. वर्ष 1839 में वैज्ञानिक सर जॉन एफ डब्ल्यू हश्रेल ने पहली बार इस शब्द का इस्तेमाल किया था. यह मैथड किसी संवेदनशील सामग्री पर प्रकाश की कार्रवाई या संबंधित रेडिएशन की प्रक्रिया द्वारा इमेज की रिकॉर्डिग करने से जुड़ा है.
लालटेन का फोटोग्राफी में योगदान
शुरुआती दौर में चित्रों में गतिशीलता लाने के लिए विभिन्न तरीके प्रयोग में लाये जाते रहे. जैसे कांच की पट्टी पर चित्र अंकित कर उसे एक विशेष उपकरण के सामने लगा कर पीछे से लालटेन लगा दी जाती थी. इस प्रक्रिया के बाद परदे पर एक धुंधला चित्र दिखाई देने लगता था. लालटेन को उस आधारभूत उपकरण के तौर पर माना जाता है, जिससे वैज्ञानिकों ने फिल्म प्रॉजेक्टर का विकास किया. इसके बाद गतिशील ड्रम तथा डिस्क द्वारा भी चित्रों में गतिशीलता पैदा करने की कोशिश कि गयी, जो सफल रही.
कैसे हुआ मॉडर्न फोटोग्राफी का जन्म
फोटोग्राफी की शुरुआत का श्रेय लुइस डेगुएरा को दिया गया है. वर्ष 1829 में उन्होंने जोसेफ नाइसफोर के साथ साझेदारी में इसे विकसित किया था. नाइसफोर की मृत्यु के कुछ वर्षो बाद 1839 में डेगुएरा ने ज्यादा प्रभावी और विकसित फोटोग्राफी का विकास किया. डेगुएरा ने सिल्वर-प्लेटेड कॉपर की शीट पर स्थाई इमेज हासिल करने की प्रक्रिया विकसित की थी. सिल्वर को पॉलिश करते हुए उन्होंने उस पर आयोडीन की परत चढ़ायी और प्रकाश के प्रति संवेदी सतह की रचना की. इसके बाद उन्होंने कैमरे में प्लेट लगायी और कुछ मिनटों तक उसे छोड़ दिया. इस प्रक्रिया को अंजाम देने के बाद उन्होंने सिल्वर क्लोराइड के विलयन से तसवीरें हासिल की. फ्रांस की सरकार ने 7 जनवरी, 1839 को एक सार्वजनिक घोषणा कर लुई डेगुएरा को फोटोग्राफी के आविष्कारक के रूप में मान्यता दी.
नेगेटिव से पोजिटिव प्रक्रिया
एक नेगेटिव से ढेरों पोजिटिव पिंट्स हासिल करने का श्रेय हेनरी फॉक्स टालबोट के नाम दर्ज है. टालबोट एक अंगरेज बॉटनिस्ट और मैथमैटिशियन थे. टालबोट ने सिल्वर सॉल्ट सोलुशन के माध्यम से इस प्रक्रिया को अंजाम दिया था. काले पृष्ठभूमि वाले नेगेटिव का इजाद उन्होंने ही किया था, जिससे ढेरों पोजिटिव पिंट्स लेना मुमकिन हुआ. इस पेपर नेगेटिव प्रक्रिया को केलोटाइप का नाम दिया गया. 1879 में ड्राइ प्लेट का आविष्कार किया गया. इसमें ग्लास नेगेटिव प्लेट के लिए सूखे जिलेटिन का इस्तेमाल किया गया.
कब शुरू हुई रंगीन फोटोग्राफी
वर्ष 1940 के दशक के आरंभिक दिनों में कारोबारी तौर पर खपायी जाने वाली रंगीन फिल्में बाजार में बिक्री के लिए मुहैया करायी. इन फिल्मों में ड्राइ कपल्ड कलर्स की आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया था, जिसमें रासायनिक प्रक्रिया को तीन सूखे लेयर में कनेक्ट किया गया था, ताकि सुंदर रंगीन तसवीर हासिल की जा सके.
कैमरा फोन से फोटोग्राफी
इस समय फोटोग्राफी का दायरा बहुत बड़ा हो गया है. अब तक इतने फोटोग्राफ कभी नहीं लिये गये, लेकिन फोटोग्राफी भी एक कला होती है. आज के दौर में कैमरा फोन की वजह से प्वाइंट एंड शूट कैमरा खत्म होने के कगार पर हैं.
स्मार्टफोन कैमरा में भी कई खूबियां
तुम स्मार्टफोन कैमरा फोटोज के लिए, वीडियोज शूट करने के लिए या फिर सेल्फी लेने के लिए करते होगे. लेकिन तुम अपने स्मार्टफोन के कैमरा का यूज कई अन्य कामों में भी कर सकते हो. इसका उपयोग तुम बारकोड स्कैनिंग आदि में कर सकते हो.
क्यों मनायी जाती है वर्ल्ड फोटोग्राफी डे
वर्ल्ड फोटोग्राफी डे का आयोजन हर वर्ष 19 अगस्त को मनाया जाता है. दरअसल, 9 जनवरी, 1839 को फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंस ने डेगुएरोटाइप प्रोसेस को मान्यता प्रदान करने की घोषणा की थी.
वर्ल्ड फोटो टुडे डॉट ओआरजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 अगस्त, 1839 को डेगुएरा द्वारा खोजी गयी फोटोग्राफी तकनीक (डेगुएरोटाइप प्रोसेस) को फ्रांस सरकार ने मान्यता दी थी. तुम्हारे मन में अकसर यह सवाल उठा होगा कि महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल आदि सरीखे देशभक्तों व महापुरुषों की तसवीरें हमारे यहां मौजूद हैं, लेकिन उनसे कुछ सदी पूर्व पैदा हुए प्रमुख देशभक्तों या महापुरुषों की तसवीरें क्यों नहीं हैं. दरअसल, तब हमारे पास कैमरा ही नहीं था. यह कैमरे का ही कमाल है कि हम सब पुरानी यादों को फोटोग्राफ के रूप में संजो कर रख पाते हैं.
कैसे काम करता है कैमरा
जब तुम कैमरे के बटन को तसवीर लेने के लिए दबाते हो, तो यह परदे की तरह खुलता है, जिससे रोशनी लेंस से होते हुए सेंसर पर पड़ती है. दिन के समय में शटर 1/200 सेकेंड के लिए खुलता है, वहीं रात के समय तसवीर लेने के लिए शटर लंबे समय तक खुला रहता है.
क्यों धुंधली आती है तसवीर : ऐसा तुम सभी के साथ होता होगा कि तसवीरें खींचते समय तुम्हारा हाथ कांप जाता है और एक अच्छी तसवीर खराब हो जाती है. कई बार तुम जिस ऑब्जेक्ट की तसवीर ले रहे होते हो, उसमें मूवमेंट की वजह से भी ये ब्लर हो जाती है. इसमें शटर स्पीड की भी बड़ी भूमिका होती है.
कैसे करें ऑब्जेक्ट पर फोकस : तसवीर लेते समय तुम ऑब्जेक्ट पर फोकस करते हो. बेहतरीन तसवीर के लिए तुम्हें लेंस को आगे या पीछे करना पड़ता है. वैसे तो आम फोटोग्राफी करनेवालों को अतिरिक्त लेंस की जरूरत नहीं होती, लेकिन प्रोफेशनल फोटोग्राफर्स के पास फोकल लेंथ से छोटी फिजिकल लेंथ वाले लेंस तक होते हैं. वे इनका इस्तेमाल ऑब्जेक्ट को फोकस करने और नजदीकी-दूरी घटाने-बढ़ाने के लिए करते हैं.
एडिटिंग से फोटो को सुधारें
फोटो लेने भर से ही काम खत्म नहीं हो जाता. उसे बाद में एडिटिंग की मदद से बेहतर बनाया जा सकता है. ऐसे बहुत से सॉफ्टवेयर्स हैं, जिनके जरिये तुम फोटो को और अच्छा बना सकते हो.
– क्रॉपिंग : फोटो में अक्सर ऐसा एरिया होता है, जिसकी कोई जरूरत नहीं होती. सब्जेक्ट पर हाथ रखो और देखो, क्या उस एरिया के बिना फोटो खराब लग रहा है. नहीं तो उसे क्रॉप कर दो.
– रेड आइ : फ्लैश की वजह से अक्सर लोगों की आंखें लाल हो जाती हैं, जिसे रेड आइ कहते हैं. इसे दूर करने के लिए पिकासा और दूसरे कई सॉफ्टवेयर व एप हैं. इनमें तुम रेड आइ की समस्या दूर कर सकते हो.
– ब्लर्ड : ब्लर यानी धुंधला हो जाना कई वजहों से हो सकता है. इसे पूरी तरह ठीक करना तो मुमकिन नहीं है, लेकिन पिकासा, फोटोशॉप जैसे कई सॉफ्टवेयर्स व एप में तुम तसवीरों को शार्प करके इसका असर कम कर सकते हो.
– अंडर/ओवर एक्सपोज्ड : ऐसी तसवीरों में लाइटिंग ज्यादा या कम होने से सारा मजा खराब हो जाता है. लेकिन ऐसे बहुत सारे एप्स हैं, जिनसे तुम तसवीर की रोशनी सही कर सकते हो.
– कलर-लाइटिंग : फोटो में अगर कलर या लाइटिंग कम या ज्यादा हो जाये तो फोटो के रंग मजेदार नहीं रहते. एडिटिंग के जरिये तुम तय कर सकते हो कि कौन-सा रंग कितना गहरा नजर आयेगा. इससे तसवीर में निखार आ जाता है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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