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शादी की वजह से पुरुष भी अब बदल रहे हैं अपना शहर

भारतीय समाज में शादी के बाद लड़कियों को अपना घर शहर और देश छोड़कर ससुराल आकर पति के साथ बसने की परंपरा लंबे समय से रही है. लेकिन, वर्तमान समय में यह परिदृश्य बदल रहा है. कई पुरुष ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के करियर के लिए अपने करियर के साथ समझौता किया है. […]

भारतीय समाज में शादी के बाद लड़कियों को अपना घर शहर और देश छोड़कर ससुराल आकर पति के साथ बसने की परंपरा लंबे समय से रही है. लेकिन, वर्तमान समय में यह परिदृश्य बदल रहा है. कई पुरुष ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी पत्नी के करियर के लिए अपने करियर के साथ समझौता किया है. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2001 से 2011 के बीच करीब 33 फीसदी पुरुषों ने शादी की वजह से अपना शहर बदला है.
महिलाओं की अपेक्षा उनका अनुपात दोगुना है. शादी के बाद पत्नी के करियर के लिए उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारत के पुरुषों ने ज्यादातर पलायन किया है. पिछली दो जनगणनाओं से पहले के नौ सालों में प्रवासन के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद यह पाया गया कि मेघालय, तमिलनाडु, केरल, मिजोरम, मणिपुर, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में शादी के लिए पलायन करने वाले पुरुषों की संख्या में काफी इजाफा दर्ज किया गया है.
हालांकि, साल 2001 में हुई जनगणना में भी इन राज्यों में भी यह इजाफा दर्ज किया गया था, लेकिन इसके बाद भी इसमें बढ़त हुई है. 2011 के बाद से कर्नाटक में तीन फीसदी अधिक पुरुषों ने शादी के बाद पलायन किया है. वहीं हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में शादी के बाद दूसरे का रुख करने वाले पुरुषों के अनुपात में गिरावट दर्ज की गयी है. राजस्थान में, शादी के लिए पुरुषों के पलायन में तीन गुना इजाफा हुआ है.
33% पुरुषों ने अपनाशहर बदला है2001 से2011 के बीच
98% महिलाओं को आज भी शादी के चलते छोड़ना पड़ता है अपना शहर
पत्नी के करियर के लिए उत्तर-पूर्व और दक्षिण भारतीय पुरुषों ने किया अधिक पलायन
पुरुषों के माइग्रेशन में मेघालय सबसे आगे
टॉप-5 माइग्रेशन (% में)
मेघालय 11.9
तमिलनाडु 9.2
मिजोरम 7.7
पुडुचेरी 5.0
केरल 4.7
बॉटम-5 माइग्रेशन (% में)
हरियाणा 1.4
उत्तराखंड 1.4
पंजाब 1.7
मध्य प्रदेश 1.9
राजस्थान 1.9
* 2011 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार
भारत के 132 गांवों में पिछले तीन महीने में नहीं हुआ एक भी लड़की का जन्म
उत्तरकाशी जिले के 132 गांवों के जन्म के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन महीनों में इन क्षेत्रों में किसी भी लड़की का जन्म नहीं हुआ है.
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन महीनों में जिले के 132 गांवों में 216 बच्चे पैदा हुए. हैरानी वाली बात यह है कि इसमें एक भी लड़की शामिल नहीं है. इस घटना ने जिला प्रशासन को सकते में डाल दिया है. जिला मजिस्ट्रेट डॉ आशीष चौहान ने कहा कि हमने ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है, जहां बालिकाओं की संख्या शून्य है या काफी कम है. हम इन क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं ताकि कारणों का पता लगाया जा सके.
यहां के पुरुषों ने दूसरे शहर में बसना किया स्वीकार
मेघालय, तमिलनाडु, केरल, मिजोरम, मणिपुर, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली , उत्तर प्रदेश
Prabhat Khabar Digital Desk
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