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खत्म नहीं होगा मनरेगा, और बेहतर बनाने की सोच रही है सरकार

नयी दिल्ली: सरकार मनरेगा कानून से भी आगे की सोच रही है. सरकार का प्रयास है कि मनरेगा का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और उन्हें लाभ मिले. उक्त बातें ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कही उन्होंने मनरेगा कानून को संकुचित करने के संबंधी सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा, केंद्र […]

नयी दिल्ली: सरकार मनरेगा कानून से भी आगे की सोच रही है. सरकार का प्रयास है कि मनरेगा का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे और उन्हें लाभ मिले. उक्त बातें ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कही उन्होंने मनरेगा कानून को संकुचित करने के संबंधी सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा, केंद्र इस योजना के लिए चिन्हित 6500 ब्लॉकों में यह योजना जारी रखेगी

बीरेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा कि इस संबंध में कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि किसी भी ब्लॉक को छोड़ा नहीं गया है बल्कि 2500 ऐसे ब्लॉकों को चिन्हित किया गया है जहां सबसे ज्यादा गरीबी है. उन्होंने कहा कि उन ब्लॉकों में ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरुरत है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए और शेष चार हजार ब्लॉकों में भी यह योजना जारी रहेगी.
उन्होंने कहा कि सदस्यों ने कानून में संकुचित करने संबंधी कई आशंकाएं जाहिर की हैं और सरकार को ऐसा कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार तो मनरेगा से भी आगे की सोच रही है. उन्होंने कहा कि सिर्फ विपक्ष ही गरीबी से लड़ रहा हो, ऐसा नहीं है, सरकार भी गंभीरता से इस दिशा में प्रयासरत है.
सिंह मनरेगा संबंधी एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर विभिनन सदस्यों द्वारा पूछे गए विभिन्न स्पष्टीकरणों का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना के प्रति पूरी तरह से गंभीर है और इसके कार्यान्वयन में कुछ खामियां हैं जिसे दूर करने के प्रयास किए गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि पैसा सीधे लाभार्थी के खाते में जाए. इससे काफी हद तक भ्रष्टाचार पर रोक लग सकेगी.
सिंह ने कहा कि इस साल सरकार 34,000 करोड़ रुपये में से अब तक 23,000 करोड़ रुपए जारी कर चुकी है. उन्होंने कुछ राज्यों के उन आरोपों से इंकार किया कि इस कार्यक्रम के तहत उन्हें धन नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट आने के बाद ही राशि जारी की जाती है. इस क्रम में उन्होंने ओडिशा का विशेष रुप से जिक्र किया और कहा कि राज्य से जरुरी कागजात मिल गए हैं और अगले दो दिनों में धन जारी कर दिया जाएगा. उन्होंने स्वीकार किया कि इसके कार्यान्वयन में कुछ खामियां हैं और उन्हें दुरुस्त किए जाने तथा भ्रष्टाचार पर काबू पाने की जरुरत है.
सिंह ने हालांकि कहा कि हर राज्य सरकार का अपना काम करने का तरीका होता है और उसकी भी जिम्मेदारी है कि प्रणाली ठीक से काम करे. उन्होंने त्रिपुरा का जिक्र करते हुए कहा कि इस राज्य ने योजना का बेहतरीन तरीके से कार्यान्वयन किया है. उन्होंने कहा कि कुछ अन्य राज्यों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है.
सिंह ने यह भी कहा कि समग्र रुप से योजना में श्रम एवं सामग्री के खर्चो’ के 60:40 अनुपात में परिवर्तन नहीं किया जाएगा. सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के लागू होने के बाद आठ सालों में महत्वपूर्ण नतीजे मिले हैं. इस योजना के तहत हर साल औसतन करीब पांच करोड़ परिवारों को रोजगार मिला.
सिंह ने कहा कि कई शोधों से पता लगा है कि मनरेगा का सामाजिक संरक्षण, आजीविका सुरक्षा, परिसंपत्तियों के निर्माण और जनतांत्रिक शासन पर सकारात्मक प्रभाव पडा है. सिंचाई, जल संचयन, भूमि विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में व्यापक पैमाने पर प्रत्यक्ष निवेश पर जोर देकर भी मनरेगा ने कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता पर सकारात्मक प्रभाव डाला है.
उन्होंने कहा कि पिछले आठ साल के दौरान कामगारों को करीब.,80,000 करोड़़ रुपए की मजदूरी दी गयी है जो अब तक हुए कुल व्यय का करीब 71 प्रतिशत है.
सिंह ने कहा कि फिलहाल सरकार मुख्यरुप से मजदूरी रोजगार के सृजन के साथ साथ गुणवत्तापूर्ण परिसंपत्तियों का निर्माण सुनिश्चित करने पर भी जोर दे रही है. उपयोगी और स्थायी परिसंपत्तियों का निर्माण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने कई उपाय किए हैं. कानून की अनुसूची में संशोधन कर कायो’ की सूची का विस्तार किया गया है.
सिंह ने कहा कि हाल ही में यह अधिसूचित किया गया है कि लागत की दृष्टि से किसी जिले में शुरू किए जाने वाले कम से कम 60 प्रतिशत कार्य भूमि, जल और वृक्षों के विकास के माध्यम से कृषि और संबंधित कार्यकलापों से सीधे जुडी उपयोगी परिसंपत्तियों के निर्माण से संबंधित होंगे.
उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण परिसंपत्तियों के निर्माण को बढावा देने के लिए संबंधित विभागों की स्कीमों के साथ मनरेगा के तालमेल को प्रोत्साहित किया जा रहा है. 21 राज्यों ने संबंधित विभागों के परामर्श से ऐसी तालमेल योजनाएं तैयार कर ली हैं.
सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायतों से भिन्न अन्य एजेंसियों द्वारा शुरु किए जाने वाले कायो’ के लिए मजदूरी और सामग्री के अनुपात की गणना अब जिला स्तर (ब्लॅाक स्तर के स्थान पर) की जाएगी ताकि और अधिक गुणवत्तापूर्ण परिसंपत्तियों का निर्माण हो सके.उन्होंने कहा कि 2013.14 में मनरेगा स्कीम का बजट प्रावधान 33,000 करोड़ था जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में बजट प्रावधान 34,000 करोड़़ रुपए था.
सिंह ने कहा कि सरकार इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चत करने पर जोर दे रही है. मजबूत प्रबंधन सूचना प्रणाली स्थापित की गयी है. इलेक्ट्रोनिक निधि प्रबंधन प्रणाली कार्यरत है और निधियों का सुगम प्रवाह सुनिश्चित करने और मजदूरी के भुगतान में देरी को कम करने के लिए इस प्रणाली में और सुधार किया जा रहा है.
सामाजिक लेखा परीक्षा को बढावा दिया जा रहा है. राज्यों ने इस कानून के अनुसार शिकायत निपटान नियम कर लिए हैं तथा लोकपाल नियुक्त किए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का निरंतर प्रयास रहा है कि इस योजना के कार्यान्वयन को और अधिक सरल तथा कारगर बनाया जाए तथा इसमें सुधार किया जाए.
Prabhat Khabar Digital Desk
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