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कोलकर्मियों के राष्‍ट्रव्‍यापी हड़ताल का दूसरा दिन : आधे से अधिक इकाइयों में उत्पादन ठप, आ सकती है बिजली संकट

कोलकाता/ नयी दिल्ली: देश भर के कोयला उद्योग के मजदूरों ने आज पांच दिन की हडताल शुरु कर दी. इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया की 60 प्रतिशत से अधिक इकाइयों में कोयला उत्पादन ठप हो गया जिससे बिजलीघरों को कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है. सरकारी अधिकारियों तथा श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों […]

कोलकाता/ नयी दिल्ली: देश भर के कोयला उद्योग के मजदूरों ने आज पांच दिन की हडताल शुरु कर दी. इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया की 60 प्रतिशत से अधिक इकाइयों में कोयला उत्पादन ठप हो गया जिससे बिजलीघरों को कोयले की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है.

सरकारी अधिकारियों तथा श्रमिक संगठन के प्रतिनिधियों के बीच शाम को बातचीत शुरु हुई लेकिन इस हडताल के कारण आज सुबह की पाली में ही 35 करोड रपये तक के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.
हडताल की घोषणा पांच प्रमुख मजदूर संगठनों ने की है जिनमें भाजपा समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल हैं. इसे 1977 के बाद की अब तक की सबसे बडी औद्योगिक हडताल माना जा रहा है. ये मजदूर यूनियनें ‘कोल इंडिया के विनिवेश और पुनर्गठन’ के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं. वे अपनी अन्य मांगों के साथ ऐसी नीतियों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं जिसे वे कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण खत्म करने की प्रक्रिया कहती हैं.
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि हडताल के कारण कोल इंडिया तथा इसकी अनुषंगियों का परिचालन प्रभावित हुआ है. बयान के अनुसार सिंगरेनी कोलिएरीज कंपनी की एक खान भी इससे प्रभावित हुई है. इसके अनुसार ‘प्रबंधन व यूनियनों के बीच सुलह के प्रयास जारी हैं.
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘कोल इंडिया की 438 इकाइयों में से 271 पर इस हडताल का पूरी तरह असर रहा है. 57 इकाइयों से आंशिक उत्पादन हुआ. इस सार्वजनिक कंपनी को पहली पाली में ही 35 करोड रपये का नुकसान हुआ.
’ प्रमुख मजदूर संगठन – बीएमएस, इंटक, एटक, सीटू और एचएमएस- इस हडताल में शामिल हैं जिससे प्रतिदिन 15 लाख टन तक कोयला उत्पादन प्रभावित हो सकता है और इससे बिजली संयंत्रों को आपूर्ति भी प्रभावित हो सकती है जो पहले से ही ईंधन संकट से जूझ रहे हैं.
कोल इंडिया के नवनियुक्त अध्यक्ष सुतीर्थ भट्टाचार्य ने कहा ‘‘हमें उम्मीद है कि समस्या सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझा ली जाएगी. हडताल के असर का ठीक-ठीक पता बाद में चलेगा. अभी इसका अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी.’’ उन्होंने कहा ‘‘यह सही है कि उत्पादन अंतिम तिमाही में जोर पकडता है क्योंकि वित्तवर्ष खत्म होने को होता है.
मजदूर संगठनों का हडताल का आह्वान दुर्भाग्यपूर्ण है. हमने उनसे राष्ट्र हित में हडताल वापस लेने की अपील की है और अभी भी हम उन्हें हडताल से बचने के लिए राजी करने की कोशिश जारी है.’’इंटक के महासचिव एस क्यू जामा ने हडताल को ‘अप्रत्याशित, एतिहासिक व कोल इंडिया में 100 प्रतिशत सफल बताया है.’
उन्होंने कहा कि सिंगरेनी कोलिएरीज में 70-80 प्रतिशत मजदूर हडताल पर हैं.अखिल भारतीय कोयला मजदूर संघ के नेता जीवन राय ने एक बयान में कहा कि करीब सात लाख कामगार इस हडताल में हिस्सा ले रहे हैं.मजदूर संगठनों ने इससे पहले दो बार सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक का बहिष्कार किया था.कोयला मंत्री पीयूष गोयल द्वारा पिछले सप्ताह बुलाई गई बैठक का कोल इंडिया के प्रमुख मजदूर संगठनों ने बहिष्कार किया था. इस बीच बिजली क्षेत्र के कर्मचारी संगठन ईईएफआई ने भी हडताल को समर्थन दिया है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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