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देश में तीन साल में तीस प्रतिशत बढ़ी बाघों की संख्‍या

नयी दिल्ली : 2010 में हुई बाघों की गणना के बाद देश में बाघों की संख्या में 30 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है. बाघों की संख्या पर आज जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इनकी संख्या बढ़कर 2,226 हो गई है. वर्ष 2010 में बाघों की कुल संख्या करीब 1,706 आंकी गयी […]

नयी दिल्ली : 2010 में हुई बाघों की गणना के बाद देश में बाघों की संख्या में 30 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है. बाघों की संख्या पर आज जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इनकी संख्या बढ़कर 2,226 हो गई है. वर्ष 2010 में बाघों की कुल संख्या करीब 1,706 आंकी गयी थी. वहीं 2006 में इनकी संख्या चिंताजनक रूप से 1,411 के आंकड़े पर पहुंच गयी थी लेकिन तब से बाघों की संख्या में लगातार सुधार देखा जा रहा है.
वर्ष 2014 में देश भर में बाघों की संख्या पर रिपोर्ट जारी करते हुए पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसे ‘सफलता की गाथा’ करार दिया और रेखांकित किया कि दुनिया में जहां बाघों की संख्या घट रही है.वहीं भारत में इनकी संख्या बढ़ रही है. पर्यावरण मंत्री ने कहा ‘दुनिया में जितने बाघ मौजूद हैं उनमें में अधिकतर भारत में पाए जाते हैं. अब भारत में दुनिया के 70 प्रतिशत बाघ मौजूद हैं. हमारे यहां दुनिया के बेहतरीन व्यवस्थित बाघ अभयारण्य हैं.’
जावडेकर ने कहा ‘पिछली बार हमने इनकी संख्या 1,706 दर्ज की थी. ताजा आंकड़े में इनकी संख्या 2,226 है. इस पर हमें गर्व होना चाहिए. आखिरी बार से इनमें 30 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज हुई है जो एक बड़ी कामयाबी की दास्तान है.’
उन्होंने कहा कि भारत के पास 80 प्रतिशत बाघों की दुर्लभ तस्वीरें हैं जबकि इनके आकलन के लिए 9,735 कैमरों का प्रयोग किया गया. वर्ष 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक बाघों की संख्या 1,945 से 2,491 (2,226) के करीब आंकी गयी है जबकि 2010 की रिपोर्ट में इनकी संख्या 1,520 से 1,909 के बीच थी. अधिकारियों ने बताया कि देश के बाघ बहुल 18 राज्यों में कुल 3,78,118 वर्ग किलोमीटर वनक्षेत्र में बाघों का सर्वेक्षण हुआ, जिसमें बाघों की कुल 1,540 दुर्लभ तस्वीरें कैमरे में कैद की गयीं.
अधिकारियों ने बताया कि कर्नाटक, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है. बाघों की संख्या में इजाफा के लिए जावडेकर ने अधिकारियों, वन्यकर्मियों, सामुदायिक भागीदारी और वैज्ञानिक सोच को श्रेय दिया. उन्होंने कहा ‘यही वजह है कि हम अधिक बाघ अभयारण्य बनाना चाहते हैं. यह भारत की विविधता का प्रमाण है और यह दिखाता है कि हम किस तरह से जलवायु परिवर्तन को लेकर गंभीर हैं.’
मानव-पशु संघर्ष के बारे में बात करते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इस संबंध में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं. जहां तक हाथियों की बात है तो यह समस्या और विकट हो जाती है. बाघों के साथ संघर्ष में जहां सात लोग मारे जाते हैं वहीं हाथियों के संदर्भ में यह संख्या 100 के करीब पहुंच जाती है.
जावडेकर ने कहा कि पशुओं के रहने के लिए हम अधिक हरित क्षेत्र और जल क्षेत्र का निर्माण कर रहे हैं ताकि पशु वहां रह सकें.
Prabhat Khabar Digital Desk
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