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नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने आज असंतुष्ट नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कारण बताओ नोटिस भेजकर पार्टी से उनके निष्कासन की दिशा में अंतिम कदम उठाया, वहीं यादव ने इस कदम पर सवाल खडा करते हुए कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ […]

नयी दिल्ली : आम आदमी पार्टी ने आज असंतुष्ट नेताओं प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए कारण बताओ नोटिस भेजकर पार्टी से उनके निष्कासन की दिशा में अंतिम कदम उठाया, वहीं यादव ने इस कदम पर सवाल खडा करते हुए कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है. आप के प्रवक्ता दीपक बाजपेई ने कहा कि यादव, भूषण, आनंद कुमार और अजीत झा को अलग अलग नोटिस भेजकर उनके खिलाफ आरोपों की फेहरिस्त सप्रमाण भेजी गयी है.

उन्होंने कहा, उनसे दो दिन में जवाब देने को कहा गया है. हमने उन्हें मेल किया है और हाथ से भी प्रति सौंपी है.
हालांकि असंतुष्ट नेताओं ने दावा किया कि उन्हें अभी नोटिस नहीं मिला है. अंसतुष्ट नेताओं द्वारा स्वराज संवाद के आयोजन के बाद पार्टी ने उनके मामलों को राष्ट्रीय अनुशासन समिति को भेजा था. नोटिस भेजे जाने के कदम पर सवाल खडा करते हुए यादव ने कहा कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है क्योंकि उनके खिलाफ आरोप लगाने वाले लोग अनुशासन समिति का हिस्सा हैं.
यादव ने यह भी कहा कि पार्टी की राष्ट्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष दिनेश वाघेला ने टेलीफोन पर हुई बातचीत में उन्हें बताया था कि समिति ने अभी मामले में विचार नहीं किया है. यादव की यह टिप्पणी आप नेता आशुतोष के इस बयान की पृष्ठभूमि में आई थी कि आरोपपत्र तैयार किया जा रहा है और असंतुष्ट नेताओं को जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा.
यादव ने आशुतोष की ओर इशारा करते हुए कहा, मुझे हैरानी है कि जो व्यक्ति समिति का सदस्य नहीं है, वह बयान जारी कर रहा है. कल मैंने दिनेश वाघेला से फोन पर बात की थी जो राष्ट्रीय अनुशासन समिति के अध्यक्ष हैं. मैंने उनसे औपचारिक बात की और हमारे खिलाफ जांच की स्थिति बताने को कहा. उन्होंने बताया था कि वह गोवा में हैं और समिति के पास अभी तक मामला नहीं है. इसलिए कल तक इस पर कोई बैठक नहीं हुई थी.
यादव ने कहा, मैंने उन्हें यह भी बताया था कि यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है क्योंकि अनुशासन समिति के दो सदस्यों ने उनके और भूषण के खिलाफ आरोप लगाये. वह आशीष खेतान और पंकज गुप्ता की ओर इशारा कर रहे थे.
यादव ने कहा, यदि कोई जज किसी मामले से सीधे तौर पर या परोक्ष रुप से भी जुडा होता है तो वह खुद को उस विशेष मामले से अलग रखता है. कोई शिकायती खुद जज कैसे हो सकता है? पिछले महीने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में भूषण, यादव, आनंद कुमार और अजीत झा को पार्टी की शीर्ष इकाइयों से हटा दिया गया था.
Prabhat Khabar Digital Desk
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