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अनुपम खेर ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च में पत्रकार से हुई बदसलूकी पर जताया खेद

नयी दिल्ली : देश में ‘‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लेखकों और कलाकारों द्वारा किये जा रहे विरोध के जवाब में बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने आज राष्ट्रपति भवन तक मार्च का नेतृत्व किया, इस मार्च में एनडीटीवी की पत्रकार भैरवी सिंह के साथ बदसलूकी हुई. अनुपम खेर ने अब इस पूरी घटना पर खेद जताते […]

नयी दिल्ली : देश में ‘‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ लेखकों और कलाकारों द्वारा किये जा रहे विरोध के जवाब में बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर ने आज राष्ट्रपति भवन तक मार्च का नेतृत्व किया, इस मार्च में एनडीटीवी की पत्रकार भैरवी सिंह के साथ बदसलूकी हुई. अनुपम खेर ने अब इस पूरी घटना पर खेद जताते हुए माफी मांगी. हालांकि महिला पत्रकार से बदसलूकी करने वाले कौन लोग थे इसकी पहचान अबतक नहीं हो पायी है लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें सार्वजनिक की गयी है जिसमें कुछ लोगों को पत्रकार के साथ हंगामा करते दिखाया गया है. भैरवी ने पूरे मामले पर टीवी चैनलो से भी बात करते हुए कहा, जब वह लाइव रिपोर्ट दे रही थी उसके बाद लोगों ने उन पर टिप्पणी करनी शुरू की और भद्दे नामों से उन्हें बुलाया . इसके बाद साथी पत्रकारों ने उन्हें भीड़ से बाहर निकाला. भैरवी ने ट्वीटर पर इस घटना की जानकारी देते हुए कई ट्वीट किये. ट्वीट के माध्यम से उन्होंने अनुपम खेर और मधुर भंडारकर से भी सवाल किये.

https://twitter.com/Bhairavi_NDTV/status/662922252426436608

दूसरी तरफ पुरस्कार वापसी से देश की छवि को हो रहे नुकसान पर चिंता प्रकट करते हुए आज अनुपम खेर ने राष्ट्रपति से मुलाकात की. अनुपम खेर, निर्देशक मधुर भंडारकर और चित्रकार वासुदेव कामथ समेत 11 सदस्यों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन पर 90 लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें कमल हासन, शेखर कपूर, विद्या बालन, रवीना टंडन और विवेक ओबरॉय जैसी फिल्मी हस्तियां, लेखक, पूर्व न्यायाधीश और संगीतकार शामिल हैं.
राष्ट्रपति के समक्ष पत्र पढते हुए खेर ने कहा ‘‘किसी की भी नृशंस हत्या निंदनीय है. हम लोग इसकी कडी निंदा करते हैं और त्वरित न्याय की उम्मीद करते हैं. लेकिन अगर इसका इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा भारत को वैश्विक स्तर पर बदनाम करने की कोशिश के तौर पर किया जा रहा है तो हम लोगों को चिंता करनी चाहिए।’ अभिनेता ने कहा कि जो लोग विरोध कर रहे हैं वे अपनी चिंता को अपने संबंधित क्षेत्र के माध्यम से उठाने के बजाय भारत की भावना को चोट पहुंचाने के लिए मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. गौरतलब है कि विरोध की शुरआत लेखकों द्वारा साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के साथ हुई थी. उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत को असहिष्णु कहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि दुनिया में कोई भी देश भारत के समान सहिष्णु नहीं है.
खेर ने कहा ‘‘लोग चाहते हैं कि मैं रक्षात्मक हो जाउं क्योंकि वे मुझसे कहते रहते हैं ‘आप भाजपा से जुडे हुए हैं, आपकी पत्नी भाजपा में है.’ उनकी मंशा देश को बदनाम करने की है. अगर घर में कोई लडाई होती है तो हम लोग संवाद करते हैं लेकिन ये लोग बिना किसी कारण के निराश हैं और किसी तरह की बातचीत भी नहीं हुई है. मुझे गुस्सा आता है क्योंकि विदेशी अखबार भारत को असहनशील बता रहे हैं.’
मार्च में शामिल भंडारकर ने कहा ‘‘जिस तरह से समूचे प्रकरण को पेश किया जा रहा है और उसका जो संदेश देश से बाहर जा रहा है, वह गलत है. यह विविधताओं का देश है और निश्चित तौर पर कुछ घटनाएं हुई हैं लेकिन हम सभी उन घटनाओं की निंदा करते हैं. इस बारे में दो राय नहीं है.’ फिल्म निर्माता प्रियदर्शन ने अवार्ड वापसी के कदम को राजनीतिक एजेंडा बताया. उन्होंने कहा ‘‘वर्षों की असहिष्णुता के बाद हम लोगों को एक व्यक्ति :नरेंद्र मोदी: मिला है जिसके पास एक नजरिया है. वे उनको काम करते हुए नहीं देखना चाहते। वे उनके द्वारा किये जा रहे प्रयासों को नाकाम करना चाहते हैं. अवार्ड वापसी के पीछे बहुत बडा राजनीतिक एजेंडा है.’ एक अन्य फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने बताया कि राष्ट्रपति ने उन लोगों को आश्वासन दिया है कि वह इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से बात करेंगे.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए खेर ने कहा ‘‘विपक्षी पार्टी जिस नेता को पेश कर रही है वह मुझे बहुत अधिक प्रभावित नहीं करते। वह पहले से तैयार किये गये बयान पढते हैं. हमारे पूर्व प्रधानमंत्री भी यही किया करते थे। वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी जिस उत्साह के साथ भारत के बारे में बात करते हैं वैसा इससे पहले के किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं किया। किसी और प्रधानमंत्री ने इतनी बार कश्मीर का दौरा नहीं किया। इसलिए मुझे उनका सम्मान क्यों नहीं करना चाहिए?’ ‘‘बढती असहिष्णुता’ का कई लेखक, इतिहासकार, वैज्ञानिक और फिल्म निर्माता विरोध कर रहे हैं और कम-से-कम 75 लोगों ने अपने पुरस्कार वापस किये हैं. भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पहले ही विरोध को कृत्रिम आक्रोश और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर चुकी है.
Prabhat Khabar Digital Desk
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