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अब केरल,बंगाल और तमिलनाडु में अपनी ताकत बढ़ायेगा संघ

नयी दिल्ली : उत्तर और मध्य भारत में अपनी पैंठ बनाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु समेत कोरोमंडल क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने पर जोर दे रही है और इस संदर्भ में कार्य योजना और रुपरेखा को अंतिम रुप दिया जा रहा है. संघ की इस पहल के मद्देनजर […]

नयी दिल्ली : उत्तर और मध्य भारत में अपनी पैंठ बनाने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु समेत कोरोमंडल क्षेत्र में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने पर जोर दे रही है और इस संदर्भ में कार्य योजना और रुपरेखा को अंतिम रुप दिया जा रहा है. संघ की इस पहल के मद्देनजर तमिलनाडु में कोयंबतूर में आरएसएस की सर्वोच्च निर्णय करने वाली संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक महत्वपूर्ण मानी जा रही है जो केरल की सीमा के पास ही है.

आरएसएस की ओर से तमिलनाडु और केरल में आरएसएस प्रचारकों एवं कार्यकर्ताओं को सात्तापक्ष के लोगों की हिंसा का शिकार होने का आरोप लगाया जाता रहा है जहां संघ लगातार अपना विस्तार करने में जुटा हुआ है. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में देश भर से संघ के 1400 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इसमें खासतौर पर दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने अपने क्षेत्र में वर्ष भर की गतिविधियों और आने वाले दिनों की कार्य योजना पेश की. इसमें इन क्षेत्रों में संघ की गतिविधियों को तेज करने पर खास जोर दिया गया है. उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों में हाल के चुनाव में भाजपा की जबर्दस्त जीत के बाद दक्षिण भारत संघ की कार्य योजना के केंद्र में है. आरएसएस के एक वरिष्ठ प्रचारक ने कहा, संस्था चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेती है. लेकिन हम शत प्रतिशत मतदान के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं.
सरसंघचालक मोहन भागवत भी कई मौकों पर शत प्रतिशत मतदान के बारे में चर्चा कर चुके हैं. लेकिन निश्चित तौर पर एक राष्ट्रवादी सामाजिक..सांस्कृतिक संगठन के तौर पर हम दक्षिण भारत समेत देश के विभिन्न हिस्सों में अपने जनहित कार्यो को बढाने का प्रयास करते हैं. हालांकि, कोयंबतूर में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पारित प्रस्ताव में भी यह स्पष्ट रुप से सामने आया है, जिसमें पश्चिम बंगाल का जिक्र करते हुए कहा गया है कि राज्य में हिन्दू जनसंख्या 1951 में प्रदेश की कुल आबादी का 78.45 प्रतिशत थी जो 2011 की जनगणना के अनुसार घटकर 70.54 प्रतिशत रह गई है. संघ के प्रस्ताव में इसे गंभीर चेतावनी का विषय बताया गया है.
आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा कट्टरपंथी हिंसा तथा राज्य में तुष्टीकरण की नीति की कडी शब्दों में निंदा करती है तथा समस्य देशवासियों का यह आह्वान करती है कि जिहादी हिंसा और राज्य सरकार की साम्प्रदायिक राजनीति के विरुद्ध जन जागरण करें.
इसमें कहा गया है कि देश के जन संचार माध्यमों से भी यह आग्रह है कि इस परिस्थिति को देश के सामने प्रस्तुत करें. साथ ही राज्य सरकार का आह्वान करती है कि वह क्षुद्र राजनीति से ऊपर उठकर अपने दायित्यों का निर्वाह करे. हम केंद्र सरकार का भी आह्वान करते हैं कि राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ दृढता से कार्रवाई सुनिश्चित करे. तमिलनाडु के कोयंबतूर में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक 19 से 21 मार्च तक हुई। इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत, भैय्याजी जोशी समेत संघ के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ विश्व हिन्दू परिषद के नेता प्रवीण तोगडिया, भाजपा के संगठन मंत्री रामलाल आदि ने हिस्सा लिया.
Prabhat Khabar Digital Desk
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