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बीते कुछ वर्षों में देशभर में सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. इस गति को जारी रखते हुए 2024 तक राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई दो लाख किलोमीटर करने का लक्ष्य रखा है. अभी यह लंबाई 1.4 लाख किलोमीटर है.

बीते कुछ वर्षों में देशभर में सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. इस गति को जारी रखते हुए 2024 तक राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई दो लाख किलोमीटर करने का लक्ष्य रखा है. अभी यह लंबाई 1.4 लाख किलोमीटर है. यह जानकारी देते हुए केंद्रीय सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि देश को हर ओर से जोड़ने वाली भारतमाला परियोजना तथा हरित राजमार्गों के कारण आगामी वर्षों में यातायात के खर्च में बड़ी कमी आयेगी.

राष्ट्रीय विकास पर इसके सकारात्मक प्रभाव का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि आवागमन खर्च में यह कमी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन फीसदी होगी. जब राजमार्ग बनता है या उसका विस्तार होता है, तो उसके साथ अनेक व्यवसायों के लिए भी अवसर पैदा होते हैं. जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने खड़ी है. इसके समाधान की दिशा में उल्लेखनीय पहल करते हुए केंद्र सरकार 26 हरित एक्सप्रेस हाईवे और लॉजिस्टिक पार्क बना रही है. सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर अर्थव्यवस्था की आधारभूत आवश्यकता है तथा वह सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में भी है. लेकिन इसमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं.

स्वतंत्र आकलनों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (2022-23) में राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण की गति केवल 32-34 किलोमीटर प्रतिदिन रह सकती है क्योंकि लागत खर्च में लगातार वृद्धि हो रही है. वैसे यह आशा भी है कि मानसून के बाद काम में तेजी आयेगी और निर्माण औसत बेहतर भी हो सकता है. वर्ष 2021-21 में कोरोना महामारी से जुड़ी मुश्किलों और देश के कुछ हिस्सों में मानसून लंबा रहने के कारण हर दिन औसतन 28.64 किलोमीटर सड़क ही निर्मित हो सकी थी. सरकार का लक्ष्य है कि हर दिन 50 किलोमीटर सड़क निर्माण होना चाहिए. ऐसे में निर्माण की गति को बढ़ाने के लिए ठेकों का निर्धारण भी त्वरित गति से करना होगा.

इसके साथ ही आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति भी सुनिश्चित की जानी चाहिए. राजमार्गों के लिए धन जुटाने के लिए सरकार का इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश ट्रस्ट के जरिये आम लोगों से पैसा लेकर उन्हें अच्छा ब्याज देने का सराहनीय विचार है. इसी तरह शेयरों के बिक्री का भी प्रस्ताव है. इन तरीकों से राजमार्गों में जनता की सीधी भागीदारी हो सकेगी. भारतमाला और अन्य सड़क परियोजनाओं के साथ आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के तहत हो रहे कुछ प्रयासों को भी जोड़ा गया है.

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