26.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

भारत का ठोस जवाब

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उचित ही कड़ी आपत्ति दर्ज की है और कहा है कि हमारे भी सिद्धांत हैं, जिनमें से एक सिद्धांत है विभाजन में पीछे छूट गये लोगों के प्रति दायित्व.

अपने को महाशक्ति समझने वाले कुछ देश आदतन आदर्शों एवं सिद्धांतों की आड़ में दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में बेमतलब टिप्पणी कर दबाव बनाने की कोशिश करते रहते हैं. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर अमेरिका का आपत्तिजनक बयान ऐसा ही एक प्रयास है. भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि सीएए को लेकर अमेरिका चिंतित है और इसके लागू होने की प्रक्रिया पर उसकी नजर है. उन्होंने यह भी जताने की कोशिश की है कि यह कानून सिद्धांतों से भटकाव है. इस निरर्थक टिप्पणी पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उचित ही कड़ी आपत्ति दर्ज की है और कहा है कि हमारे भी सिद्धांत हैं, जिनमें से एक सिद्धांत है विभाजन में पीछे छूट गये लोगों के प्रति दायित्व.

अमेरिका के साथ-साथ कुछ अन्य देशों के ऐसे बयानों का जवाब देते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने उन्हें याद दिलाया है कि भारत का त्रासद विभाजन हुआ था और उसके परिणामस्वरूप कई समस्याएं पैदा हुईं. सीएए ऐसी ही कुछ समस्याओं के समाधान का प्रयास है. विभाजन के समय भारत के नेताओं ने नये बने पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों से यह वादा किया था कि अगर उन्हें कोई परेशानी होती है, तो भारत उनका स्वागत करेगा. लेकिन इस वादे पर अमल की कोई कोशिश नहीं हुई, जबकि पाकिस्तान और उससे टूटकर बाद में बने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार, उनके दमन और उत्पीड़न का अंतहीन सिलसिला रहा. अफगानिस्तान में भी यही स्थिति रही.

इन देशों में अल्पसंख्यकों की घटती संख्या और सत्ता में उनकी भागीदारी का अभाव उनके साथ उन देशों के शासन और बहुसंख्यक समुदाय के दुर्व्यवहार का ठोस प्रमाण है. नागरिकता संशोधन कानून में यह प्रावधान किया गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के रूप में 31 अगस्त 2014 तक भारत आये लोगों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को गति दी जायेगी. इसमें कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि इन देशों या दुनिया के दूसरे हिस्सों से आये लोगों द्वारा नागरिकता हासिल करने के आवेदन पर विचार नहीं होगा. इस कानून में या किसी अन्य नियमन में किसी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी धार्मिक समुदाय का हो, की नागरिकता समाप्त करने का भी कोई नियम नहीं बनाया गया है. जयशंकर ने उचित ही रेखांकित किया है कि अमेरिका समेत अनेक पश्चिमी देशों में विश्व युद्ध के बाद नागरिकता देने की प्रक्रिया की गति तेज की गयी थी. उन्होंने कहा कि इस तरह की कोशिशों से जो लोग वंचित रह गये, उनके प्रति भारत का एक नैतिक दायित्व है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel