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मुताह निकाह के जरिए अकबर ने अपने हरम में हजारों महिलाओं को रखा, रिझाने के लिए होती थीं साजिशें

Mughal Harem Stories : मुगल शासक अकबर ने मुगलों के हरम को बड़ा बनाया और उसमें इस तरह की व्यवस्था की कि इतिहासकारों ने उसके बारे में लिखना जरूरी समझा. अकबर ने अपने हरम में महिलाओं को तमाम सुख-सुविधाएं मुहैया कराईं. अकबर की औरतें जिसमें उनकी मां, पत्नी, बहनें, दासियां और रखैल भी शामिल थीं, हरम में शानदार जीवन जीती थीं. उनके मनोरंजन, शिक्षा और अन्य जरूरतों के लिए भी अकबर ने व्यवस्था की थी. चार से अधिक बीवियों के लिए उनके समय मुताह निकाह की व्यवस्था भी थी.

Mughal Harem Stories 2 : बादशाह अकबर को कुछ चीजें उनके पिता और दादा ने विरासत में मिली थी, जिनमें औरतों के प्रति सम्मान भी शामिल था. अकबर की जीवनी को अगर पढ़ा जाए, तो उसमें यह बात साफ नजर आती है कि अकबर अपनी मां और पालने वाली मां का बहुत सम्मान करता है. अपनी पत्नियों का भी अकबर ने हमेशा सम्मान किया और उनके सुख-सुविधाओं के लिए हरम को इतना बड़ा और शानदार बनवाया. बाबर और हुमायूं के हरम में दो से अधिक महिलाएं नहीं होती थीं, लेकिन अकबर के हरम में यह संख्या हजारों में थी. बाबर और हूमायूं ने खुद को चार बीवियों तक ही सीमित रखा, जबकि अकबर के समय यह विवाद का विषय बन गया और उसने इसपर उलेमा से राय थी ली.

मुताह निकाह के जरिए हरम में रखी गईं महिलाएं

इतिहासकार किशोरी शरण लाल ने अपनी किताब The Mughal Harem में लिखा है कि उलेमा यह मानते हैं कि एक मुसलमान व्यक्ति चार शादी कर सकता है. इसके पीछे तर्क यह दिया जाता था कि एक पत्नी शादी के तीन माह बाद गर्भवती हो जाती है, इस लिहाज से बादशाह चार शादी कर सकता है, ताकि उसके सुख में कोई बाधा ना आए. अगर उसे पांचवीं शादी भी करनी हो, तो उसे एक पत्नी को तलाक देना पड़ेगा. चूंकि अकबर के हरम में कई औरतें थीं, इसलिए इसपर इबादतखाने में चर्चा हुई और वहां यह बात तय हुई कि मुताह निकाह के जरिए एक मुसलमान व्यक्ति कितनी भी औरतों के साथ रह सकता है. चूंकि बादशाह तो स्वयं कानून होता था, इसलिए उसके लिए मुताह निकाल बेहतरीन उपाय था. अकबर के हरम में औरतों की कई कैटेगरी थी, वो आपस में दिखावे के लिए तो प्यार से ही रहती थीं, लेकिन पद और बादशाह पर प्रभाव जमाने के लिए एक दूसरे के खिलाफ साजिशें करती थीं. हालांकि वे इसका खुलासा नहीं करती थीं.

क्या है मुताह निकाह

इस्लाम में मुताह निकाह अस्थायी विवाह को कहते हैं, जिसमें एक समझौते के तहत निकाह किया जाता है, जो पहले से ही तय अवधि के लिए होता है. निकाह की अवधि कुछ घंटों से लेकर 99 साल तक की हो सकती है. मुताह निकाह की परंपरा इस्लाम से पहले की अरबी परंपरा मानी जाती है, जिसका चलन शिया मुसलमानों में ज्यादा था. सुन्नी यह मानते हैं कि पैगंबर मुहम्मद ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया था. इस निकाह में लिखित या मौखिक अनुबंध होते हैं और इसकी विधि निकाह से अलग होती है. मुताह निकाह में किसी गवाह का होना भी जरूरी नहीं है.

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अकबर के हरम की सबसे ताकतवर महिला माहम अंगा

Mughal Harem
मुगल-हरम में औरतें

मुगल हरम में बादशाह की मां सर्वोच्च होती थी, हालांकि इसके कई अपवाद भी हुए. बाबर और हुमायूं के हरम में उनकी मां ही हरम की सर्वेसर्वा होती थी और उनके की हुक्म से वहां सब काम होता था. वह बादशाह की मुख्य पत्नी से अधिक प्रभावशाली होती थीं. लेकिन अकबर के समय स्थिति बदली अकबर की मां उनके साथ बचपन में नहीं रहीं और अकबर को अपनी दस पालक माताओं के साथ रहना पड़ा, जिनमें प्रमुख थी माहम अंगा. माहम अंगा का अकबर के हरम पर बहुत प्रभाव था. उसने यहां अपने प्रभाव को बनाए रखने के लिए काफी साजिशें भी कीं. उनके अलावा अकबर की मां मरियम मकानी, सलीमा बेगम और अकबर की अन्य बेगमों का स्थान भी उनकी प्रतिष्ठा के अनुसार था. अकबर के हरम में पत्नी, उप पत्नी, रखैल, दासियां, नर्तकी आदि भी रहती थीं.हरम में बहनों का भी बहुत खास स्थान था. जहांगीर ने भी अपनी आत्मकथा में अपनी बहन उन्निसा बेगम का जिक्र करते हैं, वह उससे अपने बच्चे की तरह प्यार करते थे. अकबर ने हरम की औरतों के लिए नौरोज के अवसर पर खास मेले का आयोजन शुरू करवाया था. अकबर ने अपने हरम को बाबर और हुमायूं के हरम से अलग बनवाया था, क्योंकि हरम के आकार का असर राजा के प्रभाव पर थी पड़ता था, इसलिए उसने विशाल बनवाया. हिजड़े यहां के रक्षक होते थे और महिलाओं की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं थी.

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Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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