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मां के स्तन में दूध सही से उतरे और बच्चे को मिले उसके हक का दूध, इसके लिए उठाएं यह जरूरी कदम

World Breastfeeding Week 2025 : मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है. अभी तक किसी भी वैज्ञानिक शोध में यह बात साबित नहीं हुई है कि मां का दूध किसी भी तरह से बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है, विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत में यह बात मजबूती से इसलिए कही जा रही है ताकि हर शिशु को उसके हक का दूध मिले, ताकि उसके शरीर और दिमाग का संपूर्ण विकास हो. मां का दूध बच्चे के शरीर का तो विकास करता ही है उसे कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है.

World Breastfeeding Week 2025 : एक नवजात बच्चे के लिए मां का दूध अमृत है, लेकिन क्या आपने सोचा है कि जो मां स्तनपान कराती है अगर वह खुद स्वस्थ ना हो, तो उसके लिए स्तनपान कराना कितना सुरक्षित होगा. यह सवाल इसलिए क्योंकि भारत में 57% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं. वहीं एनएफएचएस-5 के एक आंकड़ों के अनुसार देश में 15-49 साल की लगभग 19% महिलाओं का बीएमआई 18.5 किलोग्राम से कम है.बीएमआई की यह स्थिति यह बताती है कि ये महिलाएं गंभीर रूप से कुपोषण की शिकार हैं. इस स्थिति में अगर वे मां बनती हैं और अपने शिशु को स्तनपान कराती हैं, तो उनके स्वास्थ्य पर और भी बुरा असर पड़ सकता है.

स्तनपान को प्राथमिकता देना जरूरी, लेकिन महिलाओं को भी चाहिए जरूरी सहायता

स्तनपान को प्रोत्साहित करने के लिए वर्ष 2025 में विश्व स्तनपान दिवस का थीम रखा गया है-स्तनपान को प्राथमिकता दें, स्थायी सहायता प्रणालियां बनाएं. इसका आशय यह है कि जितना जरूरी है स्तनपान कराना, उतना ही जरूरी है स्तनपान कराने वाली माताओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा. ऐसा इसलिए कि अगर स्तनपान कराने वाली महिला स्वस्थ नहीं होगी, तो स्तनपान कराने से उसके स्वास्थ्य पर गंभीर असर होगा. ऐसी महिलाओं में एनीमिया, कमजोर रोग प्रतिरक्षा, मानसिक व शारीरिक समस्याएं अधिक होती हैं, इसलिए मां के लिए आत्म‑सुरक्षा और पोषण की कमी को दूर करना बहुत जरूरी है.

मां के कुपोषित होने से लैक्टेशन फेल्योर की समस्या

एक मां का आहार बहुत ही संतुलित होना चाहिए, यही वजह है कि गर्भवती महिला के भोजन पर डाॅक्टर बहुत ध्यान देते हैं. पौष्टिक आहार के जरिए ही एक महिला गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रह सकती है और बच्चे के जन्म के बाद उसे संपूर्ण आहार के रूप में अपना दूध पिला सकती है. अगर मां कुपोषित होगी, उसे एनीमिया होगा, जो कि अपने देश में बहुत ज्यादा देखने को मिलता है तो संभव है कि बच्चे के जन्म के बाद उसके स्तन में दूध ना उतरे. हालांकि ऐसा बहुत कम होता है, लेकिन यह स्थिति भी बनती है. स्त्री रोग विशेषज्ञ और डाॅ रूपाश्री पुरुषोत्तम बताती हैं कि अगर कोई स्त्री गंभीर रूप से एनीमिया की शिकार है और कुपोषित है तो संभव है कि वह लैक्टेशन फेल्योर की शिकार हो जाए. इस स्थिति में महिला के शरीर में दूध नहीं उतरता है. विगत कुछ वर्षों में ऐसे मामले लगातार बढ़ रहे हैं. मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम है, इसलिए बच्चे को दूध की कमी ना हो इस स्थिति से बचने के लिए यह जरूरी है कि मां को प्रोपर डाइट मिले. उसके खाने में भोजन के तमाम पौष्टिक तत्व मौजूद होने चाहिए. डाॅ रूपाश्री कहती हैं कि यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर कोई औरत एनेमिक होने के बाद भी स्तनपान करा रही है, तो अन्य कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें थकान, कमजोरी चक्कर आना जैसी समस्या हो सकती है. साथ ही ऐसी महिलाओं में प्रसव के बाद यूटरस आसानी से अपनी सामान्य स्थिति में नहीं लौट पाता है और उसमें संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है. इसकी वजह यह होती है कि कुपोषित महिलाओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है.

मां के दूध में मौजूद तत्व और उनकी उपलब्धता

पोषक तत्वमां के आहार/कुपोषण का दूध पर असर
प्रोटीन, वसा, लैक्टोजअधिकांश मामलों में संरक्षित रहता है
फेट्टी एसिड (PUFA, DHA)मां की डायट पर निर्भर, कमी संभव
विटामिन B2, B12, विटामिन A/D, आयोडीनखुराक की कमी पर दूध में कमी संभव
लोहा (Iron) स्तनपान से शिशुओं को पर्याप्त मिलता है

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मां के कुपोषित होने से कम नहीं होते हैं दूध के पोषक तत्व

WHO, UNICEF और वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि कुपोषित मां भी स्तनपान करा सकती हैं, उनके कुपोषण का असर उनके दूध पर नहीं पड़ता है, लेकिन यदि मां गंभीर रूप से कुपोषित है, तो दूध की मात्रा और उसमें मौजूद कुछ पोषक तत्वों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. यहां गौर करने वाली बात यह है कि मां दूध के प्रमुख पोषक तत्व प्रोटीन, वसा और लैक्टोज (शुगर) इनपर मां के कुपोषित होने का कोई असर नहीं पड़ता है. माता के कुपोषित होने के बावजूद उसके दूध में प्रोटीन, लैक्टोज और वसा का स्तर लगभग स्थिर रहता है, ताकि शिशु को पर्याप्त पोषण मिलता रहे. इन तत्वों का निर्माण मां के शरीर के भंडारण (body reserves) से खींचकर किया जाता है. हालांकि इन तत्वों के अलावा भी मां के दूध में कई विटामिन, मिनरल, एंजाइम, एंटीबॉडीज और हॉर्मोन्स मौजूद होते हैं, जो शिशु की वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं. अगर महिला कुपोषित होगी तो उसके दूध में इन तत्वों की कमी हो सकती है, इसलिए उसके आहार को बेहतर बनाना बहुत जरूरी है.

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क्या मां का दूध बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार है?

हां मां का दूध बच्चे को कई बीमारियों से बचता है और उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है.

क्या कुपोषित मां का दूध अच्छा नहीं होता है?

अगर मां कुपोषित भी हो, तब भी उसके दूध की गुणवत्ता पर कोई खास असर नहीं होता है.

Rajneesh Anand
Rajneesh Anand
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक. प्रिंट एवं डिजिटल मीडिया में 20 वर्षों से अधिक का अनुभव. राजनीति,सामाजिक, खेल और महिला संबंधी विषयों पर गहन लेखन किया है. तथ्यपरक रिपोर्टिंग और विश्लेषणात्मक लेखन में रुचि. IM4Change, झारखंड सरकार तथा सेव द चिल्ड्रन के फेलो के रूप में कार्य किया है. पत्रकारिता के प्रति जुनून है.

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