25.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Magh Purnima 2020: माघ पूर्णिमा को स्वयं भगवान विष्णु करते हैं गंगा में वास, ये करने से मिलेगा आपको पुण्‍य

नौ फरवरी को यानी आज माघ पूर्णिमा है. माघ महीने का सनातनियों के लिए अलग ही माहात्म्य है. इस पूरे महीने लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा को तीर्थराज प्रयाग से लेकर हर वह जगह जहां कोई पवित्र नदी या सरोवर है वहां […]

नौ फरवरी को यानी आज माघ पूर्णिमा है. माघ महीने का सनातनियों के लिए अलग ही माहात्म्य है. इस पूरे महीने लोग ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. महीने के अंतिम दिन यानी पूर्णिमा को तीर्थराज प्रयाग से लेकर हर वह जगह जहां कोई पवित्र नदी या सरोवर है वहां श्रद्धालु उमड़ पड़ते हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि सनातनी कर्मकांडों में विश्वास न रखनेवालों के लिए भी यह दिन बहुत खास है, क्योंकि माघ पूर्णिमा को ही संत रविदास का जन्मदिवस मनाया जाता है. उस संत रविदास का, जिनके लिए पूजा-पाठ की जगह भक्ति, कर्म और समानता में विश्वास ही सबकुछ था, जो ’मन चंगा, तो कठौती में गंगा’की बात करते थे.

मुकेष ऋषि , ऋतंभरा प्रज्ञा आश्रम
शास्त्रों में कहा गया है- ’मासपर्यंत स्नानासंभवे तु त्रयहमेकाहं वायात्’अर्थात् जो मनुष्य स्वर्गलोक में स्थान पाना चाहते हैं, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर तीर्थ स्नान अवश्य करना चाहिए. ज्योतिषियों के अनुसार, माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप है. यदि किसी ने पूरे माघ माह में नियमपूर्वक स्नान नहीं किया हो या दान-पुण्य नहीं किया हो, तो भी माघी पूर्णिमा को तीर्थ स्नान व दान करने से संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होता है.

भारतीय संस्कृति में सालभर पर्व-त्योहारों का सिलसिला परंपरागत ढंग से सदियों से चलता आ रहा है. उसी शृंखला के अंतर्गत माघी पूर्णिमा के पुण्य स्नान पर्व का विशेष महत्व है. सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए माघ पूर्णिमा का स्नान बहुत ही फलदायी और महत्वपूर्ण है. शास्त्रों के अनुसार, माघ मास में विशेषकर पूर्णिमा के दिन दान, धर्म-कर्म व स्नान का विशेष महत्व है. जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब माघ पूर्णिमा का पवित्र योग बनता है. इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है.

ब्रह्मवैवर्त पुराण, पद्मपुराण, निर्णयसिंधु में कहा गया है कि माघ पूर्णिमा के दिन खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस तिथि में भगवान नारायण क्षीरसागर में विराजते हैं तथा गंगा क्षीरसागर का ही रूप हैं. अतः इस पावन समय में गंगा जल के स्पर्श मात्र से समस्त पापों का नाश हो जाता है. इस दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान विष्णु का तेज रहता है. भगवान विष्णु व्रत, उपवास, दान से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक वे माघ मास में और माघ पूर्णिमा के दिन स्नान करनेवाले से होते हैं. प्रयागराज में रहने वाले कल्पवासी क्षौरकर्म यानी मुंडन कराके पूरी विधि से गंगा स्नान कर सत्यनाराण की पूजा करते हैं और भिखारियों को दान में कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूता, छाता, फल और अन्न आदि देते हैं. पितरों का श्राद्ध-तर्पण कर पापों से मुक्त होते हैं. इससे उन्हें धन, यश, सुयोग्य, संतान, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

माघ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व प्रयाग में संगम, गंगा नदी या फिर किसी भी पवित्र नदी या घर में जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करने से जो पुण्य मिलता है, वह पुण्य इस पृथ्वी पर 10 हजार अश्वमेध यज्ञों से भी अधिक होता है. शास्त्रों में कहा गया है- ’मासपर्यंत स्नानासंभवे तु त्रयहमेकाहं वायात्’अर्थात् जो मनुष्य स्वर्गलोक में स्थान पाना चाहते हैं, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर तीर्थ स्नान अवश्य करना चाहिए. ज्योतिषियों के अनुसार, माघ मास स्वयं भगवान विष्णु का स्वरूप है. यदि किसी ने पूरे माघ माह में नियमपूर्वक स्नान नहीं किया हो या दान-पुण्य नहीं किया हो, तो भी माघी पूर्णिमा को तीर्थ स्नान व दान करने से संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होता है. इस दिन किये गये महास्नान से समस्त कष्टों-रोगों का नाश होता है.

माघ मास में स्नान का सबसे अधिक महत्व प्रयाग के संगम तीर्थ का है. निर्णयसिंधु के अनुसार माघ मास के दौरान मनुष्य को कम से कम एक बार तो पवित्र नदी में स्नान करना ही चाहिए. माघ पूर्णिमा को किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने से स्वर्गलोक का उतराधिकारी बनना सर्वसुलभ है.

स्नान-दान के बाद सुनें सत्यनारायण कथा : इस दिन स्नान-दान के समय ’ओम् नमो भगवते वासुदेवाय नमः’का जप करते रहना चाहिए. प्रातः स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देकर जप करने के पश्चात सुपात्र को दान देने से दैविक, दैहिक व भौतिक तापों से मुक्ति मिलती है. इस दिन सत्यनारायण की कथा का विशेष महत्व है. विष्णु भगवान की पूजा में केलापत्ता, पंचामृत, सुपारी, पान, शहद, मिष्ठान, तिल, मौली, रोली, कुमकुम, दूर्वा, का उपयोग किया जाता है. शिवलिंग पर शहद चढ़ाते हुए गंगाजल या दूध मिले पवित्र जल से उन्हें स्नान कराना चाहिए. चंदन, फूल, शमीपत्र, विल्वपत्र, अक्षत और मिठाई का भोग लगाकर भगवान शिव की आरती करने से भोलेनाथ की कृपा से संकट-कष्ट दूर होते हैं. परिवार को निरोगी व दीर्घायु बने रहने का आशीष प्राप्त होता है.

यदि नदी या तीर्थ न जा सकें तो क्या करें
तीर्थ, नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करना संभव न हो, तो घर पर ही ब्रह्म मुहूर्त में जल में गंगाजल, आंवला रस और तुलसीपत्ता डाल कर स्नान करना चाहिए. ब्रह्म मुहूर्त में जो स्नान करते हैं, उन्हें अति-उत्तम फल की प्राप्ति होती है. तारों के छुपने के बाद, किंतु सूर्योदय से पूर्व स्नान से मध्यम फल मिलता है. जो सूर्योदय के बाद स्नान करते हैं, वे उत्तम फल की प्राप्ति से वंचित रह जाते हैं. अतः इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना ही श्रेयस्कर है. माघ पूर्णिमा को सभी देवता पृथ्वी पर आकर गंगा में स्नान करने के साथ-साथ मनुष्य रूप धारण करके दान, भजन-सत्संग आदि करते हैं. अतः सभी को इस दिन जरूर स्नान करना चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel