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आधा भारत नहीं जानता अल्लाह हाफिज और खुदा हाफिज में क्या है अंतर

Allah Hafiz Khuda Hafiz Difference: मुस्लिम समाज में विदा लेते समय आमतौर पर "खुदा हाफिज़" और "अल्लाह हाफिज़" कहा जाता है.देखने में दोनों शब्दों का अर्थ लगभग एक जैसा है — ईश्वर आपकी हिफाजत करे.लेकिन मशहूर लेखक और गीतकार जावेद अख़्तर के अनुसार, इन दोनों शब्दों के बीच एक भाषाई और वैचारिक अंतर मौजूद है.आइए जानते हैं कि आखिर इन दो विदाई शब्दों में भिन्नता या विरोध क्यों देखी जाती है.

Allah Hafiz Khuda Hafiz Difference: सोशल मीडिया पर एक इंटरव्यू के दौरान जावेद अख्तर ने ‘खुदा हाफिज़’ और ‘अल्लाह हाफिज़’ के बीच के फर्क पर अपने विचार साझा किए. उनका यह बयान विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से वायरल हो गया और चर्चा का विषय बन गया. “खुदा हाफिज” और “अल्लाह हाफिज” दोनों ही उर्दू भाषा में प्रयुक्त होने वाले विदाई शब्द हैं, जिनका अर्थ होता है – “ईश्वर आपकी हिफाजत करे” या “ईश्वर की सुरक्षा में रहें.” हालांकि अर्थ में समानता होते हुए भी इन दोनों शब्दों के बीच धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से कुछ अंतर देखा जाता है.

“खुदा हाफिज” था हर विदाई का हिस्सा

“खुदा हाफिज” में “खुदा” शब्द फारसी भाषा से आया है, जिसका अर्थ है “ईश्वर” या “भगवान”. यह शब्द भारतीय उपमहाद्वीप में विशेष रूप से उर्दू साहित्य, कविता और आम बोलचाल में प्राचीन समय से प्रयुक्त होता रहा है. फारसी का प्रभाव मुगल काल में उर्दू पर काफी अधिक रहा, इसलिए “खुदा हाफिज” काफी लंबे समय तक एक आम विदाई शब्द बना रहा.

‘अल्लाह’ शब्द का पवित्रता से गहरा नाता

वहीं “अल्लाह हाफिज” में “अल्लाह” शब्द अरबी भाषा से लिया गया है, जो इस्लाम धर्म में ईश्वर के लिए प्रयोग होने वाला विशुद्ध शब्द है. यह शब्द कुरान में भी उपयोग किया गया है और मुस्लिम समाज में अल्लाह शब्द को ज्यादा पवित्र और धार्मिक माना जाता है.

खुदा हाफिज की जगह अल्लाह हाफिज अधिक प्रचलित

1980 और 1990 के दशक के बाद कुछ इस्लामी देशों और समुदायों में धार्मिक चेतना के साथ यह विचार आया कि “अल्लाह” शब्द इस्लामिक मूल के अधिक करीब है, इसलिए “अल्लाह हाफिज” का प्रयोग किया जाना चाहिए. इसके चलते पाकिस्तान और कई मुस्लिम समुदायों में “खुदा हाफिज” की जगह “अल्लाह हाफिज” अधिक प्रचलित होने लगा.

“खुदा हाफिज” और “अल्लाह हाफिज” दोनों का अर्थ एक ही है, लेकिन “खुदा” फारसी प्रभाव को दर्शाता है जबकि “अल्लाह” अरबी और इस्लामी परंपरा के प्रति जुड़ाव को दिखाता है. यह अंतर भाषा, संस्कृति और धार्मिक झुकाव को समझने में मदद करता है. दोनों ही शब्द आज भी अपने-अपने संदर्भों में उपयोग किए जाते हैं.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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