Ardra Nakshatra 2025:ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. जब सूर्य किसी राशि या नक्षत्र में गोचर करता है, तो उसका प्रभाव व्यापक स्तर पर देखने को मिलता है—कभी यह सकारात्मक परिवर्तन लाता है तो कभी यह प्राकृतिक और सामाजिक असंतुलन का कारण भी बनता है.
सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश
15 जून 2025 को सूर्य ने मिथुन राशि में प्रवेश किया है. इस राशि में पहले से ही वृहस्पति (जो अस्त अवस्था में हैं) और बुध पहले से विराजमान हैं. सूर्य का यह गोचर 22 जून 2025 को राहु के स्वामित्व वाले आद्रा नक्षत्र में होगा. यह गोचर रविवार को पड़ रहा है, और पंचांग के अनुसार उस दिन आषाढ़ कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि रहेगी.
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आद्रा नक्षत्र की प्रकृति
आद्रा नक्षत्र के देवता रुद्र हैं और इसके स्वामी राहु हैं. इसका स्वभाव स्त्रैण और तीव्रगामी माना जाता है. यही कारण है कि जब सूर्य इस नक्षत्र के पहले चरण में प्रवेश करते हैं, तो पृथ्वी ‘रजस्वला’ अवस्था में मानी जाती है. 22 जून से 25 जून 2025 तक सूर्य आद्रा नक्षत्र के पहले चरण में रहेंगे. इस समय भूमि की जुताई और बुआई करना निषेध बताया गया है, क्योंकि इसे खेती के लिए अनुपयुक्त समय माना जाता है.
मानसून की शुरुआत का संकेत
हालांकि सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश मानसून वर्षा की शुरुआत का भी सूचक होता है. जैसे ही आद्रा की पहली वर्षा होती है, किसान बीज बोने का कार्य आरंभ कर देते हैं.
इस वर्ष आद्रा का प्रवेश जल राशि के लग्न में होगा, जो किसानों के लिए शुभ संकेत है. मौसम विज्ञान और पंचांग गणना के अनुसार 6 जुलाई 2025 तक अच्छी वर्षा के योग बन रहे हैं.
रविवार और द्वादशी का संयोग: शुभ या अशुभ?
द्वादशी तिथि को सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश सामान्यतः शुभ माना जाता है, लेकिन चूंकि यह गोचर रविवार को हो रहा है, इसलिए पशु-पालन से जुड़े क्षेत्रों में हानि की आशंका जताई गई है. विशेषकर 6 जुलाई 2025 तक पशुओं में महामारी फैलने का खतरा बढ़ सकता है.
आद्रा नक्षत्र और प्राकृतिक संकेत
आद्रा नक्षत्र का वाहन मूषक (चूहा) है और इसका योग स्त्री-पुरुष सम्मिलन का प्रतीक है. इस कारण शुरुआत में तेज हवा और मूसलाधार बारिश, उसके बाद धीमी वर्षा की संभावनाएं बनती हैं. इससे बाढ़, बिजली गिरने, और भूस्खलन जैसी आपदाओं की आशंका भी प्रबल हो जाती है.
ग्रहयोग और गंभीर प्रभाव
सूर्य इस समय राहु के नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं जबकि वृहस्पति अस्त अवस्था में हैं. इससे गुरु-राहु का चांडाल योग बन रहा है जो मिथुन राशि में सक्रिय है. साथ ही सिंह राशि में मंगल और केतु की युति अंगारक योग बना रही है. इन दोनों योगों का प्रभाव मिलकर भीषण गर्मी, दुर्घटना, महामारी, और भूकंप-बाढ़ जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है. मिथुन, सिंह और कुम्भ राशि पर ग्रहों की दृष्टी विशेष रूप से इन नकारात्मक घटनाओं से जुड़ी हुई है.
किन राशियों को मिलेगा लाभ?
सूर्य के आद्रा नक्षत्र में गोचर से कुछ राशियों को विशेष लाभ भी मिलेगा. मेष, वृषभ, सिंह, कन्या और कुम्भ राशियों के लिए यह समय करियर, व्यापार, और सामाजिक प्रतिष्ठा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने वाला हो सकता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ)
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