Ashadh Gupt Navratri 2025: इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून 2025, गुरुवार से आरंभ होकर 4 जुलाई तक मनाई जाएगी. हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाया जाता है. इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है क्योंकि इस दौरान साधक मां दुर्गा की आराधना गुप्त रूप से करते हैं, विशेष रूप से तांत्रिक और आध्यात्मिक साधनाओं में लिप्त रहते हैं.
उत्तर भारत के राज्यों—उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यह पर्व बड़े भक्तिभाव से मनाया जाता है. इसे गायत्री नवरात्र भी कहा जाता है क्योंकि इस समय गायत्री मंत्र की साधना विशेष फलदायी मानी जाती है.
गुप्त नवरात्रि का महत्व
वर्ष भर में चार नवरात्र मनाए जाते हैं—चैत्र, आश्विन, पौष और आषाढ़. इनमें आषाढ़ और पौष के नवरात्र विशेष रूप से गुप्त साधनाओं के लिए जाने जाते हैं. यह काल देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है. इन दिनों की साधना से नकारात्मक ऊर्जाओं, ग्रह दोषों और नजर दोष से राहत मिलती है.
देवी पूजन की तिथियां
- 26 जून (गुरुवार): प्रतिपदा – घटस्थापना, मां शैलपुत्री
- 27 जून (शुक्रवार): द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी
- 28 जून (शनिवार): तृतीया – मां चंद्रघंटा
- 29 जून (रविवार): चतुर्थी – मां कूष्मांडा
- 30 जून (सोमवार): पंचमी – मां स्कंदमाता
- 1 जुलाई (मंगलवार): षष्ठी – मां कात्यायनी
- 2 जुलाई (बुधवार): सप्तमी – मां कालरात्रि
- 3 जुलाई (गुरुवार): अष्टमी – मां महागौरी
- 4 जुलाई (शुक्रवार): नवमी – मां सिद्धिदात्री, हवन और नवमी पूजन
गुप्त नवरात्रि में कैसे करें पूजा?
इस नौ दिनों में व्रत, उपवास, दुर्गा सप्तशती पाठ, हवन और आरती की जाती है. कई साधक विशेष तांत्रिक विधियों से देवी की उपासना करते हैं. यह समय आध्यात्मिक उन्नति, आत्मबल की वृद्धि और दुर्भाग्य को दूर करने का होता है.
यदि आप जन्मकुंडली, व्रत, वास्तु दोष निवारण या किसी विशेष पूजा-विधान से संबंधित जानकारी चाहते हैं, तो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें:
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
(ज्योतिष, वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ)
8080426594 / 9545290847