Ashadha Maah 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है. यह मास भगवान विष्णु की उपासना, व्रत, कथा और तीर्थ स्नानों के लिए अत्यंत पुण्यदायक माना जाता है. किंतु, धर्मशास्त्रों के अनुसार इस मास में कुछ विशेष वस्तुओं का दान वर्जित बताया गया है. यदि व्यक्ति इन वस्तुओं का दान करता है, तो इसके विपरीत फल भी मिल सकते हैं. आइए जानते हैं आषाढ़ माह में कौन-सी वस्तुएं दान नहीं करनी चाहिए और इसके पीछे धार्मिक कारण क्या हैं:-
– तिल का दान न करें
आषाढ़ माह में तिल का दान वर्जित माना गया है. सामान्यत: तिल का उपयोग पितरों की तृप्ति के लिए किया जाता है, लेकिन इस मास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और पितृकर्म का समय श्रावण व पितृपक्ष में आता है. इसलिए आषाढ़ में तिल का दान करना पुण्य के बजाय दोष उत्पन्न कर सकता है.
– तेल या तैलीय वस्तुएं
इस मास में तैलीय पदार्थ जैसे सरसों का तेल, घी आदि का दान वर्जित है. शास्त्रों में कहा गया है कि इन वस्तुओं का दान करने से व्यक्ति को आर्थिक हानि हो सकती है और लक्ष्मी की कृपा कम हो सकती है. इसके बजाय इस माह में जल, फल या वस्त्र का दान करना उत्तम होता है.
– लोहे की वस्तुएं
धार्मिक मान्यता के अनुसार, आषाढ़ मास में लोहे की वस्तुओं का दान अशुभ होता है. यह शनिदेव की वस्तु मानी जाती है और इस मास में इसे दान करने से शनि की क्रूर दृष्टि पड़ सकती है. खासकर शनिवार को लोहे का दान करने से बचना चाहिए..
– बिस्तर या गद्दे
आषाढ़ माह में बिस्तर, चादर या गद्दे आदि का दान भी वर्जित बताया गया है..यह चीज़ें व्यक्ति की निजी ऊर्जा से जुड़ी होती हैं और इनका दान करने से मानसिक बेचैनी या नींद की समस्या हो सकती है. शास्त्रों में इन्हें ‘जीवसंपर्की वस्तुएं’ माना गया है, जिनका दान विशेष काल में ही उचित होता है.
– नमक या खट्टी चीज़ें
इस माह में नमक या अचार, इमली जैसी खट्टी वस्तुओं का दान करना वर्जित है. इन वस्तुओं को राहु और केतु से संबंधित माना गया है और इनका दान करने से ग्रह दोष बढ़ सकते हैं. साथ ही, यह वस्तुएं शरीर में वात-पित्त बढ़ा सकती हैं जो आषाढ़ के मौसम में हानिकारक होती हैं.
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आषाढ़ मास में दान करना पुण्यकारी होता है, परंतु शास्त्रों की मर्यादा का पालन अत्यंत आवश्यक है. सही ज्ञान और भावना से किया गया दान ही शुभ फल देता है. अतः उपरोक्त वस्तुओं का दान इस पावन माह में करने से बचें और ध्यानपूर्वक धर्म का पालन करें.