Ashadha Maah 2025 importance: हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास वर्ष का चौथा महीना होता है, जो ज्येष्ठ के बाद और श्रावण से पहले आता है. यह माह देव आराधना, साधना और आत्मचिंतन का विशेष काल माना जाता है. विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा-उपासना इस महीने में अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है. आषाढ़ मास संधिकाल का प्रतीक है, जब गर्मी के मौसम का अंत और वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है. ऐसे में मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए शिव-भक्ति को अत्यंत प्रभावी माना गया है.
इन चीजों से शिवजी को करें जलाभिषेक
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव ऐसे देव हैं जो सच्ची भावना और थोड़े से प्रयास से भी प्रसन्न हो जाते हैं. आषाढ़ मास में जल का महत्व बढ़ जाता है, और शिवलिंग पर जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और बेलपत्र अर्पण करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही भस्म, धतूरा और शुद्ध जल अर्पित कर भक्त अपने कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं.
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मानसिक तनाव और दोष होता है दूर
मान्यता है कि इस मास में शिव-पूजा करने से रोग, मानसिक तनाव और दोषों का शमन होता है. भगवान शिव को योगीश्वर और तपस्वी देव माना जाता है, अतः यह माह ध्यान, जप और तप का सर्वोत्तम समय होता है. जो भक्त आषाढ़ मास में नियमित रूप से शिव मंत्रों का जाप करते हैं, उन्हें आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ पारिवारिक सुख और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
इस मंत्र का करें जाप
इस दौरान विशेष रूप से सोमवार का व्रत रखना, “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप और शिव चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभफलदायक माना गया है. कुल मिलाकर, आषाढ़ मास शिव-भक्ति का एक पवित्र द्वार है, जो भक्तों को श्रावण मास की गहन आराधना के लिए तैयार करता है और उनके जीवन में शांति, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है.