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Ashadha Month 2025 होने वाला है शुरू, इस माह गलती से भी न कर बैठें ये भूलें

Ashadha Month 2025 starting date: हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का चौथा महीना 'आषाढ़' जल्द ही शुरू होने जा रहा है. यह माह धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ का महीना कई विशेष घटनाओं और व्रतों की शुरुआत से जुड़ा होता है. यही महीना चातुर्मास्य व्रत की शुरुआत का संकेत देता है. साथ ही यह सूर्य की स्थिति और आकाशीय घटनाओं से भी विशेष संबंध रखता है, जो इसे और भी विशेष बना देता है.

Ashadha Month 2025 Starting Date : हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह वर्ष का चौथा महीना होता है, जो धार्मिक, आध्यात्मिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बेहद खास माना गया है. भीषण गर्मी के बाद इस महीने के साथ ही वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है, जिससे सूखी पड़ी धरती हरी-भरी हो उठती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है. सनातन परंपरा में हर माह को किसी विशेष देवता को समर्पित किया गया है. आषाढ़ मास भगवान श्रीविष्णु को समर्पित माना जाता है. इस दौरान विष्णु जी की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. इस माह में व्रत, जप, ध्यान और तीर्थ स्नान जैसे कार्य अत्यधिक पुण्यदायी माने जाते हैं.

कब से कब तक है अषाढ़ माह

वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की शुरुआत इस वर्ष 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट से हो रही है, जब कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ होगी. यह तिथि 12 जून को दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगी. पंचांग की उदया तिथि मान्यता के अनुसार, आषाढ़ माह का आरंभ 12 जून 2025, बुधवार से माना जाएगा. आषाढ़ माह का समापन 10 जुलाई को होगा. इस अवधि में कई महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होते हैं, जिनमें देवशयनी एकादशी, योगिनी एकादशी, वट पूर्णिमा जैसे पर्व प्रमुख हैं. यह महीना भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष फलदायी माना जाता है और इसी माह से चातुर्मास की पवित्र अवधि भी शुरू होती है.

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शुभ कार्यों से करें परहेज

चातुर्मास को धर्म और आस्था में संयम का काल माना जाता है. धार्मिक परंपराओं के अनुसार, इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. चूंकि भगवान विष्णु योगनिद्रा में रहते हैं, इसलिए इन चार महीनों में शुभ कार्यों को स्थगित करने की सलाह दी जाती है.

नशीले पदार्थों और मांसाहार से बनाएं दूरी

चातुर्मास आत्म अनुशासन और तप का समय है. इस अवधि में मांस, मदिरा और अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए. संयमित जीवनशैली से न केवल आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि शरीर भी शुद्ध और स्वस्थ बना रहता है.

भोजन में रखें सतर्कता

बरसात के मौसम में पाचन क्षमता सामान्य से कमजोर हो जाती है. ऐसे में बासी, तला-भुना या भारी भोजन करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. चातुर्मास के दौरान हल्का, ताजा और सात्विक भोजन करने की परंपरा है, जो शरीर को रोगमुक्त रखने में सहायक होता है.

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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