Garud Puran : गरुड़ पुराण, जो कि सनातन धर्म के अठारह महापुराणों में एक है, मृत्यु और उसके बाद की यात्रा का विस्तृत वर्णन करने वाला प्रमुख ग्रंथ है. इस पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के बाद व्यक्ति की कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं जिनमें उसकी सांसारिक ऊर्जा, संस्कार और प्रेत-छाया का प्रभाव रह जाता है. यदि जीवित लोग इन वस्तुओं का उपयोग कर लें, तो उन्हें न केवल पाप का भागी बनना पड़ता है, बल्कि जीवन में रोग, दरिद्रता, मानसिक अशांति और पितृदोष का भी सामना करना पड़ सकता है, यहां गरुड़ पुराण के अनुसार, मरे हुए व्यक्ति की कुछ ऐसी चीजें बताई जा रही हैं जिन्हें जीवित लोगों को कभी उपयोग नहीं करना चाहिए:-
– मृतक के कपड़े न पहनें
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत व्यक्ति के वस्त्रों में उसकी देह की ऊर्जा और मृत्युकालीन तरंगें समाहित होती हैं. यदि कोई व्यक्ति उन वस्त्रों को पहनता है, तो उसे मानसिक व्यग्रता, दुःस्वप्न और दुर्भाग्य का सामना करना पड़ सकता है. इन वस्त्रों को पवित्र अग्नि में प्रवाहित कर देना या उचित विधि से त्याग देना चाहिए.
– मृतक का बिस्तर या तकिया न उपयोग करें
मृत व्यक्ति के सोने का स्थान उसके शरीर की अंतिम ऊर्जा और वासना को अपने में संजो लेता है. यदि कोई उस बिस्तर या तकिए का प्रयोग करता है तो उसे मानसिक तनाव, रोग और भय का सामना करना पड़ सकता है. इसे भी त्याग करना ही श्रेयस्कर होता है.
– मृतक की धातु की वस्तुएं जैसे चश्मा, घड़ी, अंगूठी आदि न पहनें
धातुएं ऊर्जा को संचित करने में सक्षम होती हैं..मृतक द्वारा पहनी गई धातु की वस्तुओं में उसकी जीवनी ऊर्जा और अधूरी इच्छाओं का प्रभाव रह सकता है. इन वस्तुओं को पहनने से व्यक्ति की प्रगति रुक सकती है और जीवन में अज्ञात भय बना रह सकता है.
– मृत व्यक्ति का उपयोग किया गया रसोई का सामान न अपनाएं
गरुड़ पुराण के अनुसार मृतक के उपयोग की थाली, गिलास, चम्मच आदि को दोबारा प्रयोग नहीं करना चाहिए. ये वस्तुएं शुद्ध नहीं मानी जातीं और भोजन में अशुद्धि लाकर मानसिक और शारीरिक रोगों का कारण बन सकती हैं.
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गरुड़ पुराण न केवल मृत्यु के रहस्यों को उजागर करता है, बल्कि जीवितों को भी मर्यादा और शुद्ध आचरण की शिक्षा देता है. इन वस्तुओं से दूर रहकर ही हम आत्मिक शुद्धि, पितृ शांति और ईश कृपा प्राप्त कर सकते हैं.