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Guru Purnima 2024: गुरु पूर्णिमा की तारीख को लेकर क्यों है असमंजस की स्थिति, जानें ज्योतिषाचार्य से सही तिथि, शुभ मुहूर्त और इस दिन का महत्व

Guru Purnima 2024: आज हम जानेंगे कि पूर्णिमा कब है. पूजा विधि क्या है. इस दिन क्या करना चाहिए, क्या नहीं करना चाहिए. पूर्णिमा के दिन और क्या करना बेहद शुभ रहता है. गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करने पर घर में सुख समृद्धि और बरकत आती है.

Guru Purnima 2024: आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. क्योंकि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं. साधारण भाषा में समझे तो गुरु वह व्यक्ति है जो ज्ञान की गंगा बहाते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन अपने कर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए. फिर महर्षि वेदव्यास जी के चित्र को सुगंधित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाना चाहिए. इसके बाद वस्त्र फूल फल और माला अर्पण करने के बाद कुछ दक्षिणा अपने सामर्थ्य अनुसार भेंट करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. इस बार गुरु पूर्णिमा की तारीख को असमंजस है. आज हम आपको बताएंगे कि गुरु पूर्णिमा की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में

गुरु पूर्णिमा कब है?

ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा के बाद सावन शुरू हो जाता है. गुरु पूर्णिमा पर खासकर गुरु की पूजा का महत्व माना गया है. आषाढ़ पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस वर्ष गुरु पूर्णिमा का पर्व 21 जुलाई 2024 दिन रविवार को है. इस दिन गुरु पूजा से पुण्य फल की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा तिथि को बेहद खास माना गया है. ज्योतिष में बताया गया है कि पूर्णिमा तिथि के दिन व्रत रखकर माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से घर परिवार में हमेशा बरकत होती है. इसके साथ ही पूर्णिमा व्रत और स्नान दान बेहद खास माना जाता है. कहा गया है कि इस दिन सुदामा ने भी व्रत रखा था, जिसकी वजह से उनकी गरीबी दूर हो गई थी. पूर्णिमा के दिन कुछ ऐसे उपाय हैं जो घर में आर्थिक संकट समाप्त हो जाते हैं कभी भी दरिद्रता नहीं आती है. इसके साथ ही घर में चल रहे क्लेश खत्म हो जाते हैं.

कब से शुरू हो रही पूर्णिमा तिथि

पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 20 जुलाई शाम 05 बजकर 59 मिनट पर होगी. वहीं, तिथि का समापन अगले दिन 21 जुलाई को शाम 3 बजकर 46 मिनट पर होगा. क्योंकि शुक्ल पक्ष में उदया तिथि का महत्व ज्यादा रहता है. उदया तिथि के अनुसार आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को है. इसलिए गुरु पूर्णिमा 21 जुलाई को मनाया जाएगा. 21 जुलाई को सूर्योदय का समय सुबह 5 बजकर 37 मिनट रहेगा और सूर्यास्त का समय शाम 7 बजकर 18 मिनट रहेगा. इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7 बजकर 38 मिनट रहेगी. गुरु पूर्णिमा का व्रत तो 21 जुलाई को रखा जाएगा. इस दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है. इस बर गुरु पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, प्रीति योग, विषकुंभ योग का निर्माण होगा, जो बेहद शुभ माने जाते हैं. इस साल इन शुभ योग के संयोग में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा, जो बेहद ही शुभ माना जा रहा है.

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गुरु पूर्णिमा का महत्व

कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि गुरु पूर्णिमा हमारे हिंदू धर्म क्यों मनाया जाता है. गुरु पूर्णिमा का महत्व क्या है. आइए इस स्टोरी में जानते है- पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व ब्रह्मपुत्र महाभारत, श्रीमद् भागवत और 18 पुराण जैसे अद्भुत साहित्य की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म पूर्णिमा को हुआ था. वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे. उन्होंने अपने दिव्य दृष्टि से देखकर यह जान लिया था कि कलयुग में धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो जाएगी. धर्म में रुचि कम होने के कारण मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला कर्तव्य और कम आयु वाला हो जाएगा. एक बड़े और संपूर्ण वेद का अध्ययन करना उसके बस की बात नहीं होगी, इसलिए महर्षि वेदव्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया. जिससे कि अल्प बुद्धि और शक्ति रखने वाले लोग अध्ययन करके उसका लाभ उठा सकें.

वेदों का इस प्रकार विभाजन करने के कारण अलग-अलग बांटने के बाद उनका नाम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का इस प्रकार विभाजन करने के कारण विकास के नाम से प्रसिद्ध हुए. उन्होंने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का ज्ञान अपने प्रिय शिष्यों में और जमीन को दे दिया. मुश्किल होने के कारण वेद व्यास जी ने पुराने की रचना पांचवी वेद के रूप में की. जिसमें वेद विज्ञान को कहानियों के रूप में समझाया गया है. व्यास जी के शिष्यों ने अपनी बुद्धि बल के अनुसार उन वेदों को अनेक शाखाओं में रचना की. गुरु पूर्णिमा का यह प्रसिद्ध त्योहार उनकी पूजा करने के लिए मनाया जाता है. संसार की संपूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से प्राप्त होती है. गुरु से मंत्र प्राप्त करने के लिए भी गुरु पूर्णिमा का दिन श्रेष्ठ होता है. इस दिन गुरुजनों की यात्रा संभव सेवा करने का बहुत महत्व है.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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