Jyeshtha Month 2025 : सनातन धर्म में ज्येष्ठ मास का विशेष महत्व माना गया है. यह माह ग्रीष्म ऋतु के चरम काल का प्रतीक होता है और तप, संयम, सेवा, और दान की प्रधानता रखता है. 2025 में ज्येष्ठ मास 13 मई से 11 जून तक रहेगा. यह महीना पवित्रता, धर्म और पुण्य प्राप्ति के लिए उत्तम समय होता है. इस दौरान किए गए शुभ कर्म और दान अनंत गुना फलदायी माने जाते हैं. विशेषतः जलदान और शीतल वस्तुओं का दान अत्यंत पुण्यप्रद होता है:-
– जल से भरे घड़े (जलदान) का दान करें
ज्येष्ठ मास में सूर्य की प्रखरता और गर्मी अत्यधिक होती है। ऐसे में प्यासे जीवों के लिए जलदान सबसे श्रेष्ठ पुण्य कार्य माना गया है.
ताम्र, मिट्टी या पीतल के पात्र में शीतल जल भरकर राहगीरों के लिए प्याऊ लगवाएं या किसी मंदिर, गौशाला, सार्वजनिक स्थान में जल की व्यवस्था करें.
शास्त्रों में कहा गया है – “जलदानं महादानं” – जल का दान सभी दानों में श्रेष्ठ है.
– छाता, चप्पल और वस्त्र का दान करें
इस भीषण गर्मी में छाया देने वाली वस्तुएं जैसे छाता, टोपी, अंगोछा आदि का दान राहगीरों, गरीबों या ब्राह्मणों को करने से सूर्य दोष शांत होता है.
चप्पल, कपड़े और गर्मी से बचाने वाले वस्त्रों का दान विशेष पुण्य प्रदान करता है.
– शरबत, चावल और सत्तू का दान
गर्मी में शरीर को ठंडक देने वाले पेय जैसे गुड़-शरबत, बेल का रस, सत्तू आदि का दान अत्यंत फलदायक है.
गरीबों, यात्रियों और ज़रूरतमंदों को यह सामग्री प्रदान करना परम पुण्यकारी है.
– पंखा या शीतलता प्रदान करने वाली वस्तुएं दान करें
हाथ के पंखे (पलाश या खजूर के), इलेक्ट्रिक पंखे या कूलर यदि संभव हो तो दान करना बहुत फलदायक माना गया है.
इससे जीवन में शांति, सुख और संतुलन आता है तथा पितृदोष भी शांत होता है.
– गौ सेवा और अन्न दान करें
इस महीने में गौ माता को हरा चारा, गुड़, जल और ठंडक देने वाले उपाय करना विशेष पुण्यदायी होता है.
अन्न, फल और शीतल जल का दान किसी वृद्धाश्रम, अनाथालय या गरीब बस्ती में करें.
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ज्येष्ठ मास तप, सेवा और दान का प्रतीक है.इस पवित्र माह में थोड़ा सा परोपकार भी अनंत पुण्य की प्राप्ति कराता है. आइए, धर्म और करुणा से जीवन को श्रेष्ठ बनाएं.