Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है. इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन, श्रद्धालु भगवान शिव को विभिन्न प्रकार की भेंटें अर्पित करते हैं, जिनमें भांग भी शामिल है. भांग को भगवान शिव से जोड़ने की परंपरा प्राचीन है और इसे चित्रों, पेंटिंग्स और धार्मिक ग्रंथों में देखा जा सकता है. लेकिन क्या वास्तव में भांग और भगवान शिव के बीच कोई संबंध है? आइए, इसे समझने का प्रयास करते हैं.
पवित्र हिंदू ग्रंथों में भांग के संदर्भ में क्या उल्लेखित है?
वेदों में उल्लेख है कि भगवान शिव ने भांग का सेवन अपनी इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण पाने के लिए किया था. इसके साथ ही, यह भी चेतावनी दी गई है कि भगवान शिव के अलावा कोई अन्य इस स्थिति को प्राप्त नहीं कर सकता.
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पौराणिक शास्त्रों में अनेक कथाएं प्रचलित हैं
पौराणिक शास्त्रों में भांग और भगवान शिव के संबंध को स्पष्ट करने के लिए कई कथाएं प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें समुद्र मंथन की घटना सबसे प्रमुख है. इस घटना में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके, लेकिन इस मंथन से हलाहल विष उत्पन्न हुआ. इस विष के ताप को सहन करने की किसी में भी क्षमता नहीं थी, किंतु भगवान शिव ने इसे पीकर तीनों लोकों की रक्षा की. इसके बाद भगवान शिव को भांग दी गई, ताकि उनका गला ठंडा हो सके, जो विष के प्रभाव से जल रहा था.
शैव परंपरा में भांग का स्थान
शैव परंपरा में भांग को भगवान शिव को अर्पित करने की प्रथा इस बात का प्रतीक है कि व्यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार के नशे और मदिरा का त्याग करता है. इसका आध्यात्मिक महत्व है और यह उन भ्रांतियों से पूरी तरह भिन्न है जो लोग इसके बारे में सोचते हैं. इसलिए, भगवान शिव को भांग अर्पित करने का एक गहरा आध्यात्मिक अर्थ है.
इस प्रकार, महाशिवरात्रि पर भांग का सेवन और अर्पण भगवान शिव के साथ हमारे आत्मा और इन्द्रियों के संबंध को मजबूत करने के रूप में देखा जाता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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