Mangala Gauri Vrat 2025 : मंगला गौरी व्रत हिन्दू धर्म में स्त्रियों के लिए अत्यंत फलदायी और मंगलकारी व्रत माना जाता है. यह व्रत विशेष रूप से सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना हेतु करती हैं. यह व्रत श्रावण मास के प्रथम मंगलवार से प्रारंभ होकर कुल चार या 5 मंगलवार तक किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त हो जाती हैं:-
– व्रत की महिमा एवं महत्व
मंगला गौरी व्रत का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. यह व्रत मुख्यतः नवविवाहित स्त्रियां करती हैं, जिससे उन्हें सुखी दाम्पत्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है. देवी गौरी को स्त्री सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी माना गया है. इस व्रत से देवी गौरी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में आनंद, प्रेम और सुख-शांति बनी रहती है.
– व्रत की तिथि एवं समय
यह व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है. विशेषकर उत्तर भारत और महाराष्ट्र में इस व्रत का अत्यधिक महत्व है. पहला व्रत विवाह के बाद के पहले सावन में किया जाता है, और उसके बाद लगातार 5 वर्षों तक यह व्रत करने की परंपरा है.
– पूजा सामग्री एवं तैयारी
पूजा के लिए लकड़ी का पाटा, लाल वस्त्र, कलश, अक्षत, रोली, कुमकुम, फल, मिठाई, पंचमेवा, दीपक, कपूर, गंगाजल और मंगला गौरी की प्रतिमा या चित्र की आवश्यकता होती है. व्रति स्त्री स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती है और पूजा स्थान को शुद्ध करती है.
– संपूर्ण पूजा विधि
- व्रति पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठती है.
- कलश स्थापना कर देवी मंगला गौरी का आह्वान किया जाता है.
- 16 श्रृंगार सामग्री से देवी का पूजन किया जाता है.
- व्रत कथा का श्रवण या पाठ किया जाता है.
- दीपमालिका जलाकर आरती की जाती है और स्त्रियां एक-दूसरे को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देती हैं.
– व्रत की कथा एवं उद्यापन
व्रत कथा में बताया गया है कि कैसे एक निर्धन ब्राह्मण की बहू ने यह व्रत करके अपने पति को अकाल मृत्यु से बचाया. पांच वर्षों तक यह व्रत नियमित रूप से करने के पश्चात उद्यापन किया जाता है, जिसमें सुमंगली स्त्रियों को भोजन करवा कर उन्हें वस्त्र और श्रृंगार सामग्री भेंट की जाती है.
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मंगला गौरी व्रत नारी जीवन में सौभाग्य, सुख और समृद्धि को सुनिश्चित करता है. यह व्रत न केवल पति की दीर्घायु के लिए, बल्कि पूरे परिवार की भलाई और शांति के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है.