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Nirjala Ekadashi 2025 के दिन करें ये 5 महत्वपूर्ण काम, व्रत सफल होने में मिलेगी मदद

Nirjala Ekadashi 2025 : निर्जला एकादशी का व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और सेवा का संगम है. यदि भक्त इन कार्यों को श्रद्धा और नियमपूर्वक करें, तो उन्हें वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है.

Nirjala Ekadashi 2025 : निर्जला एकादशी हिन्दू धर्म में वर्ष की सबसे कठिन और पुण्यदायी एकादशी मानी जाती है. यह व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. वर्ष 2025 में यह व्रत 6 जून को मनाया जाएगा.

निर्जला एकादशी का अर्थ

‘निर्जला’ का अर्थ है बिना जल के – अर्थात इस दिन न केवल अन्न बल्कि जल का भी त्याग किया जाता है. यह व्रत भीमसेन एकादशी के नाम से भी प्रसिद्ध है, क्योंकि महाभारत में भीम ने इसी व्रत को करने से पूरे वर्ष की एकादशियों का पुण्य प्राप्त किया था. इस कठिन व्रत को सफलतापूर्वक करने और अधिकतम पुण्य प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष कार्यों को अवश्य करना चाहिए. आइए जानते हैं ऐसे महत्वपूर्ण कार्य जिन्हें निर्जला एकादशी के दिन करना अत्यंत फलदायी होता है:-

– प्रातःकाल गंगा स्नान या शुद्ध जल से स्नान करें

निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर पवित्र नदियों जैसे गंगा, यमुना या किसी तीर्थ स्थल पर स्नान करना शुभ होता है. यदि यह संभव न हो तो घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें. इससे तन और मन दोनों शुद्ध होते हैं और व्रत की पवित्रता बढ़ती है.

– भगवान विष्णु की पूजा और श्री हरि को तुलसी दल अर्पित करें

इस दिन श्रीहरि विष्णु की विशेष पूजा का विधान है. पीले वस्त्र पहनाकर भगवान विष्णु को तुलसी दल, पंचामृत, पीले फूल, चने की दाल और केले का भोग अर्पित करें. विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ या “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है.

– अन्न, जल और वस्त्र का दान करें

निर्जला एकादशी पर दान का विशेष महत्व है. इस दिन जरूरतमंदों को शीतल जल, छाता, कपड़े, फल, अन्न और गाय को हरा चारा दान करना पुण्य प्रदान करता है. यह दान व्रत को पूर्णता प्रदान करता है और पापों से मुक्ति दिलाता है.

– व्रत में उपवास के साथ मौन साधना करें

व्रत के दौरान मौन रहना या कम बोलना आत्मिक शक्ति को बढ़ाता है. व्यर्थ की बातों से बचें और मन को श्रीहरि के स्मरण में लगाएं. यह आत्म-संयम व्रत की शक्ति को और गहरा करता है.

– रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करें

निर्जला एकादशी की रात को जागरण करना बहुत पुण्यदायी माना गया है. यह रात भगवान विष्णु के नाम संकीर्तन, कथा श्रवण और भजन में बितानी चाहिए. इससे जीवन में पॉजिटिव एनर्जी आती है और प्रभु की कृपा प्राप्त होती है.

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निर्जला एकादशी का व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि आत्म-संयम, भक्ति और सेवा का संगम है. यदि भक्त इन कार्यों को श्रद्धा और नियमपूर्वक करें, तो उन्हें वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्य प्राप्त होता है और जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.

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