Prasanna Vadanam Shloka : यह सुंदर संस्कृत श्लोक देवी लक्ष्मी की स्तुति में रचा गया है. इसे पढ़ने और स्मरण करने से मन, धन, सौंदर्य, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. नीचे इस श्लोक का अर्थ धार्मिक भाषा में, बिंदुओं में हिंदी में समझाया गया है:-

– श्लोक
वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां
हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्
भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः सेवितां
पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः
– “वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां”
मैं उन देवी लक्ष्मी की वंदना करता हूं जिनके हाथों में कमल है, जिनका मुख सदैव प्रसन्न रहता है. वे भक्तों को सौभाग्य (मंगलमय जीवन) और भाग्य (समृद्धि व सफलता) प्रदान करती हैं.
– “हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्”
वे अपने हाथों से अभय डर से मुक्ति देती हैं और विविध प्रकार के मणियों और आभूषणों से सुशोभित हैं. उनके दर्शन मात्र से भय दूर होता है और मन में आत्मविश्वास आता है.
– “भक्ताभीष्टफलप्रदां”
देवी लक्ष्मी अपने भक्तों को उनके इच्छित फल (धन, सुख, संतान, विजय आदि) प्रदान करती हैं. सच्चे मन से उन्हें पूजने वाला कभी खाली नहीं लौटता.
– “हरिहरब्रह्मादिभिः सेवितां”
देवी इतनी महान हैं कि हरि (विष्णु), हर (शिव) और ब्रह्मा जैसे त्रिदेव भी उनकी सेवा करते हैं. इससे उनके दिव्य और सर्वोच्च स्थान का प्रमाण मिलता है.
– “पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः”
देवी लक्ष्मी सदैव शक्तियों से युक्त रहती हैं और उनके पास पद्म (कमल), शंख, निधि (धन-संपदा) जैसे शुभ चिन्ह सदा विद्यमान रहते हैं. ये सब उन्हें ऐश्वर्य और दैवी कृपा की अधिष्ठात्री बनाते है.
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यह श्लोक देवी लक्ष्मी की दिव्यता, करुणा, सौंदर्य और शक्ति का उत्कृष्ट वर्णन करता है. जो भी श्रद्धा से इस श्लोक का पाठ करता है, उसे भय, दरिद्रता और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है और वह देवी की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त करता है.