Premanand Ji Maharaj Tips : सनातन धर्म में कहा गया है कि “मन एव मनुष्याणां कारणं बंध मोक्षयोः” अर्थात् मन ही बंधन और मोक्ष का कारण है. यदि मन शांत है तो जीवन में आनंद, संतुलन और ईश्वर की अनुभूति सहज होती है. परम पूज्य संत श्री प्रेमानंद जी महाराज, जोकि श्रीवृंदावन धाम के संतों में एक उच्च स्थान रखते हैं, उन्होंने अपने प्रवचनों में बार-बार यह समझाया है कि अशांत मन ही समस्त दुखों का मूल है. मन को शांत करने के लिए उन्होंने कुछ सहज लेकिन अत्यंत प्रभावशाली उपाय बताए हैं, जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए मार्गदर्शक हैं:-
– हरि नाम संकीर्तन करें
महाराज जी के अनुसार, “कलियुग में सबसे सरल साधना है – नाम जप।” दिन-रात हरि नाम जैसे ‘राधे राधे’, ‘हरे राम हरे कृष्ण’ का जाप करने से चंचल मन शांत होता है और आत्मा को शुद्धता का अनुभव होता है. नाम जप मन की उलझनों को काट देता है और ईश्वर से जोड़ता है.
– सत्संग में समय बिताएं
प्रेमानंद जी कहते हैं कि जिस प्रकार लौहचुंबक लोहे को अपनी ओर आकर्षित करता है, उसी प्रकार संतों की संगति आत्मा को प्रभु से जोड़ती है. सत्संग से ज्ञान, भक्ति और शांति की वर्षा होती है. टीवी, मोबाइल और अशांत वातावरण से दूर रहकर सत्संग करना, मन को दिव्यता की ओर ले जाता है.
– सादा जीवन, उच्च विचार अपनाएं
भौतिकता से भरे जीवन में मन कभी स्थिर नहीं हो सकता। महाराज जी हमेशा साधकों को सादा जीवन, संतोष और त्याग की सलाह देते हैं. जितना सरल जीवन होगा, उतना ही मन कम इच्छाओं में उलझेगा और शांति की अनुभूति करेगा.
– प्रत्येक दिन कुछ समय मौन रहें
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि मौन साधना से मन की चंचलता धीरे-धीरे समाप्त होती है. मौन रहने से भीतर की आवाज सुनाई देती है और आत्मा से संपर्क बनता है. यह अभ्यास साधक को आत्मनिरीक्षण और आत्म-शुद्धि में सहायक होता है.
– भगवद्गीता, रामायण या संत वाणी का पाठ करें
धार्मिक ग्रंथों का पाठ न केवल ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि यह मन को स्थिर और सात्विक बनाता है. महाराज जी के अनुसार, प्रतिदिन भगवद्गीता का एक श्लोक या रामचरितमानस की कुछ चौपाइयां पढ़ना, मन को ईश्वर से जोड़ने में सहायक होता है.
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प्रेमानंद जी महाराज द्वारा बताए गए ये उपाय न केवल मन की अशांति को दूर करते हैं, बल्कि साधक को आत्मिक सुख, भक्ति और प्रभु प्रेम की ओर अग्रसर करते हैं. जब मन शांत होता है, तब ही प्रभु साक्षात्कार संभव होता है.