Premanand Ji Maharaj Tips : संत श्री प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचनों में जीवन को सही दिशा देने वाले अमूल्य उपदेश होते हैं. वे न केवल भक्ति और साधना की राह बताते हैं, बल्कि व्यवहारिक जीवन में आने वाली कठिनाइयों से कैसे निपटें, यह भी समझाते हैं. उनके अनुसार, झूठे, कपटी और दोमुंहे लोगों का संग जीवन में नकारात्मकता, दुख और मानसिक अस्थिरता लाता है. ऐसे लोगों से दूरी बनाना आत्मिक शांति और सफल जीवन के लिए आवश्यक है:-
– सत्य की शक्ति को अपनाएं
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं, “सत्य का संग करने वाला स्वयं कभी छल का शिकार नहीं होता” यदि आप अपने आचरण, वाणी और कर्म में सत्य को अपनाते हैं, तो झूठे लोग स्वयं दूर हो जाते हैं. आपके भीतर की सच्चाई आपके चारों ओर एक सुरक्षा चक्र बना देती है.
– अंतरात्मा की आवाज सुनें
संतजी समझाते हैं कि झूठे लोगों की पहचान कठिन नहीं होती, यदि आप अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनना जान जाएं. जब कोई व्यक्ति बार-बार असत्य बोले, भ्रम फैलाए या दूसरों की निंदा करे – तो समझ लें कि उसका संग आपको भी गलत राह पर ले जा सकता है.
– साधना और नामस्मरण करें
प्रेमानंद जी महाराज बार-बार “राम नाम” के स्मरण का महत्व बताते हैं. उनका कहना है कि जब व्यक्ति प्रतिदिन नामजप और ध्यान करता है, तो उसकी चेतना जाग्रत हो जाती है. ऐसे में वह झूठे और कपटी लोगों के प्रभाव से स्वतः ही बचा रहता है.
– सत्संग का सहारा लें
“सच्चे लोगों का संग ही झूठ को परास्त करता है” – यह प्रेमानंद जी की विशेष शिक्षा है. इसलिए नियमित रूप से संतों का सत्संग, भजन-कीर्तन और धार्मिक प्रवचनों में भाग लें. इससे विवेक जाग्रत होता है और मनोबल बढ़ता है.
– दया करें, लेकिन दूरी रखें
महाराज जी सिखाते हैं कि हर व्यक्ति में भगवान का अंश है, इसलिए झूठे लोगों से द्वेष नहीं रखें, बल्कि उनके लिए भी मंगल की कामना करें. लेकिन उनके व्यवहार से स्वयं को सुरक्षित रखें – “दया भाव रखें, पर दूरी बनाकर रखें”
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झूठे और कपटी लोगों से दूरी बनाना आत्मरक्षा का ही एक रूप है. संत प्रेमानंद जी महाराज के इन दिव्य मार्गदर्शनों को जीवन में अपनाकर हम न केवल ऐसे लोगों से बच सकते हैं, बल्कि आत्मिक शांति और सद्भावना के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं.