Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और संतान प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन भक्त पूरी श्रद्धा और नियमों का पालन करते हैं. मान्यता है कि व्रत के दौरान कुछ कार्यों से परहेज करना चाहिए, वरना व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता.
पुत्रदा एकादशी व्रत का अपना खास महत्व है. यह व्रत हर वर्ष श्रावण और पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. मान्यता है कि इस व्रत से संतान की प्राप्ति होती है, संतान सुख में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है. शास्त्रों में इस पावन दिन व्रत और पूजन के साथ-साथ कुछ कार्यों से दूर रहने की भी सलाह दी गई है, ताकि व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके.
पुत्रदा एकादशी पर किन कार्यों से बचें
- झूठ न बोलें – यह व्रत सत्य, धर्म और पवित्रता का प्रतीक है, इसलिए असत्य वचन से पूरी तरह बचें.
- मांसाहार और नशा वर्जित – मांस, मछली, अंडा, शराब या किसी भी तरह का नशा इस दिन पूर्णतः निषिद्ध है.
- क्रोध और विवाद से बचें – शांत, संयमित और सकारात्मक मन से दिन बिताएं, झगड़े या वाद-विवाद से दूर रहें.
- तामसिक भोजन न करें – लहसुन, प्याज और अत्यधिक मसालेदार भोजन का सेवन न करें, सात्विक भोजन या फलाहार करें.
- दिन में न सोएं – मान्यता है कि एकादशी के दिन दिन में सोने से व्रत का पुण्य घटता है.
- अपमान और निंदा न करें – किसी का अपमान या बुराई करने से व्रत का प्रभाव कम हो सकता है, सभी के प्रति आदर का भाव रखें.
- जीव हिंसा न करें – किसी भी जीव को चोट या कष्ट न पहुंचाएं, दया और करुणा का भाव बनाए रखें.
- अशुद्धता से बचें – स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा-पाठ में पवित्रता बनाए रखें.