Raksha Bandhan 2025 : रक्षा बंधन केवल भाई-बहन के प्रेम का उत्सव ही नहीं, अपितु एक गूढ़ आध्यात्मिक संकेत भी है. राखी और जनेऊ — ये दोनों सूत-धागे, दिखने में सामान्य प्रतीत होते हैं, परन्तु इनमें छिपा हुआ है आध्यात्मिक चेतना और कर्तव्य का संदेश. आइए समझते हैं, इन दोनों के बीच का पवित्र और गूढ़ अंतर:-
1. कब है रक्षाबंधन 2025 ?
रक्षाबंधन 2025 में 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा. यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम और रक्षा के संकल्प का प्रतीक होता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं और उन्हें उपहार देते हैं.
– राखी और जनेऊ
राखी, बहन द्वारा भाई की कलाई पर बांधीजाती है, जो कि रक्षा, स्नेह एवं विश्वास का बाह्य प्रतीक है. वहीं जनेऊ एक ब्रह्मसूत्र है, जिसे धारण कर ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य धर्मपालन, वेदाध्ययन और संयम का आंतरिक संकल्प लेते हैं.
राखी प्रेम का बंधन है और जनेऊ संयम और धर्म का मार्ग है.
– राखी है सामाजिक, जनेऊ है वैदिक
राखी का प्रचलन जनमानस में व्यापक है, जबकि जनेऊ वेदों और धर्मशास्त्रों में वर्णित एक वैदिक संस्कार है.
राखी हर जाति-समुदाय में मनाई जाती है, परंतु जनेऊ केवल उपनयन संस्कार के पश्चात ही धारण किया जाता है.
– राखी में रक्षा का वचन, जनेऊ में आत्मरक्षा का व्रत
राखी में भाई बहन की रक्षा का वचन देता है, यह संबंध स्थूल (शरीर) रक्षा का प्रतीक है.
जनेऊ धारण कर व्यक्ति आत्मा की रक्षा, काम, क्रोध, लोभ जैसे आंतरिक शत्रुओं पर विजय पाने का व्रत लेता है.
– राखी एक दिन का पर्व, जनेऊ जीवन भर की साधना
रक्षा बंधन एक दिन का उत्सव है, पर जनेऊ एक दीर्घकालिक साधना है.
राखी हर साल बांधी जाती है,पर जनेऊ जीवन में केवल एक बार विधिपूर्वक धारण किया जाता है और नित्य नियमों के साथ निभाया जाता है.
– राखी में बहन की आस्था, जनेऊ में ऋषियों की परंपरा
राखी में बहन की भावना और आस्था का केंद्र है — स्नेह और सुरक्षा.
वहीं जनेऊ में वेद, ऋषि, पितर और अग्नि की पावन परंपरा का प्रतीक है — जो धर्म और ज्ञान की साधना से जुड़ा है.
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राखी और जनेऊ — दोनों पवित्र सूत्र हैं. एक सामाजिक प्रेम का उद्घोष है, तो दूसरा आध्यात्मिक उत्थान का प्रवेशद्वार. रक्षा बंधन 2025 में यदि इन दोनों के अर्थ को समझें, तो भक्ति और कर्तव्य दोनों की पूर्णता प्राप्त की जा सकती है.