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Sawan 2025 के चारों सोमवार को बन रहे दुर्लभ शुभ योग, व्रत, पूजन से होगी विशेष कृपा

Sawan 2025: सावन 2025 में आने वाले चारों सोमवार अत्यंत शुभ माने जा रहे हैं, क्योंकि इस बार दुर्लभ योगों का संयोग बन रहा है. इन दिनों भगवान शिव की पूजा, व्रत और रुद्राभिषेक करने से विशेष कृपा प्राप्त होगी. आस्था और साधना का यह समय मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला रहेगा.

Sawan 2025: मानसूनी फुहार ने देशभर को भिगोकर तेज धूप की जलती गर्मी से राहत दे दी है. अब नीलकंठ को विष के ताप से राहत देने के लिए जलाभिषेक का विशेष महीना श्रावण शुरू होने वाला है. वैदिक पंचांग के अनुसार पवित्र श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी. यह पूरा महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना, व्रत, जलाभिषेक और भक्ति में डूब जाने का सबसे पवित्र समय माना जाता है. झूसी स्थित श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि सावन के पहले ही दिन शिववास योग नाम का विशेष योग बन रहा है. इस शुभ योग में भगवान् शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे. मान्यता है कि इस योग में भोलेनाथ की पूजा और जलाभिषेक करने से सौभाग्य, सुख-समृद्धि तो मिलती ही है, भक्तों की मनचाही मुराद भी पूरी होती है. श्रावण मास भोलेनाथ की सच्चे मन से उपासना करने का सबसे पवित्र महीना माना जाता है. सावन के सोमवार और मास शिवरात्रि के विशेष अवसर पर अभिषेक-पूजा, व्रत कई गुना अधिक शुभ फल देने वाला होता है.

कब से होगी शुरूआत, कितने सोमवार

श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय के प्राचार्य ब्रजमोहन पांडेय ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई 2025 को होगी. उदया तिथि के अनुसार श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई की रात 11:07 मिनट से आरम्भ होकर 12 जुलाई की रात 2:08 मिनट तक रहेगी, इसीलिए 11 जुलाई से सावन माह की शुरुआत मानी जाएगी. पंचांग के अनुसार श्रावण मास का समापन 9 अगस्त को होगा. श्रावण के प्रथम सोमवार यानी 14 जुलाई को राहुकाल दोपहर 12:00 बजे से 1:30 बजे तक रहेगा. इस दिन स्वाति नक्षत्र और सिद्ध योग भी बन रहा है, जो बेहद शुभ माना जाता है. इस बार सावन पूरे 30 दिनों का होगा जिसमें चार सोमवार आएंगे.

14 जुलाई को सावन के पहले सोमवार के दिन धनिष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग के साथ ही गणेश चतुर्थी का भी दुर्लभ संयोग बन रहा है. 21 जुलाई दूसरे सोमवार को रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा वृषभ राशि में रहेंगे और कामिका एकादशी व सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्वितीय संयोग बनेगा. इस दिन व्रत से भोलेनाथ व भगवान् विष्णु की विशेष कृपा होगी. 28 जुलाई तीसरे सोमवार को चंद्रमा पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में रहेगा तथा चंद्रमा के सिंह राशि में होने से धनलाभ योग बनेगा. 4 अगस्त को अंतिम सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, ब्रह्म और इंद्र योग बनने के साथ ही चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र से वृश्चिक राशि पर संचार करेंगे.

कब-कब है श्रावण सोमवार

  • पहला सोमवार — 14 जुलाई
  • दूसरा सोमवार — 21 जुलाई
  • तीसरा सोमवार — 28 जुलाई
  • चौथा सोमवार — 04 अगस्त

मास शिवरात्रि

आचार्य पांडेय ने बताया की श्रावण माह की शिवरात्रि का बेहद विशेष महत्त्व है. उदया तिथि में सावन शिवरात्रि का पर्व 23 जुलाई, बुधवार को है. इस दिन भोलेनाथ की पूजा-अभिषेक से वो अत्यंत प्रसन्न होते हैं. पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई 2025 को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगी. चतु्र्दशी तिथि का समापन 24 जुलाई 2025 को सुबह 02 बजकर 28 मिनट पर होगा. शिवरात्रि पर भोलेनाथ की आराधना के लिए निशिता मुहूर्त अत्यंत शुभ माना गया है. निशिता मुहूर्त 24 जुलाई को सुबह 12 बजकर 07 मिनट से सुबह 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा.

वैदिक पूजन विधि

श्रावण मासपर्यंत विधि-विधान से पूजा की जाए तो भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. साथ ही श्रावण मास के दौरान प्याज, लहसुन समेत सभी तामसिक चीजों से दूर रहें. व्रत के पारण हेतु फलाहार के रूप में फल, दूध, दही, साबूदाना, कुट्टू का आटा, सेंधा नमक आदि का सेवन कर सकते हैं. ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर और पूजास्थल की साफ-सफाई कर गंगाजल का छिड़काव करें.

इसके बाद हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें. पूजन की थाली तैयार करें और एक वेदी पर भगवान् शिव, माता पार्वती व गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. शिवलिंग को गंगाजल कच्चे दूध, दही आदि से स्नान कराएं, इसके बाद शुद्ध जल से धोकर साफ करें.

शिवलिंग पर भस्म, बिल्व पत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल, फूल, मिठाई अर्पित करें. भगवान शिव को चंदन का लेप करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें.

रुद्री पाठ आता हो तो अति उत्तम है नहीं तो पूजन के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार उच्चारण करें. शिवपंचाक्षर, शिव चालीसा, शिव तांडव स्तोत्र आदि का पाठ करें और उसके बाद भगवान की आरती करें.

अंत में हाथ जोड़कर भगवान शिव से अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करें. सावन में इस तरह श्रद्धापूर्वक पूजन करने से भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर जीवन को खुशहाल बना देते हैं.

सावन से जुड़ी पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान् शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए श्रावण मास में कठोर तप किया था. इससे प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. एक और मान्यता के अनुसार सावन के महीने में भगवान् शिव पहली बार पृथ्वी लोक (ससुराल) आए. इसलिए उनका जलाभिषेक कर स्वागत किया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले भीषण विष का पान किया था, जिससे उनका पूरा शरीर जलने लगा. तब सभी देवताओं ने भगवान शिव को इस विष के प्रभाव से मुक्त कराने के लिए उनका जलाभिषेक किया इससे उनके शरीर का तापमान सामान्य हुआ और उन्हें शीतलता मिली. यही कारण है कि सावन में भगवान शिव को जलाभिषेक अत्यंत प्रिय है. इस पूरे महीने शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी और गंगाजल अर्पित करना शुभ होता है.

सामवेदाचार्य ब्रजमोहन पांडे
प्राचार्य, श्री स्वामी नरोत्तमानन्द गिरि वेद विद्यालय
परमानंद आश्रम, झूसी, प्रयागराज 211 019

Shaurya Punj
Shaurya Punj
रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से मास कम्युनिकेशन में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद मैंने डिजिटल मीडिया में 14 वर्षों से अधिक समय तक काम करने का अनुभव हासिल किया है. धर्म और ज्योतिष मेरे प्रमुख विषय रहे हैं, जिन पर लेखन मेरी विशेषता है. हस्तरेखा शास्त्र, राशियों के स्वभाव और गुणों से जुड़ी सामग्री तैयार करने में मेरी सक्रिय भागीदारी रही है. इसके अतिरिक्त, एंटरटेनमेंट, लाइफस्टाइल और शिक्षा जैसे विषयों पर भी मैंने गहराई से काम किया है. 📩 संपर्क : [email protected]

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